खरी-अखरी(सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) - 32

राजनीतिक गलियारों से चौपालों तक एक ही चर्चा

Manish Kumar Singh
Manish Kumar Singh
December 07, 2025
PM Narendra Modi Twitter Account Hacked, Bitcoin Officially Adopted Link  Posted And Removed All You Need To Know - नरेंद्र मोदी का ट्विटर अकाउंट  हैक, 'भारत ने बिटकॉइन को मंजूरी दी', ट्वीट

देशभर में तीन बातों को लेकर राजनीतिक गलियारों से लेकर चौपालों तक में चर्चा चल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आंख कान नाक क्यों चटकाये जा रहे हैं ? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक्स अकाउंट (ट्यूटर अकाउंट) का एसआईआर क्यों किया गया ? राष्ट्रपति द्वारा दिये गये भोज में अपोजीशन लीडर्स को ना बुलाकर कौन बेइज्जत हुआ अपोजीशन लीडर्स या खुद राष्ट्रपति ?

 मोदी के आंख - कान - नाक कौन चटका रहा है ?

भीलवाड़ा के इंजीनियरिंग कॉलेज का असिस्टेंट प्रोफेसर जिसकी न तो कोई राजनीतिक पृष्टभूमि थी न ही कोई ब्यूरोक्रेसी वाला बैकग्राउंड फिर भी 2008 से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ कदमताल करते हुए वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यालय पीएमओ में मीडिया मैनेजमेंट सम्हालने वाला हिरेन जोशी नाम का शख्स इतना पावरफुल बन गया कि भारत के स्ट्रीम मीडिया के मालिक, सम्पादक, एंकर की कलम भोंथरी हो गई। कहा तो यहां तक गया कि दिल्ली की मीडिया, टी. व्ही. चैनल, उनके मालिक, सम्पादक, एंकर हिरेन जोशी के कहने पर उठते थे, बैठते थे यहां तक कि उसके पैरों में अपनी नाक तक रगड़ते थे ! हिरेन जोशी ही तय करता था कि क्या दिखाना है, कितना बताना है, क्या छिपाना है, टीवी चैनलों पर डिबेटस् के विषय क्या होंगे ? 2017 में फ्रंटलाइन मैग्जीन ने तो सनसनीखेज रिपोर्ट में लिखा कि एक बड़े अखबार के संपादक ने हिरेन जोशी से मिलकर अरविंद केजरीवाल को निशाना बनाया था। इसके बाद से केजरीवाल गवर्नमेंट (आम आदमी पार्टी) और एलजी के बीच जिस तरह की जूतम-पैजार शुरू हुई उसका नजारा देशभर ने नंगी आंखों देखा। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित कई विपक्षी पार्टियों ने समय - समय पर खुलकर हिरेन जोशी के द्वारा भारतीय मीडिया को अपने पंजे में दबोचने का आरोप भी लगाया। पीएमओ के सबसे मजबूत, सबसे ताकतवर हिरेन जोशी एक बार फिर चर्चा पर है। कहा जा रहा है कि हिरेन जोशी को 02 दिसम्बर 2025 को पीएमओ से बाहर कर दिया गया है लेकिन मोदी गवर्नमेंट की गोद में बैठकर सरकार की विरुदावली गायन करने वाला मीडिया हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है कि वह हिरेन जोशी मामले में एक लाइन लिख या बोल दे। जिस दिन हिरेन जोशी को पीएमओ से बाहर का रास्ता दिखाये जाने की खबर आती है उसी दिन यानी 02 दिसम्बर की रात को ही खबर मिलती है कि प्रसार भारती के चेयरमैन नवनीत सहगल को भी निपटा दिया गया है यानी इस्तीफा ले लिया गया है। नवनीत सहगल के इस्तीफे और आनन फानन में मंजूर कर लिए जाने की पुष्टि तो सूचना और प्रसारण मंत्रालय के द्वारा जारी किये गये पत्र से भी होती है। 

No. A-50013/138/2025-BAP. Government of India, Ministry of Information and Broadcasting BA-P Division, A-Wing, Shastri Bhavan, Dated 3rd December 2025, To, Shri Navneet Kumar Sehgal, Chairman, Prasar Bharti, Prasar Bharti House, Copemicus Marg New Delhi 110001. Subject - Resignation from the post of Chairman, Prasar Bhari, Sir, I am directed to refer to your notice dated 02.12.2025 submitting your resignation from the post of Chairman Prasar Bharti and to say that as per section 7(6) of the Prasar Bharti (Board casting corporation of India) Act 1990, the competent authority has accepted the sam. Accordingly, you are hereby relieved from the services of Prasar Bharti with immediate effect. (A M Kumar, Director (Bap))

