‘‘श्री जानकी बल्ल्भो विजयते’’
के सिद्धांत को अपनाकर आज श्री भगवान हनुमान जी के सच्चे भक्त श्री राजीव ब्रह्मर्षि ने अपने अकेले की सोच़ से इतिहास को बनाने से ज्यादा संवारने का काम किया हैं। आज 05 जून श्री गंगा दशहरा के शुभ असवर पर तीन दिवसीय अनुष्ठान के साथ श्री राजीव ब्रह्मर्षि के द्वारा ‘‘श्री मारुति हनुमान मंदिर’’ महावीर चौक प्राण प्रतिष्ठा के साथ हर एक सनातनियों के लिए समर्पित कर दिया।
श्री राजीव ब्रह्मर्षि को पहले आप जाने

श्री राजीव ब्रह्मर्षि को जो लोग आज तक जानते हैं वह कुछ नहीं जानते हैं और कोई दावा करता हैं तो वह उसके लिए आज भी 5 प्रतिशत ही होगी जानकारी। फिर भी यह बताने के लिए आलेख लिख रहा हूँ क्योंकि एक सच्चा सनातनी होना आसान नहीं होता हैं। एक सनातनी होना वह भी भारत जैसे देश में आज भी संकट हैं जब तथाकथित तौर पर हिन्दु की सरकार भारत में हैं और बिहार के अलावा अन्य राज्यों में भी हैं।
हर बच्चे को परिवार में जन्म से ही संस्कार के रूप में बड़ों को प्रणाम, नमस्कार, चरणस्पर्श जैसे आदर्शों से सींचा जाता हैं तो वहीं छोटो के लिए प्यार और स्नेह भाव एक पुँजी यानि धन के रूप में परोसा जाता हैं। इन सभी गुणें से युक्त श्री राजीव ब्रह्मर्षि एक अति मध्यवर्गीय परिवार में जन्म लिए और एक आदर्श पूर्ण जीवन सफर में चलते रहें। बहुत ही कम उम्र में माँ को केंसर की बीमारियों ने अपने बच्चों से अलग कर दिया, जिसके कारण परिवार से धन और संस्कृति (माता जी का असमय साथ छोड़ना) का छय हो गया। जिसके चंद दिनों बाद ही बहुत कम उम्र में श्री राजीव ब्रह्मर्षि को घर के बड़े लड़के होने के कारण शादी करनी पड़ी और जीवनसंगनी के रूप में आई श्रीमती पुनम कुमारी जो खुद भी बहुत कम उम्र की रहते हुए भी एक आदर्श पत्नी, बहु और बाद में दो अनमोल रत्न पुत्रों के साथ बहुत मजबूती के साथ आज खड़ी हैं।
एक संयुक्त परिवार मंे श्री राजीव ब्रह्मर्षि अपने पिता जी के साथ दादा-दादी और चाचाओं के साथ जीवन जीते हुए अपना स्नातक पुरा किया और व्यापार में लग गयें। 21 सदीं के पहले दशक के समाप्त होते - होते तक श्री राजीव ब्रह्मर्षि अपने कामों के अलावा समाजिक जीवन को भी समझने और उसमें समय देना प्रारंभ भी कर दिया। जिसके बाद ही उन्होंने घर की चार दिवारियों के बाहर निकलकर भी मंदिरों और सनातन परंपराओं को लेकर अपना संघर्ष प्रारंभ कर दिया था।
श्री राजीव ब्रह्मर्षि ने अपने एक सोच़ के आधार पर धीरे-धीरे युवाओं और प्रौढ़ों के बीच जगह बनाई और फिर हर एक सनातनी कार्यों में खुले तौर पर सड़कों पर उतरने लगें। सन् 2013-2014 में जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री पद के लिए चयन की प्रक्रिया पुरी हुई थी उससे पहले श्री राजीव ब्रह्मर्षि के दरवाजे पर उस समय के हिन्दुस्तान के सबसे बड़े हिन्दू व सनातनी मार्गदर्शक प्रवीन भाई तोगड़िया जी का आगमन हो चुका था। यह श्री राजीव ब्रह्मर्षि का प्रभाव ही था और उत्साह की लोगों ने प्रवीन भाई तोगड़िया जी को लेकर श्री राजीव ब्रह्मर्षि के साथ खड़े किए।
