सरजी, पहलगाम में पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को 26 निर्दोष नागरिकों का धर्म पुछकर (हिंदुओं का) नरसंहार किया था। बदले की आग में जलते भारत ने,एयर स्ट्राइक किया और 100 से अधिक आतंकी मारे गये। हमने न सिर्फ पहलगाम का बदला लिया बल्कि इतिहास में हुए आतंकी हमलों के आरोपियों को भी मारा। आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया, पाकिस्तानी सेना के ठिकाने उड़ाये और सबसे बड़ी बात पाकिस्तान के 11 एयरबेस उड़ाये। अब खबर आ रही है कि हमारे ब्रम्होस मिसाइल ने अपना जलवा दिखाया और पाकिस्तानी न्युक्लियर अड्डों को भी नुकसान पहुंचाया है। अब दोनों देशों के बीच सीजफायर है। तो विचारणीय प्रश्न है कि भारत के परिप्रेक्ष्य में,पहलगाम की आतंकी घटना से लेकर सीजफायर तक की स्थिति क्या कहती है!!--उमाकाका बैठते हीं मुद्दा रख दिये।
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आप्रेशन सिंदूर से ये स्पष्ट हो गया है कि भारत का युद्ध सिर्फ पाकिस्तान से नहीं है बल्कि पाकिस्तान के साथ साथ चीन, तुर्की, अमरीकी डीप स्टेट एवं भारत के आंतरिक शत्रुओं से एक साथ है। पाकिस्तान मात्र सहायक की भूमिका में है। शत्रुओं की योजना वही थी जो यूक्रेन ने रुस के साथ किया है। रुस के विरुद्ध अमेरिका, तुर्की, ब्रिटेन और नाटो के सदस्य इस युद्ध को पीछे से लड़ रहे हैं। ये सभी भारत को भी रुस की तरह युद्ध में उलझाकर, भारत की प्रगति एवं भारतियों के सुख शांति को नष्ट करके अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। भारत के विरुद्ध ये मंडली पहले बंगलादेश से भारत को भिड़ाने की चाल चली थी लेकिन मोदी सरकार के सूझ-बूझ ने इसे असफल कर दिया तो पुनः पाकिस्तान से उलझाकर रुस की स्थिति में भारत को लाने की गोटी फीट की गई। महाभारत युद्ध में इतिहास भले हीं पाण्डवों को विजयी मानता हो लेकिन पाण्डवों ने अभिमन्यु सहित सभी पुत्रों को गंवाकर विजय प्राप्त की जिसका औचित्य हीं नहीं रहा। इस तीन दिनों के युद्ध में मोदी शासन में भारतीय सैन्य तंत्र ने जो कारनामें किये हैं उसे सदियों तक याद रखा जायेगा। हमारे सतर्क सैन्य कौशल ने मात्र तीन दिनों में शत्रु को छकाकर उनके मनसूबों को तहस-नहस कर दिया। इनके युद्ध कौशल ने हमें रुस-यूक्रेन की नियति में जाने से बचा लिया। हम इजरायल की हालत में जाने से भी बच गये। जो आज भी हमास से युद्ध में उलझा हुआ है। दुसरी ओर सारा विश्व,हमारी रक्षा प्रणाली एवं सरकार की डिप्लोमेसी से स्तब्ध है।जिस मानसिकता से पाकिस्तान अस्तित्व में आया वो भारत के भीतर भी तेजी से फल-फूल रहा है। ये आंतरिक, अलग लड़ाई है जिससे निपटना और भी कठीन एवं जटिल है। ऐसी मानसिकता के साथ सह-अस्तित्व संभव हीं नहीं। आज भारत जिन मायावी शत्रुओं से घीरा है वैसी स्थिति में हम,पारम्परिक युद्ध के तौर-तरीकों से नहीं जीत सकते। भारत को रहना है तो पाकिस्तान को तो एक दिन मरना हीं होगा। पाकिस्तान को उस मुकाम तक ले जाना होगा जहां खुद छटपटाते हुए दम तोड़ दे।लेकिन हम अपनी क्षति की कीमत पर नहीं चाहेंगे। इस तीन दिनों के युद्ध ने पाकिस्तान को ऐसे जख्म दे दिया है जो भविष्य में उसके अस्तित्व को हीं समाप्त कर देगा और यही उसके सहयोगियों की असली हार होगी।--मैं चुप हुआ।
इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में........