 ये वही नवनीत सहगल हैं जिन्होंने तिहाड़ रिटर्न सुधीर चौधरी जैसे मीडिया के सबसे बदनाम चेहरे को प्रसार भारती में 15 करोड़ के पैकेज की नौकरी दे दी थी। सवाल है कि आज नौकरी देने वाले की नौकरी कौन खा गया ? इसके पहले हिरेन जोशी के करीबी और जोशी की ही सिफारिश पर लाॅ कमीशन में सदस्य बनाये गये हितेश जैन का भी इस्तीफा ले लिया गया। हिरेन जोशी, नवनीत सहगल और हितेश जैन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लिस्ट में सबसे ताकतवर और प्रभावशाली लोगों में शुमार किया जाता है। कहा जाता है कि इनमें कोई मोदी का दांया हाथ है तो कोई बांया हाथ तो कोई मोदी की नाक-आंख-कान है। हिरेन जोशी पर आरोप लगाया जा रहा है कि उनके द्वारा बेटिंग ऐप के जरिए लंबा चौड़ा फ्रॉड किया गया है। इतने गंभीर आरोप के दायरे में खुद प्रधानमंत्री कार्यालय आ रहा है यानी एक तरीके से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आ रहे हैं इसके बावजूद हकीकत क्या है इसका खुलासा नहीं किया जा रहा है। क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को डर है कि अगर कहीं सच्चाई सामने आ गई तो पिछले 11 बरसों से गढ़ा गया औरा एक झटके में तहस नहस हो जायेगा। इसलिए बिना आवाज किये सारे राजदारों को एक - एक करके निपटा दिया जाए। क्योंकि चर्चाएं हैं कि अभी तो और भी इस्तीफे होने वाले हैं क्योंकि की गई हेराफेरी अकल्पनीय है और इसके तार देश से लेकर विदेश तक फैले हुए हो सकते हैं। जिनका खुलाशा मोदी के चेहरे पर चढ़ाये गये महामानव के मुखौटे को एक झटके में उतार फेंकेगा।

Kranti Kumar Singh

वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह ने ट्यूट किया है कि महादेव बेटिंग ऐप कांड, पीएमओ से लेकर प्रसार भारती तक हड़कंप - पिछले 48 घंटों से सोशल मीडिया पर तीन नाम ट्रेंड कर रहे हैं लेकिन TV चैनल्स पर पूरी तरह से खामोशी छाई हुई है। जैसे कुछ हुआ ही न हो। हिरेन जोशी (पीएमओ), नवनीत सहगल (प्रसार भारती), हितेश जैन (लाॅ कमीशन) ।आखिर क्यों ? महादेव बेटिंग ऐप क्या है ? दुबई से संचालित ये आनलाईन सट्टेबाजी ऐप पिछले 4 साल से 50000+ करोड़ रूपये का कारोबार कर चुका है। ईडी सीबीआई की जांच से खुलासा हुआ है कि इसके मालिक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने छत्तीसगढ़ से लेकर दुबई तक नेताओं, पुलिस वालों और बड़े-बड़े अफसरों को हवाला के जरिए पैसे बांटे हैं। प्रमोशन के लिए बालीवुड सेलेब्स की शादियाँ तक स्पांसर की हैं। अब जांच की आंच दिल्ली तक पहुंच गई है जिसमें सबसे बड़ा नाम आया है पीएमओ के ओएसडी हिरेन जोशी का। हिरेन जोशी (पीएमओ - ओएसडी) मोदी का सबसे करीबी, गुजरात के दिनों से मीडिया मैनेजमेंट करने वाला बांया हाथ। सोशल मीडिया पर वायरल दस्तावेज और चैटस् में दावा - जोशी को दुबई से महादेव बेटिंग ऐप के मालिकों की तरफ से मोटी रकम मिलती थी। विदेशी डील्स, चैनल मैनेजमेंट और नैरेटिव के बदले कमीशन। गिरफ्तारी से बचने के लिए अचानक इस्तीफा - अश्वनी वैष्णव को सौंप कर भागे। हितेश जैन (लाॅ कमीशन) अप्रैल 2025 में नियुक्ति - अक्टूबर 2025 अंत तक इस्तीफा। जोशी के कथित करीबी होने के बाद भी एक ही दिन में सामान पैक कर बंगला खाली करा लिया गया। सोशल मीडिया पर लिखा जा रहा है कि लाॅ कमीशन के जरिए बेटिंग कानूनों में ढ़ील दिलाने की कोशिश की गई। नवनीत कुमार सहगल (चेयरमैन प्रसार भारती) एक साल से ज्यादा कार्यकाल बाकी होने के बावजूद 2 दिसम्बर 2025 की रात में इस्तीफा लेकर 3 दिसम्बर 2025 को इस्तीफा स्वीकार करने का बकायदा लैटर जारी कर दिया गया। सोशल मीडिया पर Mahadev Batting Scam# Hire Joshi ट्रेंड कर रहा है। सवाल स्वाभाविक है कि पीएमओ में बैठा हुआ शख्स अगर बेटिंग माफिया का हिस्सा हो सकता है तो फिर देश की सुरक्षा का भगवान ही मालिक है और यह समय - समय पर साबित भी हुआ है। चाहे वह पुलवामा हो, पठानकोट हो, पहलगाम हो या फिर देश की राजधानी के दिल चांदनी चौक (लालकिला के पास ) में हुआ विस्फोट। जिस प्रधानमंत्री की मर्जी से दूसरे विभाग का भी पत्ता तक नहीं डोलता उसके खुद के कार्यालय में बिना उसकी मर्जी के, जानकारी के इतना बड़ा स्कैम हो ही नहीं सकता है। पीएमओ के भीतर तकरीबन 50 हजार करोड़ के काले धंधे में विरोधियों को गरियाने वाले मीडिया की इतनी दयनीय स्थिति हो गई है कि उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल पा रहा है। कहीं पापा न नाराज हो जायें।

