मुखियाजी, सामाजिक न्याय की बैसाखी कितनी शानदार , जानदार रही है कि उसके सहारे राजद सुप्रीमो,लालू यादव और उनकी ठेपाछाप पत्नी राबड़ी देवी, दोनों बिहार के मुख्यमंत्री रह चूके हैं। इतना हीं नहीं, बैसाखी ने चपरासी के क्वार्टर से उठाकर उनके परिवार को आज खरबपतियों की गिनती में ला खड़ा किया है। आजकल बिहार की राजनीति में ये परिवार फिर से सुर्खियों में है।--बैठकी जमते हीं उमाकाका मुस्कुराये।
हं काकाजी,सुननीहां जे लालू के छोटका तेजस्वीया के लड़िका भईल बा।--मुखियाजी सोफे पर पैर फैलाते हुए।
चलिये, इसके लिए लालू परिवार को शुभकामनाएं लेकिन उससे पहले लालूजी के बड़े लड़के ने सोसल मीडिया पर फोटो के साथ एक पोस्ट शेयर किया था जिसमें तेज प्रताप यादव ने स्पष्ट किया कि वो विगत 12 वर्षों से अनुष्का यादव के साथ रिलेशनशिप में हैं। खबर वायरल होने के बाद लालू यादव ने अपने इस बड़े बेटे को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित हीं नहीं किया है बल्कि सोशल मीडिया पर लिखा कि "निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि,लोकआचरण तथा गैरजिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूॅं। अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है।" इन्होंने आगे लिखा है कि"लोकजीवन में लोकलाज का सदैव हिमायती रहा हूॅं।"
भला बताइये! लालूजी की ओर से ऐसी बातें!! जबकि उनके मुख्यमंत्री काल में उनके जंगल राज से कौन नहीं वाकिफ है!! इनके जंगल राज में और सब की बात छोड़िये!खेत वाला किसान तक,रात को खेत की रखवाली करने से भी डरता था कि कहीं अपहरण ना हो जाय या हाथ का टार्च ना कोई छीन ले! जहां तक पारिवारिक संस्कार की बात है इनके छोटे पुत्र तेजस्वी यादव एक ईसाई से विवाह किया है जिसका नाम रेचल गोडिनो है जिसे बदलकर राजश्री यादव कर दिया गया है ताकि लोग ये समझें कि लालू की छोटी बहु यादव परिवार से हीं आती है। मैं इसे बुरा नहीं मानता बल्कि खुशी है कि दुसरे संप्रदाय की लड़की को इन्होंने बहु बनाया। खींज इस बात कि है कि इसे छुपाने के लिये बहु का नाम क्यों बदला!!--मास्टर साहब मुंह बनाये।
शायद विवाह के पूर्व रेचल ने धर्म बदलकर हिंदू बन गई हो इसलिये नाम भी हिंदू रख दिया गया। इसके लिए मैं लालू परिवार पर कॉमेंट नहीं चाहुंगा। हां इतना जरूर देखा गया है कि जिन राजनीतिज्ञों ने ईसाई से विवाह किया है वे सनातन विरोधी मानसिकता जरुर पाल लिये हैं जैसे दक्षिण भारत का स्टालिन परिवार।।--उमाकाका बोल पड़े।

इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में........
अजी,आज लालू यादव जिस नैतिकता की बात कर रहे हैं वो लालू राज में गुंडाराज,चारा घोटाला, बेनामी अवैध संपत्ति, नौकरी के बदले जमीन घोटाला, आदि करते वक्त नैतिकता और पारिवारिक संस्कार कहां छुप गये थे!!--कहकर डा.पिंटु बुरा सा मुंह बनाये।
सरजी, तेज प्रताप यादव का विवाह, भूतपूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती ऐश्वर्या राय से 2018 में हुई थी लेकिन आज दोनों के बीच तलाक का मुकदमा चल रहा है। तेज प्रताप के सोशल मीडिया पर यह स्वीकार करने के बाद कि विगत 12 वर्षों अर्थात 2013 से हीं अनुष्का यादव के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था तो ऐश्वर्या राय भी मिडिया के समक्ष आकर अपना दर्द साक्षा की और बोली कि "अब सबकुछ जाहिर हो गया तो मैं पुछती हूॅं कि इन लोगों को सब मालूम था तो मेरा विवाह करके मेरी जिंदगी क्यों बर्बाद किया गया!! मुझे मारा पीटा जाता था तब इन लोगों का सामाजिक न्याय कहां चला जाता था!! ऐश्वर्या राय ने आरोप लगाया है कि बिहार में चुनाव आने वाला है इसीलिए ये लोग ड्रामा कर रहे हैं। सभी मिले हुए हैं।"--सुरेंद्र भाई हाथ चमकाये।
