बोलते हुए बहुत शर्म आती है । क्या हमारा समाज रोड पर सत्ताधारी पार्टी की लाठी खाने के लिए ही पैदा हुआ है । जिस समाज की तूती बोलती थी । जिस समाज का नाम लोग इज्जत से लेते थे । जिस समाज ने बिहार को प्रथम मुख्यमंत्री दिया । आज वो समाज लाठी खा रहा है । हसी भी आती है और रोना भी आता है । कब तक अब हमारा समाज सिर्फ आंदोलन करता रहेगा । कब तक हमारा समाज पर झूठा मुकदमा होता रहेगा । कब तक हमारा समाज आंदोलन करते हुए रोड पर पुलिस की लाठी खाता रहेगा । जवाब हम खुद है । बिहार में कुर्सी कुमार दो ढाई परसेंट की आबादी में रहकर भी पंद्रह साल से सत्ता में मौजूद है । दो परसेंट वाला कुशवाहा जी अपनी शर्त पर पांच सीट लोकसभा के ले लेते है ।
डेढ़ परसेंट वाला रामबिलास पासवान जी सत्ता का मलाई पच्चास साल से खा रहे है । एकाध परसेंट वाला मांझी जी मुख्यमंत्री बन जाते है। एकाध परसेंट वाला मुकेश साहनी गांधी मैदान में भीड़ दिखाकर लोकसभा का तीन सीट ले लेता है । पर कभी सोचे है हम कहाँ है । हम बताते है । कभी पाटलीपुत्र सीट से हमारे समाज के लोग जीतते थे शिबहर सीट भी हमारा था । जहानाबाद सीट से आजादी के बाद से ही हमारा समाज जीतता आ रहा था । पर आज हम कहाँ है।
पहले शिवहर सीट हमसे छीना गया फिर पाटलिपुत्र सीट हमारे समाज से छीन लिया गया और आज जहानाबाद सीट से भी हमारे समाज को टिकट न देकर इसे भी हमसे छीन लिया गया । अगर हम इसी तरह मूकदर्शक बने रहे तो वो दिन दूर नही जब नवादा मुंगेर और बेगूसराय सीट भी अपने समाज से छीनकर दूसरे को दे दिया जाएगा। और हम सिर्फ सड़क पर लाठी ही खाते रह जाएंगे । इस सब का जवाबदेह आखिर है कौन । हम है सिर्फ हम । हममे आपसी जलन बढ़ गयी है । हम एक दूसरे को देखकर जल रहे है । हम विखंडित हो गए है । हम टुकड़े टुकड़े में बंट गए है । हम सड़क पर मार खा सकते पर हम एकजुट नही हो सकते । हमसे हमारे देश की राजनीतिक पार्टी हमारा सीट छीन लेती है हमारे समाज के लोगों को टिकट नही देती फिर भी हम मूकदर्शक बने रहते है । हमारी आबादी B B C के सर्वे के मुताबिक पौने सात परसेंट है अगर ब्राह्मण को जोड़ दिया जाय तो हम बिहार में करीब पौने बारह परसेंट है राजपूत भाई और लाला जी अलग से ।फिर भी हम सड़क पर माड़ ही खा रहे है । और इन सब के जवाबदेह हम खुद है ।
हम रोड पर मार खा सकते है पर हम आपस मे एक नही हो सकते।हमारा ईगो इतना बढ़ गया है कि हम किसी एक को नेता मान ही नही सकते । जिस दिन हम आपस मे अपना ईगो त्याग देगें ये राज्य में भी और इस देश मे भी शासन हमारा होगा । आपसी ईगो त्यागिये । अगर अपने समाज को खुशहाल देखना चाहते है तो सब कुछ भूलकर गाँधी मैदान पटना को देखिए । सात नवम्बर को एकजुट होकर गाँधी मैदान आइये । गाँधी मैदान चप्पा चप्पा भर दीजिये । फिर देखिए जो सरकार हम पर लाठी बरसा रही है वही सरकार हमे सलाम करेगी सलाम। सिर्फ हमे अपना ईगो त्यागना है । बस एकजुट हो जाना है ।