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सरजी,15 अगस्त को 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली के लालकिला से प्रधानमंत्री मोदीजी ने तिरंगा फहराया। ये राष्ट्रीय कार्यक्रम था लेकिन इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में लोकसभा के विपक्ष के नेता राहुल गांधी,कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी या सांसद प्रियंका वाड्रा आदि नहीं दिखाई दिये। ये तो राष्ट्रीय कार्यक्रम था जिसमें उपस्थित रहना इन लोगों का राष्ट्रीय नैतिक दायित्व था लेकिन कोई दिखाई क्यों नहीं दिया! कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस समझ रही है या उसे मलाल है कि मोदी "वोट चोरी" करके प्रधानमंत्री बन गये हैं,नहीं तो शासन कांग्रेस का होता और लालकिले से 15 अगस्त का ध्वजारोहण, राहुल गांधी स्वयं कर रहे होते!!--बैठकी जमते हीं मास्टर साहब मुस्कुराते हुए।
मास्टर साहब, मुगलिया सल्तनत बाबर के वारिस,उर्फ भारत का शाही नेहरू परिवार, जिसे सिर्फ शासन करने की,अपनी सुनाने की आदत पड़ गई हो उसे एक चाय वाले ने सिंघासन से 11 बर्षों से दूर कर रखा है और उसके प्रधानमंत्री बन जाने से तथा जो कभी उनकी प्रजा रहें हों,उन्हें भारत का शासक,क्यों मान लें! उसके नेतृत्व में श्रोता और दर्शक क्यों बनें! ये तो तथाकथित गांधी परिवार की सरासर तौहीनी सिद्ध होगी न!! वो भी तब जब राहुल के शब्दों में,वैसा प्रधानमंत्री जो, वोट चोरी करके बना हो!!--उमाकाका भी मुस्कुराते हुए।
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हां काकाजी,इधर चुनाव आयोग द्वारा बिहार में वोटर पुनरीक्षण कार्यक्रम के मद्देनजर सभी विपक्षियों को आपने कोर वोटर , "घुसपैठियों" की छंटनी का डर समा गया है।इसी क्रम में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और भाजपा पर, कर्णाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों में फर्जी वोटरों की बढ़ौतरी को लेकर,"वोट चोरी" का आरोप लगाया है। जब चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया और उनसे शपथपत्र के साथ प्रमाण देने की बात कही तो ऐसा नहीं कर रहे क्यों!!लेकिन आज भी अपनी बात पर अड़े हैं और उड़ा रहे हैं कि विगत लोकसभा चुनाव में भाजपा "वोट चोरी" नहीं करती तो कांग्रेस को 25 लोकसभा सीटों का और फायदा होता जिससे सरकार, कांग्रेस की बनती।पुरे देश में इंडी गठबंधन,चुनाव आयोग के वोटर पुनरीक्षण कार्यक्रम का विरोध कर रही है।--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।
इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में........
कुंवर जी, वोट चोरी की शुरुआत हीं मोहन दास करमचंद गांधी और नेहरू ने की थी। भुल गये क्या! देश विभाजन के बाद कौन प्रभारी प्रधानमंत्री बनेगा! इसके लिए उस समय के प्रदेश कांग्रेस कमिटी के 15 सदस्यों को वोट देना था। सरदार वल्लभ भाई पटेल को 15 में 12 वोट मिले और कृपलानी को 2 वोट, एक ने वोटिंग में भाग नहीं लिया। 12 वोट लेकर जीते पटेल जी, लेकिन गांधी और नेहरू ने वोट चोरी कर ली और नेहरू प्रधानमंत्री बन गये। जब छद्म हिन्दू को हीं विभाजित भारत की बागडोर सौंप कर "ग़ज़व ए हिन्द" करने का प्लान था तो देश का विभाजन हीं क्यों हुआ फिर प्रभारी प्रधानमंत्री के लिए,चुनाव हीं क्यों करवाया गया!!--सुरेंद्र भाई ने याद दिलाया।
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भाईजी, कांग्रेस तो देश के प्रथम लोकसभा चुनाव में हीं वोट चोरी की मिशाल कायम कर दी थी।--डा. पिंटू बोल पड़े।
उ कईसे ए डाक्टर साहब!!--मुखियाजी डा. साहब से।
