
भारत ने आज अपने नए उपराष्ट्रपति का स्वागत किया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज कर देश के 15वें उपराष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त किया। उन्हें 452 वोट मिले, जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक के प्रत्याशी और पूर्व न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। यानी राधाकृष्णन ने 152 मतों के अंतर से यह चुनाव जीता। परिणाम की घोषणा राज्यसभा के महासचिव प्रमोद चंद्र मोदी ने की।
किसान परिवार से राष्ट्रीय राजनीति तक
20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में जन्मे चंद्रपुरम पोनुसामी राधाकृष्णन का जीवन सफर एक किसान परिवार से शुरू होकर राष्ट्रीय राजनीति के शीर्ष पद तक पहुंचा। उन्होंने वी. ओ. चिदंबरम कॉलेज, तुलूकोड़ी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (BBA) की पढ़ाई की। शुरुआती दिनों में उनका जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से हुआ और वे 1974 में जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति में शामिल हुए।
राजनीति और संसदीय अनुभव
भाजपा में संगठनात्मक जिम्मेदारियों के साथ उन्होंने अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाया। 1996 में वे तमिलनाडु भाजपा के सचिव और 2004 से 2007 तक राज्य अध्यक्ष रहे। 1998 और 1999 में वे कोयंबटूर लोकसभा सीट से लगातार दो बार सांसद चुने गए और हर बार डीएमके के उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया। संसद में रहते हुए वे वित्त, वस्त्र और सार्वजनिक उपक्रम जैसी समितियों के सदस्य और अध्यक्ष भी रहे। 2003 में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में किया।

प्रशासनिक और संवैधानिक भूमिकाएँ
राजनीति से आगे बढ़कर राधाकृष्णन ने प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ भी संभालीं। 2016 से 2020 तक वे कोइर बोर्ड के अध्यक्ष रहे और इस दौरान कोइर उत्पादों के निर्यात को रिकॉर्ड 2,532 करोड़ रुपए तक पहुंचाया। 2020-22 में उन्हें भाजपा का केरल प्रभारी बनाया गया। फरवरी 2023 में वे झारखंड के राज्यपाल नियुक्त हुए और बाद में तेलंगाना के राज्यपाल व पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार संभाला। जुलाई 2024 में उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद की शपथ ली।
उपराष्ट्रपति पद की ओर
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफे के बाद अगस्त 2025 में भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने राधाकृष्णन को एनडीए का उम्मीदवार घोषित किया। विपक्ष की ओर से न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी मैदान में उतरे। 9 सितंबर को हुए मतदान में राधाकृष्णन को स्पष्ट बहुमत मिला और उन्होंने जीत दर्ज की।
आगे की जिम्मेदारी और राजनीतिक संकेत
अब राधाकृष्णन न केवल देश के उपराष्ट्रपति होंगे बल्कि राज्यसभा के सभापति के रूप में सदन का संचालन भी करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह परिणाम संसद में एनडीए की संख्यात्मक मजबूती और विपक्ष की सीमित एकजुटता का संकेत देता है। साथ ही, राधाकृष्णन का संगठनात्मक अनुभव और संयमित व्यक्तित्व उन्हें इस नई भूमिका में मजबूती प्रदान करेगा।