मोदी के फालोवर्स का भी हो गया एसआईआर

सरकार ने ट्विटर से कहा, भारत विरोधी अभियान के लिए ट्विटर का इस्तेमाल न हो -  BBC News हिंदी

अच्छे दिन आने का जुमला उछाल कर लोगों के अच्छे दिनों का ख्वाब चकनाचूर कर देने वाले या यूं कहें देश के अच्छे दिनों को दुर्दिन में तब्दील कर देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के क्या अब बुरे दिनों की शुरुआत होने वाली है। जहां एक ओर प्रधानमंत्री कार्यालय ही कांडों की चपेट में आ गया है। पीएम मोदी के आंख, कान, नाक, दांये - बांये हाथ इस्तीफा दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तकरीबन आधा करोड़ फालोवर्स का एसआईआर कर दिया गया है। जैसा कि विपक्ष लगातार आरोप लगाता चला आ रहा है कि भारत  चुनाव आयोग का मुखिया ज्ञानेश गुप्ता एसआईआर के जरिए मोदी की पार्टी बीजेपी की सत्ता बरकरार रखने के लिए लाखों जायज वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से गायब करने में लगा हुआ है, पीएमओ के सबसे ताकतवर कहे जाने वाले हिरेन जोशी नामक व्यक्ति के बारे में खबर आ रही है कि वह प्रधानमंत्री कार्यालय से ही बेटिंग ऐप चला है। वही पीएम नरेन्द्र मोदी के लिए अशुभ खबर निकल कर आ रही है कि एक्स (ट्यूटर) के मालिक एलन मस्क ने भी एसआईआर जैसा कुछ करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक्स अकाउंट से 40 लाख से अधिक फालोवर्स कम कर दिये हैं। 4 मिलियन फालोवर्स डिलीट किये जाने के पीछे बताया जा रहा है कि ये फर्जी थे। तो क्या बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को महिमामंडित करने के लिए फर्जी फालोवर्स तैयार किये थे और आज जब हकीकत सामने आ रही तो इससे भले ही बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शर्मशार न हों लेकिन देश तो दुनिया के आगे शर्मशार हो ही गया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि एलन मस्क अगर थोड़ी सी और बारीक जांच कर लें तो मोदी के 60 फीसदी तक फालोवर्स कम हो सकते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार लिखते हैं - अपने ही लोगों ने अपने ही लोगों को कैसे पकड़ लिया और अपने को हटाकर अपने को क्यों बना दिया ? सफाई करने वाला कौन है ? वह किसे साफ कर रहा है ? उसे जिसे खुद बैठाया है और उसकी जगह जो आयेगा फिर उसे कौन साफ करेगा ? जिसके पास इतने सारे राज हैं क्या उसे हटा दिया जायेगा ? क्या छापा पड़ा है या बिना छापे के ही कुछ बरामद हो गया है ? क्या हुआ है और क्या हो रहा है ? वरिष्ठ पत्रकार डाॅ मुकेश कुमार ने लिखा है - ये सफाई नहीं है। अपनी गर्दन बचाने की कोशिश है। हिरेन जोशी की मंडली ने कुछ ऐसा किया है जिससे साहब को परेशानी खड़ी होने वाली थी। जाहिर है ये सफाई अभियान नहीं है बल्कि खुद को किसी बड़े संकट से बचाने की कोशिश है। क्या ये संकट अमेरिका से आ रहा है ? सुब्रमण्यम स्वामी के हटाये गये ट्यूट से भी क्या इसका कोई संबंध है ? स्वामी ने ट्यूट किया था कि अमेरिका का ब्लैकमेल झेल पाना मोदी के लिए मुश्किल है। इसमें चरित्र को लेकर भी बहुत कुछ कहा गया था। बाद में डिलीट कर लिया। फिर भी कुछ तो हुआ है जिससे गुजराती दरबार में धड़कनें बढ़ी हुई है और वह अपनों के ही पर कतरने में लग गई है। जिस महादेव बेटिंग ऐप को लेकर विपक्षियों को परेशान किया गया उसके असल खिलाड़ी तो वही निकल रहे हैं जो दूसरों पर आरोप लगा रहे थे। देश यह भी जानता है कि पीएम कुछ नहीं बोलेंगे । जांच नहीं होगी । अदालत कुछ नहीं करेगी फिर भी.............. ।