मुखियाजी,1952 के चुनाव में अंबेडकर साहब के विरुद्ध कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी मिलकर धोखाधड़ी करके, मात्र 14 हजार 5 सौ 61 वोटों से हराया था जिसमें 74336 वोटों को रद्द करवा दिया गया था,जो वोट अंबेडकर साहब के पक्ष के थे।भला बताइये! "वोट चोरी" की इससे बड़ी शाजिस कहीं देखा जा सकता है क्या!! भारत के चुनाव में,पहली चुनावी याचिका भी अंबेडकर साहब ने डाली थी लेकिन उस समय,आयोग से लेकर कोर्ट तक तो कांग्रेस की हीं चलती थी न!!--डा. साहब मुंह बनाये।
जानते हैं! कांग्रेस किस तरह की चुनावी घपला करती थी उसका उदाहरण सोनिया गांधी है। पहली बार जनवरी 1980 में सोनिया गांधी का नाम,भारत के वोटर लिस्ट में दर्ज हुआ था लेकिन उस समय वो भारत की नागरिक हीं नहीं थी। बवाल होने पर नाम हटाया गया। फिर 1 जनवरी 1983 में नई दिल्ली का वोटर लिस्ट रिवाइज हुई।उस लिस्ट में बुथ नंबर -140 और क्रम संख्या 236 में पुनः सोनिया गांधी का नाम शामिल किया गया।उस समय भी वो इटली की नागरिक थीं। दो-दो बार नागरिकता की शर्तों का उलंघन करके सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ा गया जबकि विवाह के 15 साल बाद 30 अप्रैल 1983 को, सोनिया गांधी को भारत की नागरिकता मिली। इसको क्या कहियेगा!!--सुरेंद्र भाई हाथ चमकाये।
भाईजी, राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर बम फोड़ना उन्हीं पर भारी पड़ गया है।--डा.पिंटू बोल पड़े।
उ कईसे डा. साहब!!--मुखियाजी खैनी ठोकते हुए।
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भाजपा ने डेटा सामने ला दिया है जिससे राहुल और विपक्षियों की बोलती बंद हो गई है। इसके अनुसार रायबरेली जहां से राहुल गांधी सांसद हैं,2 लाख 89 हजार वोटर संदिग्ध हैं। इसमें 19512 वोटर डुप्लीकेट हैं,71977 वोटरों के पत्ते फर्जी हैं, और 92747 वोटर एक साथ जोड़े गये हैं।इसी तरह वायनाड जहां से प्रियंका वाड्रा सांसद हैं,93499 वोटर संदिग्ध हैं। कन्नौज जहां से अखिलेश यादव सांसद हैं,291798 वोटर संदिग्ध हैं। मैनपुरी जहां से डिंपल यादव सांसद हैं,255214 वोटर संदिग्ध हैं। पश्चिम बंगाल का डायमंड हार्बर संसदीय सीट जहां से ममता बनर्जी के भतीजे, अभिषेक बनर्जी सांसद हैं,259779 वोटर संदिग्ध हैं। तो ऐसी स्थिति में ये विपक्षी कौन सा मुंह लेकर मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर उंगली उठा रहे हैं। अरे,इन गड़बड़ियों को ठीक करने के लिये हीं तो चुनाव आयोग वोटर पुनर्निरीक्षण का कार्यक्रम चला रही है!! फिर आपत्ति करने का क्या मकसद है!!--मैं भी बहस में भाग लेते हुए।
ए भाई, मोदीजी,अपना भाषण में आरएसएस के सौ बरीस पुरा होंखे के उपलक्ष्य में,आरएसएस के राष्ट्र के प्रति योगदान के भी चर्चा कईले हा।--मुखियाजी बहस में भाग लेते हुए।
लेकिन ये बात कांग्रेस और अखिलेश को पची नहीं न! इस बात को लेकर विपक्षियों की आरएसएस विरोध और मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति,सामने आ हीं गयी न!!--कुंवरजी अखबार रखते हुए।
कुंवर जी, एक बात समझने की है कि कांग्रेस या विपक्षी पार्टियां, हमेशा राष्ट्रवाद को लेकर चलने वाली संस्था,"आरएसएस" के विरुद्ध और उसे समाप्त करने का हीं संकल्प क्यों व्यक्त करतीं हैं!! पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, रोहिंग्या, घुसपैठियों या भारत के संसाधनों का दोहन कर रहे लाखों पाकिस्तानी बहुयें और उनके दस-दस बच्चों आदि को लेकर कुछ क्यों नहीं बोलते। इनके मुंह में दही क्यों जम जाती है!!--डा.पिंटू बुरा सा मुंह बनाये।
