
आज से चंद महीने पहले हाजीपुर क्षेत्र को भारत का सबसे प्रदूषित शहर माना गया था और पुरी दुनिया में जग हंसाई हुई थी। जिसके बाद आनन-फानन में जिलाधिकारी यशपाल मीणा ने अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए बागडोर संभाली। जिलाधिकारी ने ताबड़तोड़ बैठकों के माध्यम से नगर परिषद हाजीपुर के साथ मिलकर गंदगी के भंडार को मिट्टी और बालू से ढंक दिया था। लेकिन गलतियों को छुपाने की कला में निपुण जिलाधिकारी ने प्रयास जरूर किया मगर व्यवस्था को ध्वस्त पहले ही कर चुके थे। परिणाम यह हुआ कि मिडिया मैनेजमेंट के आधार पर और सोशल मीडिया पर लगाम लगाकर अपनी पीठ थपथपा ली।
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लेकिन कब तक काठ की हांडी चढ़ाई जाती इसलिए पुनः प्रदूषण का पैमाना हाजीपुर क्षेत्र में ईमानदारी से काम करने लगे तो पुनः मुसको भव: देखने को मिल जाएगा। नगर परिषद हाजीपुर के जानकारों ने बताया कि नगर परिषद् हाजीपुर के 45 वार्डों में साफ-सफाई , घर घर से कचरा संग्रह एवं कुड़ा उठाने के नाम पर प्रतिमाह लगभग 90 लाख की निकासी के बाबजूद नगर के मुख्य मार्ग का हाल देखकर सहज समझा जा सकता है की नगर के मुहल्लों में निवास कर रहे आम लोगों का क्या हाल हो रहा होगा। जिसकी कुछ तस्वीरें आपके बीच साझा कर रहे हैं।

हाजीपुर नगर परिषद को जातिगत आरक्षण के आधार पर बांध दिया गया है और सभापति/उपसभापति पद एक विशेष जाति के लिए सुरक्षित कर बिहार सरकार ने जो मजबूती देने का प्रयास किया था वह धरातल पर नहीं दिख रहा है। सड़क सुरक्षा पर 5% काम भी नहीं हो पा रहा है तो वहीं सड़कों पर गडढ़ो की खेती भरपूर की गई है और अवैध खनन लगातार जारी हैं।

नगर परिषद हाजीपुर के द्वारा कचड़ा प्रबंधन 0% पर हैं और सड़कों पर ही महीने में 5-10 कचड़े पड़े रहते हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों से कचड़े को उठाकर ग्रामीण क्षेत्रों के मुहाने पर रखा जाता हैं जो ग्रामीण क्षेत्र से शहरों में आने वाले लोगों के लिए मौत का पैगाम हैं। नगर परिषद हाजीपुर के सभापति सत्ताधारी पार्टी से संबंध रखने के साथ राजनीतिक संरक्षण प्राप्त कर हाजीपुर नगर परिषद क्षेत्र के लोगों के जीवन के साथ खुब खेल रहे हैं। वहीं आने वाले कल में सड़कों पर चल रहे आतंकी गतिविधियों के कारण मौत का आंकड़ा बड़े स्तर पर दिखेगा। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में फ़ैल रही बिमारियों के लिए नगर परिषद हाजीपुर के सभापति और नौकरशाह ही होंगे।