श्री राजीव ब्रह्मर्षि निरंतर हिन्दुत्व को लेकर प्रयास करते रहे और पहली बार अपने हिंदू पुत्र संगठन के माध्यम से ‘‘श्रीराम शोभा यात्रा’’ का आयोजन 2015 में किए और हरिहर क्षेत्र में पहली बार लोगों को इस तरह के आयोजन को देखने का मौका मिला। इस आयोजन के बाद श्री राजीव ब्रह्मर्षि लोगों के नज़रों से दूरी नहीं बना पाये और लाखों लोगों के बीच एक सच्चे सनातनी व हिंदू सेवक के रूप जाने जाने लगें।
षड्यंत्र और डराने व कद छोटा करने का प्रयास
श्री राजीव ब्रह्मर्षि के प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि धीरे-धीरे ‘‘श्रीराम शोभा यात्रा’’ एक सामान्य यात्रा भव्यता के साथ निरंतर चल पड़ी और उसमें इस क्षेत्र के पहले से स्थापित हिंदू संगठनों ने भी अपने अपने स्तर पर कार्यक्रम करने लगे। महज तीसरे वर्ष से ही स्थानिय नेताओं की नींद खुली और हिंदुत्व के चेहरे बन रहे श्री राजीव ब्रह्मर्षि के भविष्य में नेता बनने और हाजीपुर विधानसभा से प्रतिनिधित्व को लेकर डर समाने लगा। जिसके बाद ‘‘श्रीराम शोभा यात्रा’’ में अपनी भूमिका भी जबर्दस्ती घुसेरी ही कहा जाए तो उचित शब्द होगा।
श्री राजीव ब्रह्मर्षि के अकेले के सोच के साथ 2018 तक लाखों लोग जुड़ गए थे और राजनीतिक सत्ता दल को ही ज्यादा डर था तो खेल प्रारंभ होता हैं जो इस देश में सामान्य बात हैं और वह हैं मुकदमों का। श्री राजीव ब्रह्मर्षि के जीवन को देखेंगे तो 2018 के समय से उनके उपर 2 के पहाड़ा जैसे - 2, 2 दुनी 4, 2 तिया 6 करते - करते 2 बारहिए 24, 2 तेरहिए 26 और उससे और आगे बढ़ाकर लगभग 3 दर्जन से ज्यादा मुकदमें सत्ता पक्ष जबकि हिंदू की हैं तब हो गया है।
श्री राजीव ब्रह्मर्षि के साथ इतने मुकदमें अगर वर्तमान सत्ता के ना रहने पर होता तो लगता कि सेकुल्रर सत्ताधारियों ने किया हैं परंतु श्री राजीव ब्रह्मर्षि का प्रयोग तो सत्ताधारी करते आ रहे हैं और दुरूपायोग कर मुकदमों में धकेल देते हैं।
खैर, इसपर भी और बाते होगी, उससे ज्यादा जरूरी हैं कि आज की और बाते हों।
‘‘श्री मारुति हनुमान मंदिर’’ के लिए संघर्ष
श्री राजीव ब्रह्मर्षि को नागा अतीत श्री महंत श्री राघवेंद्र दास जी महाराज, हनुमान गढ़ी, अयोध्या धाम एवं श्री मारुति हनुमान मंदिर के परम श्रद्धेय संस्थापक व अधिष्ठाता का संदेश आया कि बहुत आप हिंदू की बात करते हैं और आज सनातन के धरोहर श्री बजरंगी का स्थान भारत सरकार खाली कराना चाहती हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजमार्ग जो कि पटना से मुजफ्फरपुर की ओर का मुख्य द्वार रामाशीष चौक हैं और वहाँ सड़कों के विस्तार में मंदिर बाधा बनी हुई थी। जिसको लेकर किसी भी तरीके से भारत सरकार द्वारा नियुति ठेकेदारों द्वारा महंत श्री राघवेंद्र दास जी को धमकाया भी जाता था और किसी भी समय भगवान को कहीं ले जाकर ऐसे ही स्थापित करने की अघोषित तैयारी भी हो चुकी थी। लेकिन श्री राजीव ब्रह्मर्षि ने आश्वासन दिया कि सड़क निर्माण में हम बाधक नहीं बनेगे, लेकिन मंदिर की स्थापना उचित व सही जगह पर ही होगी।
श्री राजीव ब्रह्मर्षि पर भी खुब दाबव बना जिसमें दुनिया के सामने सत्ताधारी हिंदूत्व की बात करते और पीठ पीछे कुछ और खेल था। जिसके कारण भी श्री राजीव ब्रह्मर्षि पर कई मुकदमें हाजीपुर क्षेत्र के बाहर भी हुए।
लेकिन जिसकी रक्षा में स्वयं श्री बजरंगी हो उसे कौन हरा सकता हैं और श्री राजीव ब्रह्मर्षि ने दो बार जेल का सफ़र भी तय किया विभिन्न मालों में जो कि हिंदुत्व को लेकर ही रहा हैं। वहीं श्री राजीव ब्रह्मर्षि ने लगभग 2-3 साल का संघर्ष कर आज जहाँ मंदिर बना हैं वहाँ जमीन सरकार से लड़कर लिया।
लेकिन यह लड़ाई भी आसान नहीं थी, क्योंकि श्री राजीव ब्रह्मर्षि का कद बहुत उँचाई की ओर बढ़ रहा था तो मंदिर के कई दिवारों को तोड़ा गया वहीं कई जमीन के क्षेत्रों में कब्जों के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा। आज जो यह भव्य मंदिर हमारे बीच हैं उसके लिए अकेले श्री राजीव ब्रह्मर्षि का जीवन लगा हुआ हैं। इसे समाज को गंभीरता से सोच़ना चाहिए।
संघर्ष
श्री राजीव ब्रह्मर्षि का संघर्ष बहुत बड़ा हैं तो परिणाम भी बहुत बड़ा मिला, लेकिन यह परिणाम समाज और सनातन के लिए सबसे बड़ी उपलब्धी बनकर हमारे समाने हैं। संघर्ष एक व्यक्ति से शुरू होता हैं और उस व्यक्ति के संघर्ष में एक-दो नहीं ऐसे सफलताओं के लिए हजारों लोगों के साथ और विश्वास की जरूरत होती हैं। श्री राजीव ब्रह्मर्षि को व्यक्तिगत तौर से मैं इतना जानता हूँ कि हर बात लिख दूँ तो एक पुस्तक बन जाएगा, लेकिन आज यहाँ यह करना चाहता हूँ कि श्री राजीव ब्रह्मर्षि को दर्जनों ऐसे लोगों का साथ मिला हैं जो कि अद्वितीय भी हैं और सफलता के लिए जरूरी और पहचान भी हैं। वैसे तमाम लोगों का नाम ले पाना मुश्किल हैं एक आलेख में लेकिन समय मिला तो पुस्तक जरूर लिखूँगा और उसमें सभी के सहयोग की चर्चा जरूर होगी।
संघर्ष का सबसे बड़ा शिकार उस व्यक्ति का परिवार होता हैं इसलिए श्री राजीव ब्रह्मर्षि के पूरे परिवार को लेकर सभी सनातनी परिवारों को उनके प्रति प्रेम, स्नेह, श्रद्धा, सम्मान और आशीर्वाद के साथ खड़ा रहने की आवश्यकता हैं।
श्री राजीव ब्रह्मर्षि को इस आलेख के माध्यम से एक ही संदेश हैं:- मैं हूँ ना .....
लेखक

मनीष कुमार सिंह