.jpeg)
बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था
हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा
यह कहावत वैशाली जिले पर आज के परिप्रेक्ष्य में सत्य प्रतीत होता है। आज लगभग तीन वर्षों से जिस अधिकारी को जिला का प्रमुख बनाया गया है वह हैं यशपाल मीणा जिलाधिकारी वैशाली। जहां जिलाधिकारी के रूप में वैशाली आते ही पूरे प्रशासनिक महकमों में भारी हंगामा मचाया हुआ था। वहीं धीरे - धीरे अपनी जिम्मेदारियों से खुद को मुक्त कर जनतंत्र के नाम पर जनता का शोषण करने में लग गए।

यशपाल मीणा ने प्रारंभिक प्रभार में हाजीपुर शहर में अतिक्रमण और जाम पर एक सप्ताह काम किया और फिर अपनी उपस्थिति को शुन्य कर दिया। नगरीय प्रशासन के साथ मिलकर हाजीपुर नगर परिषद में सड़कों को गड्ढों में तब्दील कर गड्ढों को ही सड़क मानकर अवैध वसूली की दुकान चला रहे हैं। सरकार के नज़र में जो क्षेत्र सड़क माना जाता है वह आज गड्ढों का महा त्रास बना दिया गया है और निर्माण के नाम पर लोगों को मौत के मुंह में धकेला जा रहा है।

कुछ तस्वीरें आपके बीच रख रहें हैं जो कि कोविड - 19 से भी भयावह रूप लेकर आम जन का जीवन ले रहा है। महामारी को जन्म देने वाले गतिविधियों से सड़कों का निर्माण पिछले एक महीने से राजेन्द्र चौक से गुदरी रोड में चल रहा है और अब तक 200 मीटर भी सड़क का निर्णय हुआ है जिसमें 30% से ज्यादा काम अधूरे और दुर्घटना को बढ़ावा देने वाले रूप में सड़कों पर विकसित किया गया है।

यशपाल मीणा को दर्जनों बार सूचित करने के बावजूद भी जिलाधिकारी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगता है। वह इसे राजनीतिक चाटुकारिता का भी एक हिस्सा माना जाता हैं। नगर परिषद हाजीपुर की जो स्थिति बनाई गई है वह मौत का केंद्र बिंदु बनाकर रख दिया है और मौत की दुकान को कैसे समाधान की ओर ले जाया जाए यह जनता को ही पता है और चलता है।

जैसा सांसद और विधायक और सभापति का चयन लोगों ने किया है उसका परिणाम है कि नगर परिषद हाजीपुर को मौत का केंद्र बना दिया गया है।