
हाजीपुर नाम 13-14वीं शताब्दी के मध्य आया और लगातार लगभग आज 800 वर्षों से लूट का ही अड्डा बना हुआ है। हाजी इल्याश से प्रारंभ हुआ और अंग्रेजी हुकूमत के बाद आजाद भारत के बावजूद लूटेरों का दंश झेलते हुए आज तक हम सड़क, बिजली और पानी तक के सामान्य और जरूरत के संकटों से मुक्ति नहीं पा सके हैं। अंग्रेजी हुकूमत काल में नगर क्षेत्र का विकास हुआ और 1869 ईस्वी में हाजीपुर नगर पालिका बना और आज नगर हाजीपुर का क़द राज्य सरकार ने गिराकर नगर परिषद कर दिया।
नगर का विकास जिस स्तर पर होना चाहिए था आज तक एक गांव के सामान्य जीवन स्तर को भी प्राप्त नहीं कर सका। आज़ाद भारत में सबसे बड़ा लूट का केंद्र रहा तो राजनीतिक रूप से विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली हाजीपुर ही। हाजीपुर में नेताओं का नेतृत्व झूठ और फरेब के आगे नतमस्तक हुई और जनतंत्र में जनता के बीच से बेवस और लाचार लोगों को चंद लालच देकर अन्य समाज के संभ्रांत लोगों का मुंह बंद करा रखा है।
आज संभ्रांत समाज उद्दंड लोगों से दूरी बनाए रखता है क्योंकि उन्हें अपने मान सम्मान की चिंता व चिंतन रहती हैं। और इसी का फायदा जनप्रतिनिधि और नौकरशाह उठाते हैं। जिसका आज परिणाम यह हैं कि हाजीपुर नगर परिषद क्षेत्र आज जानवरों के रहने लायक भी नहीं रहा है।
हाजीपुर शहर हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रमुख केन्द्र है।
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हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र में 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा - BJP) का हिस्सा हुआ और आज 26 वें साल में प्रवेश कर गया है। आज 25 वर्षों की ओर नज़र डालें तो हाजीपुर विधायक के रूप में एक व्यक्ति का बर्चस्व बना हुआ है भले ही 2014 में जो तत्कालीन विधायक थे वह संसद में चले गए मगर जिसे अपने उत्तराधिकारी के रूप में बैठाया वह पहले जैसे 2000 से व्यक्तिगत सहायता (PA) थे वैसे भी पद पर बैठने के बावजूद पिछले 11 वर्षों से हैं।
हाजीपुर विधानसभा चुनाव 2025 में ऐसे उम्मीदवार की तलाश है जो स्वतंत्रता से अपने विधायक धर्म का पालन विधानसभा क्षेत्र में करें। जनतंत्र में जनता को जो अधिकार हैं उसका सम्मान करने वाला विधायक हाजीपुर को चाहिए ताकि लोकतंत्र की धरती वैशाली का सम्मान बरकरार रह सकें।