9 सितम्बर को उप राष्ट्रपति का चुनाव सम्पन्न हो गया, नतीजा भी आ गया, एनडीए समर्थित आरएसएस वाले सी पी राधाकृष्णन अपने प्रतिद्वंद्वी इंडिया एलायंस समर्थित जस्टिस वी सुदर्शन रेड्डी से चुनाव जीत गये। जहां राधाकृष्णन को 452 वोट मिले वहीं जस्टिस सुदर्शन को 300 वोट मिले। यानी राधाकृष्णन ने 152 वोटों से जीत हासिल की है। मामला खत्म हो गया।
लेकिन दूसरे दिन से ही मीडिया में इस बात को लेकर बहस शुरू हो गई कि उप राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग हुई वोट रिजेक्ट हुए और यह बात सही भी है लेकिन क्रास वोटिंग किसने की है किनके वोट केंसिल हुए हैं उन पार्टियों के और उन सांसदों के नामों पर ना केवल कयास लगाए जाने लगे बल्कि बकायदा पार्टियों और सांसदों के नामों तक का खुलासा किया जाने लगा है । जबकि जो मतदान हुआ है वह गुप्त मतदान है। क्रास वोटिंग किसने - किसने की है इसका खुलासा क्रास वोट करने वाले के अलावा कोई भी नहीं कर सकता है और जिनने क्रास वोटिंग की है वे बताने से रहे।
कुछ अखबारों में प्रकाशित खबरों पर गौर किया जाना चाहिए जो क्रास वोटिंग पर रिपोर्टिंग कर रहे हैं। The Indian Express - - Where did the numbers go ? Day after Vice President poll, Opposition parties have a math problem. दि हिन्दुस्तान - - उध्व गुट में सेंध लगाने वाला कौन ? इंडिया गठबंधन के सांसदों से कैसे करवा दी क्रास वोटिंग। दि हिन्दुस्तान - - उध्व ठाकरे के 5 और शरद पवार की पार्टी के कुछ सांसदों ने किया क्रास वोट, किसने किया ? एनडीए उम्मीदवार को पड़े 452 विपक्षी उम्मीदवार जस्टिस वी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। क्रास वोटिंग के संकेत मिले। दि हिन्दुस्तान - - भाजपा ने 20 करोड़ में खरीदा एक सांसद, टीएमसी ने बताया कौन कर सकता है क्रास वोटिंग। दि हिन्दुस्तान - - किसके ईशारे पर क्रास वोटिंग का खेल ?
समाचार पत्र तो यह सब कुछ भी लिख रहे हैं। संजय निरूपम ने दावा किया है कि उध्व गुट के पांच सांसदों ने क्रास वोटिंग की है ! ऐसे में चर्चा इस बात की भी हो रही है कि इस खेल का मुख्य खिलाड़ी कौन था ? इंडियन एक्सप्रेस के डेल्ही कांफिडेंसियल के मुताबिक भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे को केन्द्रीय नेतृत्व ने एनडीए के उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन के लिए समर्थन जुटाने के लिए चुना था। रिपोर्ट में अंदरूनी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि श्रीकांत शिंदे ने ना केवल एनडीए के सांसदों को एकजुट रखा बल्कि महाराष्ट्र से राधाकृष्णन के लिए कुछ अतिरिक्त वोट जुगाड़ करने में भी कामयाबी हासिल की। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 38 वर्षीय श्रीकांत शिंदे ने ऐसा इसलिए सफलता पूर्वक किया क्योंकि सभी दलों में उनके दोस्त हैं। एकनाथ शिंदे ने भी बाद में सोशल मीडिया मंच एक्स पर इसका ईशारा करते हुए लिखा "इंडिया गठबंधन और महा विकास आघाड़ी (एमवीए) में हमारे उन दोस्तों का विशेष धन्यावाद जिन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और एनडीए का समर्थन किया। कभी-कभी अंतरात्मा की आवाज पार्टी व्हिप पर भारी पड़ जाती है।

कहा तो यहां तक जाता है कि 15 वोटों का नहीं घपला तो 26 वोटों का है। 15 वोटों की हेराफेरी में 10 वोट बीजेपी के हैं और 5 वोट कांग्रेस के हैं। जितने मुंह उतने दावे हो रहे हैं । लेकिन पुख्ता सबूत किसी के पास नहीं है केवल हवा हवाई अटकलबाज़ी हो रही है । मगर इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश में कैसे हार्स ट्रेडिंग कर कमलनाथ की सरकार के दोपाये माननीयों को अपने पाले में लाकर अपनी सरकार बनाई थी । कैसे बाला साहब ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी के दोपायों को अलग कर पार्टियों का दो फाड़ कराया गया था। उस समय भी कहा गया था कि हरएक विधायक को 50 खोखे यानी 50 करोड़ रुपये देकर खरीदा गया था। अब अगर सांसद को 20 खोखे दिये गये हैं तो फिर यह सांसदों का शर्मनाक अवमूल्यन है। वह इसलिए भी कि एक संसदीय क्षेत्र में कम से कम 4 विधानसभा क्षेत्र ही मान लिए जांय यानी 4 दोपाये। तब भी हरएक सांसद को कम से कम 200 खोखे तो मिलने ही चाहिए। बाकी तो उन दोपायों की मर्जी है कि वे कितने में बिकने को तैयार हैं।

