सरजी, मेरे ख्याल से "फील्ड मार्शल" की उपाधि या पद,युद्ध के दौरान असाधारण परिस्थितियों में प्रदर्शित किये गये विशेष क्षमता, सूझ-बूझ, साहस या शौर्य के पश्चात हीं प्राप्त होता है। लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के पश्चात जब भारत ने आप्रेशन सिंदूर लॉन्च किया तो पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर जो अपने सैनिकों को, काफिरों का अंत करने के लिए कुरान की आयतों की शिक्षा दिया करते थे, उनका जब भारत के शूरवीरों से पाला पड़ा तो खबर ये आने लगी कि ये बकरा डर के मारे,किसी बंकर में दुम दबाकर छिपा बैठा था।
इसके आप्रेशन सिंदूर के भय से बंकर में छुपने के शौर्य पूर्ण करतब के लिए, पाकिस्तान सरकार ने इस काबिल सेनाध्यक्ष को "फिल्ड मार्शल" के पद पर सुशोभित किया है।--बैठते हीं हंसते हुए,मास्टर साहब ने मुद्दा रख दिया।
मास्टर साहब, पाकिस्तान में फिल्ड मार्शल बनने की कहानी बिलकुल एक जैसी है। इस मुनीर के फिल्ड मार्शल बनने के पहले एक मात्र फिल्ड मार्शल, सैन्य शासक अयुब खान थे। जो 1959 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद खुद हीं खुद को फिल्ड मार्शल के शीर्ष रैंक पर सुशोभित कर लिया था।--उमाकाका हाथ चमकाये।
काकाजी,इ पकिस्तनिया कुल, झूठ फरेब बोले में पीएचडी के डिग्री लेले बाड़न स। तबे नु अतना पिटइला के बादो,पीठ झारके कहतारे से जे हम जीतलबानी।--मुखियाजी खैनी मलते हुए।
इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में..........
मुखियाजी, पाकिस्तान में असली शासन तो सेना का है प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उसकी पार्टी तो इसी मुनीर के रहमो-करम पर सत्ता में आई है। जैसा मुनीर चाहता है वही वहां की सरकार करती है। वहां की सरकार और सेना, दोनों ने मिलकर जनता को गुमराह करने का काम किया है। संभवतः इसी झूठ को सच साबित करने के लिए कि हमने भारत को हरा दिया है, इस खुशी में सेनाध्यक्ष मुनीर को,फिल्ड मार्शल का पद दिया गया हो। लेकिन आज का युग डिजिटल है। पाकिस्तानी भी समझ गये हैं कि भारत ने मुनीर की पहलगाम शाजिस का बदला, आतंकियों के अड्डों पर स्ट्राइक करके 100 से अधिक आतंकियों को जहन्नुम भेजकर, पाकिस्तान के डिफेंस सिस्टम और 9 एयरबेस के साथ साथ उसके कई सैन्य विमानों को उड़ाकर ले लिया है।--डा. पिंटू भी हाथ चमकाये।
जानते हैं मुखियाजी!जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की बहन अपने भाई से मिलकर जेल के बाहर आकर बोली कि मेरा भाई कह रहा था कि आर्मी चीफ जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल नहीं सीधे राजा घोषित कर देना चाहिए था क्योंकि इस देश में जंगल कानून चल रहा है और जंगल में एक हीं राजा होता है। यही इमरान खान का तंज कसा हुआ वक्तव्य 22 मई को एक्स पर भी दिखा।--सुरेंद्र भाई हंसे।

अपने को फील्ड मार्शल घोषित करवाने के पिछे मुनीर के कई मकसद हैं। अगर सत्ता पर से मुनीर की पकड़ खत्म हो जाती है और उसके उपर भविष्य में "आप्रेशन सिंदूर" को लेकर सवाल उठते हैं तो उसे ये फील्ड मार्शल का पद, किसी भी सजा से बचा लेगा। दुसरी बात की आजीवन इस ओहदे का वेतन और सुविधाएं भोगता रहेगा। भले हीं भिखमंगे पाकिस्तान का कर्जे का हीं पैसा क्यों न हो।--उमाकाका बोल पड़े।
इसमें तो दो मत नहीं कि मुनीर ने ये पद अयुब खान की तरह खुद हीं हासिल किया है लेकिन जनता का भरोसा कायम रखने के लिए इसे शहबाज सरकार द्वारा घोषित करवाया गया है। लेकिन इतना तो मानना पड़ेगा कि सेना और सत्ता, दोनों में मुनीर का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। अब भारत को सोचना है कि इसका दूरगामी प्रभाव हम पर क्या पड़ेगा!!--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।
कुंवर जी, पहली बात कि असीम मुनीर एक जिहादी व्यक्ति है जो स्वयं कहता है कि हम अपनी सेना को इस्लाम की शिक्षा देते हैं खासकर इस्लामिक क्रुरता, हिंसा से जुड़े फंडामेंटलिज्म। अर्थात पाकिस्तानी सेना और आतंकवाद एक दुसरे के प्रयाय हैं। मुनीर को फ़ील्ड मार्शल बनाने का तात्पर्य पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व जिहादी सर्वोच्च सेनापति के हाथों हीं रहेगी। भविष्य में भी पाकिस्तान आतंकवाद की निर्मामस्थली, शरणस्थली और निर्यातस्थली बनी रहेगी। समझिये कि फील्ड मार्शल बना मुनीर,अब भारत के खिलाफ और उग्र बातें करने को अधिकृत हो गया है।--मैं भी बहस में।
सरजी,देख रहे हैं न! आप्रेशन सिंदूर के बाद देश के भीतर कैसी-कैसी प्रतिक्रियायें दिख रहीं हैं!! चाहे विपक्षी राजनीतिक पार्टियां हों या भारत में रहकर, भारत का खाकर मजहबी गुलामों की कारगुजारियां हों!भारत से बाहर के दुश्मन चाहे पाकिस्तान हो या चीन,या बंगलादेश हो , इससे तो हमारी बहादुर सेना निपट लेगी लेकिन घर के भीतर के दुश्मनों से निपटना बहुत हीं जटिल है। ये पाकिस्तान यदि बड़ी बड़ी बातें करता है तो इस विश्वास पर कि भारत के भीतर हीं उसके शुभचिंतक भरे पड़ें हैं। --डा.पिंटु मुंह बनाये।
जो भी हो, भारत के एयर स्ट्राइक से जहन्नुम में गये आतंकियों के शवों को जिस तरह पाकिस्तान के झंडे में लपेटकर, शहीद का दर्जा देते पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तानी सेना नजर आये, उससे तो साफ है कि पाकिस्तान अपने स्वभाव को बदलने वाला नहीं। उपर से आतंक और जिहाद प्रेमी,असीम मुनीर का प्रोमोट होकर "फील्ड मार्शल" बनना भी इस बात का सबुत है कि पाकिस्तान और आतंकवाद का चोली दामन का संबंध इस "आप्रेशन सिंदूर" से टुटने वाला नहीं। भारत सरकार को अन्य ऑप्शंस भी ढुंढ़ने होंगे। अच्छा अब चला जाय।-- कहकर मास्टर साहब उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी......!!!!!
आलेख - लेखक
प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)