एक बार फिर मोदी ने ओछी राजनीति का इज़हार किया

Putin India Visit: 'समय की कसौटी पर खरी दोस्ती', पुतिन से मिलकर बोले PM  मोदी - Vladimir putin india visit Moscow delhi india russia relation live  updates ntc - AajTak

रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भारत आये। ये उसी देश के राष्ट्रपति हैं जिसने पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ किये गये आपरेशन सिंदूर का खुलकर समर्थन नहीं किया था। भारत के सभी पड़ोसी देशों सहित दुनिया का कोई भी देश जिसमें दुनिया के तीनों ताकतवर देश अमेरिका, चीन, रूस शामिल हैं भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ यानी भारत को अकेला अलग - थलग छोड़ दिया गया था। जिस तरह से नरेन्द्र मोदी ने ब्लादिमीर पुतिन की अगवानी प्रोटोकॉल तोड़ कर की उसने भारत के प्रधानमंत्री की पराजय, पराभव की पराकाष्ठा को दुनिया के सामने रख दिया है ! रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के आगमन पर भारतीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिया गया भोज (यह श्रीमती मुर्मू का व्यक्तिगत भोज नहीं था यह भारत के द्वारा रूस के सम्मान में दिया गया भोज था) उसमें उन्होंने लीडर आफ अपोजीशन को आमंत्रित ना करके न केवल संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनयिक संबंधों के मद्देनजर भारत की छबि पर भी आघात किया है। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू से इतनी तो अपेक्षा की ही जा सकती है कि वे इस बात को जानती होंगी कि विपक्ष का नेता (leader of the opposition) छाया प्रधानमंत्री (shadow prime minister) की तरह होता है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को विपक्ष के नेता से कोई भय हो ऐसा भी समझ से परे है। 
एक बार फिर साबित हो गया है कि मोदी सत्ता राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को रबर स्टाम्प के लायक भी नहीं समझती है। और इस तरह के नजारे देश के सामने कई बार आये हैं जब श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को बतौर राष्ट्रपति जो सम्मान मिलना चाहिए था मोदी सत्ता ने नहीं दिया है। पार्लियामेंट के नये भवन के लोकार्पण में श्रीमती मुर्मू को नहीं बुलाना। लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित करते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सोफे पर बैठे रहना और राष्ट्रपति का खड़ा रहना। पुतिन के भोज के दौरान भी राष्ट्रपति का अलग - थलग उपेक्षित सा खड़ा रहना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विपक्ष के नेता राहुल गांधी से भय तो समझा जा सकता है। राहुल गांधी के सामने नरेन्द्र मोदी के भीतर समाई हीन भावना साफ - साफ दिखाई देती है। नरेन्द्र मोदी को हिन्दी के अलावा शायद कोई दूसरी अंतरराष्ट्रीय भाषा आती हो । अंग्रेजी खासतौर पर । राहुल गांधी को हिन्दी, अंग्रेजी दोनों आती है। अब अगर वो राहुल गांधी को बतौर विपक्षी नेता के तौर पर रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करवाते तो तय था कि राहुल गांधी पुतिन से नरेन्द्र मोदी के मुकाबले बेहतर और प्रभावशाली तरीके से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बात कर सकते थे, भारत का पक्ष रख सकते थे। लीडर आफ अपोजीशन से रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात ना कराकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी ओछी राजनीति का ही इजहार करके पुतिन की नजरों में खूद को ओछा साबित कर दिया है। नरेन्द्र मोदी ने यह भी साबित कर दिया है कि उन्हें विदेश नीति, कूटनीति की तरह डिप्लोमेसी भी नहीं आती है। वैसे देश को इससे कोई अचंभा नहीं हुआ कि मोदी ने पुतिन से राहुल को क्यों नहीं मिलवाया। देश जानता है कि मोदी की राजनीति विपक्ष विहीन लोकतंत्र है। नरेन्द्र मोदी तो 2014 से ही लोकतंत्र के एक पहिये विपक्ष को लगातार तोड़ते आ रहे हैं यानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लंगड़े लोकतंत्र को पोस रहे हैं। सच कहा जाय तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लीडर आफ अपोजीशन राहुल गांधी को रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से दूर रख कर राहुल गांधी के कद को बड़ा कर दिया है। कहा जा सकता है कि भारतीय राष्ट्रपति द्वारा रूसी राष्ट्रपति के सम्मान में दिये गये भारतीय भोज से लीडर आफ अपोजीशन को दूर रखना राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का सबसे बड़ा फेलुअर है।