बाप रे!! भारत आ सनातनी के खिलाफ,अतना खतरनाक षड्यंत्र!! भगवान के लाख-लाख धन्यवाद बा जे "मोदी" निहन छतरी देश के मिल गईल बा।--मुखियाजी हाथ जोड़कर भगवान का शुक्रिया अदा करते हुए।
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मुखियाजी, अभी थोड़ा ठहरिये!मोदी के डंडे की आवाज, पाकिस्तान को अब तड़पायेगी। मुस्लिम परस्त नेहरू ने जानबूझकर पाकिस्तान के साथ "सिंधु नदी जल समझौता" करके भारत के गले में फंसती डाल दी थी। मोदीजी ने भारत को इस समझौते से मुक्त करके, बगैर मिसाइल दागे हीं उठाकर पटक दिया है। देश के विभाजन के साथ हीं पाकिस्तान का भारत के साथ किये गये करनी का फल, उसे पानी के लिए तड़पाकर दिया जायेगा।--मास्टर साहब मुंह बनाये।
मुखियाजी, पहलगाम कांड के बाद मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तानियों का वीजा रद्द करने और फौरन भारत छोड़ने के हुक्म के साथ हीं एक बड़े षड्यंत्र का भी खुलासा हो गया।--सुरेंद्र भाई बोले पड़े।
उ का एक मास्टर साहब!!--मुखियाजी पुछे।
हम मुस्लिम घुसपैठियों में बंग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ हीं जानते थे लेकिन दशकों से भारत में 5 लाख से भी अधिक मुस्लिम महिलाएं हैं जो औसतन अपने 6 बच्चों के साथ भारत में रहतीं हैं और निकाह अर्थात विवाह पाकिस्तानियों से की हैं। उनके बच्चे भी माता पिता बन चूकें हैं।इन सबकी जनसंख्या एक करोड़ से भी अधिक हो चूकी है।ये पाकिस्तानी पुरुषों से विवाहित स्त्रियां, अपनी नागरिकता भारत की हीं रखीं हैं और ये सभी मुस्लिम महिलाएं और बच्चे अवैध रूप से भारत में रहते हुए भारत में हिंदुओं के टैक्स के हजारों करोड़ की नागरिक सुलभ सुविधाओं का उपभोग भी करते रहे हैं।--सुरेंद्र भाई स्पष्ट किये।
एकरा मतलब इ भईल कि हमारे पइसा प, हमरे खा के, करोड़ से उपर जिहादी हमरे देश में बाड़े। हे भगवान! इ कांग्रेस तो "गजवा ए हिंद" के पुरा व्यवस्था बांध देले बिया।--मुखियाजी दुखी लगे।
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सरजी, आपने जो आंतरिक मोर्चे की बात की है वो बिल्कुल साफ हो गया। अब समझ में आया कि क्यों पहलगाम की घटना के बाद क्यों देश के सारे मुस्लिम मौलाना, मौलवी, यहां तक की ओबैसी जैसा मुस्लिम परस्त नेता हीं नहीं सारे इंडी गठबंधन वाले मोदीजी को पाकिस्तान से बदला लेने के लिए ललकारते नजर आये और जब सीजफायर हुआ तो सीजफायर पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करने लगे। अर्थात चीन और अन्य की तरह विपक्षी भी चाहते हैं कि भारत युद्ध में उलझकर अपनी अर्थव्यवस्था चौपट कर ले। आज भारतीय डिप्लोमेसी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय सैन्य शक्ति का जो माहौल बना है उससे कुछ खास विषेश पीड़ित हैं। एक तो स्वयं पाकिस्तान और दुसरा विपक्षी पार्टियां खासतौर पर कांग्रेस। मोदी की दूरदर्शिता ने एक साथ पाकिस्तान, चीन, अमरीकी डीप स्टेट और आंतरिक मोर्चे को निराश कर दिया है।--डा.पिंटु मुस्कुराये।
मुखियाजी, मुस्लिम देशों पर विश्वास करना गुनाह है।यही तुर्की है जहां जब भयानक भूकंप आया था तो भारत,तुर्की को उस त्रासदी से उबरने में भारत सबसे बड़ा सहायक बना था लेकिन जब भारत अपने मरे लोगों को न्याय देना चाहा तो तुर्की हत्यारों के साथ खड़ा हो गया और उसे सिर्फ "खलिफा" का सपना याद रहा जो पुरे विश्व के इस्लामीकरण की सोंच रखता है। पाकिस्तान को हमारे विरुद्ध आधुनिक शक्तिशाली ड्रोन, हथियार मुहैया कराया। इससे तो उसकी नियत साफ झलकती है।--मास्टर साहब मुंह बनाये।
मास्टर साहब, पाकिस्तान के नूरखान एयरबेस पर जो सैनिकों का गढ़ होने के साथ साथ पाकिस्तान का न्यूक्लियर स्टोरेज भी है,पर भारत के मिसाइल अटैक का खतरा देखते हीं अमरीका बिलबिला उठा और "मान न मान, मैं तेरा मेहमान" की तर्ज पर सीजफायर करवाने के लिए कूद पड़ा। इससे तो साफ हो गया है कि पाकिस्तान स्वयं में परमाणु शक्ति नहीं अपितु अमरीका द्वारा स्थापित परमाणु ठिकाने हैं वहां। पाकिस्तान में अमरीकी परमाणु ठिकाने बने रहे इसी के मद्देनजर अमरीका अतीत से आजतक पाकिस्तान को आर्थिक मदद देता आया है। पाकिस्तान आतंकवाद की जन्मस्थली है और भारत के विरोध के बावजूद आईएमएफ द्वारा हाल में पाकिस्तान को बीसवीं बार एक अरब डॉलर से अधिक का कर्ज देना क्या कहता है!!--उमाकाका हाथ चमकाये।
ठीक बोले काकाजी, इस तीन चार दिनों के युद्ध ने भारत और सनातनियों के बाहरी और अंदरूनी दुश्मनों की पहचान और कली तो खोल कर रख दी हीं है, साथ साथ यह भी सिद्ध कर दिया कि आज का भारत किसी ऐरु-गैरु के हाथों नहीं है। आज का भारत बदला हुआ भारत है जो हर मोर्चे पर विश्व में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर रहा है। ये मोदी है तो, ना मुमकिन नहीं। मोदी है तो मुमकिन है। अच्छा अब चला जाय।कहकर कुंवरजी उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी.......!!!!!
आलेख - लेखक
प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)