मुखियाजी, अधिकांश लोग तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से निष्कासित करने को नौटंकी की संज्ञा दे रहे हैं। लालू यादव के साले सुभाष यादव भी स्वीकार करते हैं कि लालू परिवार को तेज प्रताप के पहले से अनुष्का के साथ चल रहे प्रेम प्रसंग की जानकारी नहीं होगी, ये मैं नहीं मानता। वहीं अनुष्का यादव का भाई आकाश यादव भी मिडिया के सामने आकर स्वीकार किया है कि मेरी छोटी बहन के साथ तेज प्रताप का रिश्ता चला आ रहा है। वो भी तेज प्रताप के विरुद्ध एक्शन को लेकर,लालू यादव को घर बर्बाद नहीं करने की चेतावनी दे रहा है।--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।
अच्छा सरजी,इ बतायीं जे तेज प्रताप के लेके लालू परिवार में जेवन विवाद उठल बा,ओकर आवे वाला बिहार चुनाव में केवनो असर होखी कि ना!!--मुखियाजी मेरी ओर देख कर।
मुखियाजी, लालू परिवार यह जानते हुए भी कि तेजप्रताप का पहले से प्रेम प्रसंग है, ऐश्वर्या राय से विवाह करके जघन्य अपराध किया है। यादव की बेटी की हत्या से भी बड़ा दुष्कर्म है लेकिन ये बिहार है। मूर्ख और मूढ़ बिहार!! बिहार के चुनाव में अब मात्र चार महीने शेष हैं। इस समय लालू परिवार द्वारा एक यादव युवती को धोखा और शोषण करने का प्रकरण सामने आने पर, इसका कोई खास प्रभाव पड़ेगा!!मैं नहीं समझता। जहां तक मुझे जानकारी मिली है, तेज प्रताप का नाम एक तीसरी लड़की नीतु सिन्हा से भी जुड़ा है जिसे लालू प्रसाद भी पसंद करते थे।हां, विपक्षियों खासतौर पर जदयू और भाजपा को लालू प्रसाद यादव और उनके वंशवादी पार्टी पर हमलावर होने का एक अवसर जरुर मिला है।
क्या बिहार वाले लालू के जंगल राज को नहीं झेलें हैं!! इनके विभिन्न घोटालों को सभी जानते हैं। ये चारा घोटाला में सजायाफ़्ता भी हैं तब भी इनकी पार्टी पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी रही। इनका छोटा बेटा तेजस्वी यादव,जो नवीं पास भी नहीं है लेकिन दो बार उप मुख्यमंत्री रहा और विपक्ष का नेता है। ये सब बिहार की राजनीति को दर्शाता है जो राजनीतिक नेतृत्व की योग्यता,चरित्र,या पारिवारिक संस्कार, संस्कृति पर निर्भर नहीं करता जितना जातिय और धार्मिक समिकरण पर! बिहार की जनता को नेताओं में लाख बराई दिखेगी लेकिन वोट जातिगत और धार्मिक आधार पर हीं देती आयी है। राजद से जुड़े यादव तो लालू परिवार को छोड़कर दुसरे को वोट नहीं देंगे जबकि राज्य के मुस्लिम वोटर तुष्टीकरण की नीति को ध्यान में रखकर हीं वोट करते हैं। लालू की राजद और कांग्रेस को मुसलमानों का शत-प्रतिशत मत मिलना हीं है। चुनाव में तेज प्रताप के वैवाहिक और प्रेम प्रसंग से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। हां खुद लालू परिवार में वर्चस्व का जो द्वंद्व दोनों भाईयों में दिखता रहा है उसका जरुर कुछ प्रभाव पड़ सकता है।--मैं चुप हुआ।
ठीक है, बिहार में जातिवादी राजनीति का बोलबाला रहा है लेकिन इस बार बिहार के चुनाव में एनडीए को लालू को बदनाम करने का एक अवसर जरुर मिला है। वैसे हाल में हुए आप्रेशन सिंदूर का प्रभाव भी चुनाव में दिख सकता है जिसका लाभ एनडीए को मिलेगा हीं इसमें दो मत नहीं। दुसरी बात कि पार्टी से तेज प्रताप को बाहर करने का निर्णय सही साबित होगा! ये मैं नहीं मानता। तेज प्रताप अपना राजनीतिक अस्तित्व बनाये रखने के लिए भले हीं राजद के विरुद्ध जाना हो, जायेंगे हीं जायेंगे, ऐसा मेरा मानना है तो स्वाभाविक है राजद को नुकसान होगा हीं। वैसे देखिये अभी चुनाव में चार महीने का समय है। राजनीतिक दिशायें कब रुख बदलेंगी कौन जानता है।अच्छा आज इतना हीं , चला जाय।--कहकर डा. पिंटू उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी....!!!!!
आलेख - लेखक
प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)