पुतिन ने माथा पीट लिया होगा इंटरव्यूई सवाल सुनकर 

Putin India Visit: यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का भारत दौरा क्यों है इतना  खास? 10 प्वाइंट में समझिए - PM Modi Welcomes Vladimir Putin Warmly as India  Russia Summit Focuses Defence


चलते - चलते भारतीय मीडिया पर भी नजर डालनी भी जरूरी है। जिसने एकबार फिर ये साबित कर दिया कि कुएं के मेंढक का संसार कुंआ ही होता है उसके लिए कुएं के बाहर भी कोई दुनिया है, बेमानी होता है।आजतक की पत्रकार अंजना ओम कश्यप और गीता मोहन जिस तरह से रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन का साक्षात्कार करने बैठीं थी वह अपने आप में अशोभनीय था। ब्लादिमीर पुतिन सोच रहे थे कि सामने बैठीं भारतीय पत्रकार उनसे विदेश मामलों पर, यूक्रेन, गाजा के मसले पर, चाइना की वन बैल्ट योजना पर, पाकिस्तान के आतंकवाद जैसे साधारण और सीधे - सरल सवाल करेंगी लेकिन रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन उस समय असहज हो गये जब पत्रकारों ने उनसे "आप हमारे प्रधानमंत्री मोदी को भारत के दूसरे प्रधानमंत्रियों तथा दूसरे राष्ट्राध्यक्षों की तुलना में कितने अंक (रेटिंग) देंगे जैसे कठिन सवाल करने शुरू कर दिये। आजतक की मालकिन ने जब पुतिन से कुछ इस तरह के सवाल पूछना शुरू किया कि "आप थकते क्यों नहीं हैं ? आप छुट्टी क्यों नहीं लेते हैं ? आप छुट्टी लेते हैं या नहीं लेते हैं ? निश्चित ही ऐसे सवालों को सुनकर रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपना माथा पीट लिया होगा कि भारत का मीडिया कितनी खोजी पत्रकारिता करता है। उसके लिए भारत और रूस के रिश्ते से ज्यादा महत्वपूर्ण ये सवाल है कि रूसी राष्ट्रपति खाता-पीता क्या है। वह छुट्टी लेता है या नहीं। इसीलिए रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने सामने बैठी पत्रकारों और आजतक की मालकिन को उनकी औकात बताते हुए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आपका सवाल INDECENT (अभद्र, अश्लील, अशिष्ट, अशालीन, निर्लज्ज, अनुचित, धृष्ट, भोंड़ा, भौंड़ा) है। वरिष्ठ पत्रकार प्रियंका भारती ने ट्यूट किया है कि - "गोदी मीडिया को महामानव के चापलूसी की इतनी बुरी लत लगी हुई है कि हमारे ही अपने देश के बाकी प्रधानमंत्रियों को नीचा दिखाने वाले सवाल कर रही है। वो तो शुक्र हो पुतिन का कि उन्होंने सवाल को ना सिर्फ एक सिरे से खारिज किया बल्कि ये कहा कि ये सवाल "INDECENT" है। और कितना अपना मखौल बनायेंगे ? शायद ऐसी ही पत्रकारिता की वजह से वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2025 में भारतीय पत्रकारिता 180 देशों के बीच में 151वें पायदान पर खड़ी है। शायद वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम का यह मानना कि भारतीय मीडिया सच को दबाती है और झूठ को फैलाती है गलत नहीं है।


अश्वनी बडगैया अधिवक्ता 
स्वतंत्र पत्रकार

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