मुखियाजी,अब तो सारा देश जान गया है कि चुनाव आयोग के बिहार में वोटर पुनरीक्षण का विपक्षियों द्वारा विरोध करने के पिछे उनका अपने कोर वोटरों को बचाना है,जो मुस्लिम घुसपैठियें हैं।--उमाकाका हाथ चमकाये।
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काकाजी, हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखा है कि ये अमरीका, डीप स्टेट और यूरोपीय संघ अपने कठपुतलियों को किसी राष्ट्र की सत्ता पर बैठाने के लिए "वोट चोरी" जैसे इल्जाम, हथियार के रूप में प्रयोग करती रही है जैसे ---
जाॅर्जिया(2003) में "वोट चोरी" के आरोपों के कारण रोज क्रांति हुई और अमरीका समर्पित सरकार सत्ता में आ गई। इसी तरह यूक्रेन(2014) में "वोट चोरी" के आरोपों के कारण यानुकोविच की सत्ता चली गई और अमरीका समर्थक जोकर जेलेंस्की सत्ता में आ गया। किर्गिस्तान (2005) में भी "वोट चोरी" के आरोपों के कारण अकायेव को हटाया गया और अमरीका समर्थक सरकार बनी। आइये, बंगलादेश को लिजिये,"वोट चोरी" के आरोपों के कारण शेख हसीना के सरकार को हटाया गया और अमरीका का तलवा चाटने वाली सरकार आ गई। लगभग यही स्थिति इमरान खान को हटाने के संदर्भ में,पाकिस्तान की भी समझिये।
मुखियाजी, मुझे शक है कि भारत में भी "वोट चोरी" के आरोपों को मोदी सरकार के विरुद्ध, कांग्रेस अर्थात डीप स्टेट के एजेंटों द्वारा फैलाया जा रहा है। हिंसकता भी फैलाई जा सकती है। आज के डेट में अमरीका और भारत के बीच टैरिफ को लेकर बने गंभीर संबंधों और अमरीका की पाकिस्तान परस्ती से भी अनुमान लगाया जा सकता है।--कुंवरजी ने आशंका प्रगट की।
मुखियाजी, देश में परिवारवादी पार्टियां झूठ बोलकर देश में अराजकता फैलाना चाहतीं हैं और यदि उस पार्टी में कोई सच कहें तो उसकी खैर नहीं!--सुरेंद्र भाई बोले।
भाईजी, बात त सौ टके के बोलनी हा बाकि केवना बात प,उहो कहीं।--मुखियाजी पुछ दिये।
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कर्णाटक में वोटर लिस्ट को लेकर जब राहुल गांधी चुनाव आयोग पर बम फोड़ते हुए लोकसभा चुनाव में धांधली को लेकर,बैंगलुरू सेंट्रल लोकसभा सीट का मुद्दा उठाया, तब उन्हीं की पार्टी के कर्नाटक सरकार के मंत्री,के एन राजन्ना ने कह दिया कि राहुल गांधी को ऐसा नहीं कहना चाहिए था क्योंकि जब वोटर लिस्ट बनी थी तो उस समय कांग्रेस की हीं सरकार थी।उस समय किसी ने यह बात क्यों नहीं कही!! फिर क्या था,
मंत्री राजन्ना जी को ये सत्य कहना भारी पड़ा और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। दुसरी घटना यूपी से है।
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अखिलेश यादव की पार्टी सपा की विधायक पूजा पाल ने (जिनके पति की हत्या अतीक अहमद ने करवाया था।)सदन में मुख्यमंत्री योगीजी के अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति की तारीफ क्या की,सपा नेतृत्व नाराज होकर पूजा पाल को पार्टी से हीं निष्कासित कर दिया। ये है परिवारवादी पार्टियों की तानाशाही। पार्टी नेतृत्व झूठ पर झूठ बोले,वो ठीक है लेकिन पार्टी के दुसरे, सत्य कह दे तो खैर नहीं।--सुरेंद्र भाई मुंह बनाये।
छोड़िये , लालकिले से अपने भाषण के दौरान मोदीजी ने घुसपैठियों और बाहरी ताकतों के संदर्भ में भी आगाह किया था। इतना तो सत्य है कि आज भारत ऐसे हाथों में है जहां भीतरी या बाहरी दुश्मन,लाख षड्यंत्र करें,सबकी काट मोदीजी के पास है। इसी लिये न लोग कहते हैं कि "मोदी है तो मुमकिन है"। फिर भी हम भारतवासी को सावधान रहना जरूरी है क्योंकि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।अच्छा अब चला जाय।--कहकर मास्टर साहब उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी.......!!!!!