फिलहाल बात की जाय इस सबूत विहीन लगाये गये आरोपों पर की गई कुछ नेताओं की प्रतिक्रियात्मक टिप्पणियों पर। कांग्रेस के सांसदों पर भी क्रास वोटिंग करने - रिजेक्ट हुए वोटों को लेकर आरोप लगाये जा रहे हैं। जिस पर प्रतिक्रियात्मक टिप्पणी करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहे जाने वाले मनीष तिवारी ने न केवल पार्टी के सांसदों की निष्ठा और विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा किया बल्कि पार्टी नेतृत्व यानी कहा जाय तो सीधे तौर पर राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा दिया है। मनीष तिवारी से जब एक पत्रकार ने क्रास वोटिंग को लेकर सवाल किया तो वे क्रास वोटिंग क्यों की जाती है उसके प्रकार बताने लगे। मनीष ने कहा कि व्यक्तिगत लालच के वशीभूत होकर क्रास वोटिंग किया जाता है, पार्टी से विश्वासघात करने की मंशा से क्रास वोटिंग की जाती है। पार्टी की लीडरशिप कमजोर होने पर भी क्रास वोटिंग की जाती है। अब अगर कांग्रेस सांसदों पर लगाया जा रहा क्रास वोटिंग का आरोप सही है या वह बीजेपी के सांसद हों या फिर वह किसी भी पार्टी के सांसद हों जिनने भी क्रास वोटिंग की है भले ही वह अंतरात्मा की आवाज पर ही क्यों न करी हो वे लालची हैं, विश्वासघाती हैं और उनकी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कमजोर है। ऐसे सांसदों को एकबार फिर अपनी अंतरात्मा को टटोल कर अपनी सांसदी और पार्टी से इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर अपनी पार्टी के हाईकमान को हलफनामा देते हुए बताना चाहिए कि उसने न तो क्रास वोटिंग की है न ही रिजेक्ट किये जाने लायक वोट डाला है।
जहां तक डाले गये वोटों को रिजेक्ट किये जाने का सवाल है उसमें भी बीजेपी पहले से ही आरोपित होती रही है। हरियाणा और उत्तराखंड इसके सबसे बड़े जीते-जागते उदाहरण हैं। जहां वोट गिनने वाले ही शाजिशकर्ता के रूप में सामने आये थे । सरकार के लिए भी चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात है कि वोटों की हेराफेरी पकड़ी गई थी और इस पर देश की सबसे बड़ी अदालत को दखलंदाजी करनी पड़ी थी । अगर उप राष्ट्रपति के चुनाव में भी जो वोट रिजेक्ट किये गये हैं और उन पर संदेहात्मक ऊंगली उठाई जा रही है तो इसको नजरअंदाज करने के बजाय विश्वसनीयता कायम रखने के लिए हकीकत देश के सामने लाया जाना चाहिए।

महाराष्ट्र के ढाई वर्षीय मुख्यमंत्री रह चुके एकनाथ शिंदे ने जिस तरह की टिप्पणी की है वह भी इस बात की ओर ईशारा करती है कि महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों मसलन शिवसेना (उध्व ठाकरे गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) के सांसदों ने क्रास वोटिंग की है। इसी तरह पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे ने जिस तरह से 20-20 करोड़ में सांसदों के बिकने और बीजेपी द्वारा खरीदे जाने का आरोप लगाया है तो क्या उनकी अपनी पार्टी टीएमसी के सांसद भी बीजेपी ने खरीदे हैं इसका खुलासा भी करना चाहिए पार्टी सुप्रीमो सीएम ममता बनर्जी को। भले ही हार्स ट्रेडिंग का खेल बीजेपी 2014 के बाद से बकायदा दोपायों की मंडी सजा कर करती आ रही हो !
रिजेक्ट हुए वोट भी सांसदों की योग्यता पर सवालिया निशान लगाते हैं। क्या सांसद अपढ़, अयोग्य, मूर्ख हैं जो सही तरीके से अपना वोट भी नहीं डाल पाते वह भी तब जब उन्हें उनका हाईकमान तोते की तरह पढ़ाता-सिखाता है। जनता तो यही मानकर चलती है कि उसके द्वारा चुने गए माननीय पढ़े लिखे न सही समझदार तो हैं। मगर जब संसद के भीतर इस तरह से वोट रिजेक्ट होते हैं तो जनता की भावनाओं पर कुठाराघात होता है और वह ऐसे जाहिलों को चुनकर पछताती है।
जिस तरह से उप राष्ट्रपति चुनाव के बाद से क्रास वोटिंग को लेकर खबरें चलाई जा रही है उसमें इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि यह सब सत्ता के ईशारे पर किया जा रहा हो इंडिया एलायंस और विपक्षी एकजुटता को विखंडित करने के लिए। इसका कारण भी है कि सत्ताधारी के कैंडीडेट जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति चुनने में तब जितने प्रतिशत वोट मिले थे अब जब सी पी राधाकृष्णन को चुना गया है उसमें भारी प्रतिशत की गिरावट आई है। जो इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि इंडिया एलायंस में एकजुटता है और सत्ताधारी उस एकजुटता से भयभीत है और उस एकजुटता को विखंडित करने के लिए इस तरह की खबरें (इंडिया गठबंधन में गद्दार कौन ?) चलवा रही हो तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार