राघोपुर से भाजपा लड़ेगी 2025 विधानसभा चुनाव और उम्मीदवार होंगे नित्यानंद राय

नित्यानंद राय की केंद्र सरकार से छुट्टी का समय निर्धारित, तेजस्वी को हराओ नहीं तो मार्गदर्शक मंडल में बैठने को रहे तैयार

Manish Kumar Singh
Manish Kumar Singh
June 22, 2025

बिहार की राजनीति में नित्यानंद राय का राजनीतिक क़द देखकर भाजपा ने सांसद भी बनाया, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया और केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री भी बनाकर देख लिया। लेकिन 11 सालों में नित्यानंद राय ने तीसरी बार लोकसभा के सदस्य जरूर बने, वहीं जिस उद्देश्य से भाजपा जगह दी उसमें 1% की भी सफ़लता नहीं मिली।

आपको बता दें कि नित्यानंद राय पहली बार भाजपा के टिकट पर हाजीपुर से 2000 में विधायक बने और लगातार 4 चुनावों में विधायक बने रहें लेकिन बिहार सरकार में कभी मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिली। बिहार सरकार का नेतृत्व करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा से साफ़ छवि के लोगों को लेकर मंत्रीमंडल बनाया। नित्यानंद राय की छवि भले ही भाजपा में लगातार विधायक बनने की रही मगर जदयू का वैशाली जिले व हाजीपुर क्षेत्र में मजबूत होना भी नित्यानंद राय के लिए हमेशा संकट बना रहा। हाजीपुर के स्थानीय जदयू के लोगों ने माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नित्यानंद राय के अपराधों से परिचय कराते रहे और नतीजा रहा कि बिहार की राजनीति में नित्यानंद राय कुछ कर नहीं सकें।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भाजपा कार्यालय में काम करने वाले अवधेश सिंह को नित्यानंद राय ने 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिलवाया और पुनः जीत अब तक 3 बार हो चुकी है। पहली बार 2014 में उपचुनाव में और दो बार 2015 व 2020 के विधानसभा चुनाव में अवधेश सिंह विधायक बने हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से। हाजीपुर का दुर्भाग्य ही है कि नित्यानंद राय ने जिस अवधेश सिंह को विधायक बनाया या भाजपा ने टिकट दिया व भाजपा के हितों के लिए काम नहीं कर सका और कार्यालय कर्मचारी की तरह आज तक अवधेश सिंह नित्यानंद राय के लिए ही व्यक्तिगत रूप से सेवक बनकर ही है। खामियाजा भुगतना पिछले 2025 वर्षों से हाजीपुर की आम जनता को पड़ता है।

आज नित्यानंद राय और अवधेश सिंह के कामों पर नहीं लिख रहा हूं क्योंकि राजनीतिक जीवन में अब नित्यानंद राय का क़द ऐसे मोड़ पर आ गया हैं जहां से एक तरफ कुआं और दुसरी ओर खाईं है। आज तक नित्यानंद राय ने भाजपा के लिए जहां यादव मतदाओं को भाजपा के साथ जोड़ने में असफलता पाईं वहीं अपने परिवार के लोगों के लिए टिकट की पैरवी करने में लगातार लगें हैं। भाजपा ऐसा नहीं है कि परिवार के लोगों को टिकट नहीं देता है मगर परिवार में वैसे लोगों का होना भी जरूरी होता हैं। 

आपको बता दें कि विशेष सूत्र के अनुसार अपने भतीजे अरविंद राय के लिए हाजीपुर या राघोपुर से टिकट और अवधेश सिंह विधायक हाजीपुर के लिए उजियारपुर विधानसभा से टिकट मांगना महंगा पड़ा है। वहीं हाजीपुर से अवधेश सिंह का कोई दाबा नहीं है क्योंकि वह अनुकंपा नियुक्ति के तहत हाजीपुर से विधायक हैं इसलिए अपने लिए मुंह खोलने की हिम्मत ही नहीं है। वहीं भाजपा का संगठनात्मक संरचना वैशाली जिले में ऐसा हैं कि किसी दुसरे लोगो की हिम्मत नहीं हैं कि वह अपना नाम हाजीपुर और राघोपुर छोड़िए किसी भी सीट से नहीं मांग सकते हैं, जिसका कारण है डर यानि नित्यानंद राय का व्यक्तित्व।

सूत्र बताते हैं कि भाई - भतीजा वाद के कारण और लालू प्रसाद यादव को कमजोर करने के लिए तेजस्वी यादव का चुनाव में हारना आवश्यक है। तेजस्वी यादव को हराने के लिए भाजपा ने सर्वे कराकर देख लिया कि नित्यानंद राय के भतीजे अरविंद राय लगभग 50 हजार वोटों से हारेगा। वहीं कई नामों पर विचार के आधार पर जो केन्द्रीय नेतृत्व चाह रही है उसमें सबसे बड़ा और अंतिम नाम हैं नित्यानंद राय का। भाजपा इस बार अब कोई मौका नित्यानंद राय को नहीं देना चाहती हैं और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनकर जो धोखाधड़ी नित्यानंद राय ने किया था यादवों को अपनी ओर लाने का उसमें लगभग 1% से भी कम सफ़लता पाई थी। इसलिए सूत्रों के अनुसार नित्यानंद राय को राघोपुर सीट से तेजस्वी यादव के ख़िलाफ़ लड़ाने का मन बना चुकी हैं।

नित्यानंद राय का पुनः बिहार विधानसभा चुनाव में आना हाजीपुर सीट को मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता दिख रहा है। नित्यानंद राय का राघोपुर से भाजपा उम्मीदवार घोषित होने के साथ ही भतीजावाद पर पूर्ण विराम लग जाएगा। नित्यानंद राय के भतीजे अरविंद राय उजियारपुर से भी दावा ठोक सकते हैं लेकिन इस बार एक सीट पर यादवों को अपने साथ कितना जोड़ पाते हैं उसके बाद ही पता चलेगा कि आगे क्या होना है।

नित्यानंद राय अगर तेजस्वी यादव को हरा पाए तो बिहार में पहली बार मंत्री बनने का अवसर मिलेगा वहीं उपमुख्यमंत्री के पहले दावेदार बिना मांगे भी हो सकते हैं। अब इंतजार करिए अंतिम राजनीति का और भाजपा का बिहार में भी यह प्रयोग काफी प्रभावित करने वाला होगा कि केन्द्रीय नेतृत्व से लाकर राज्यों में भाजपा को मजबूत किया जाएगा।

वैसे भाजपा ने दर्जनों सांसदों को बिहार विधानसभा चुनाव में उतारने का लगभग विचार कर चुकी हैं। जिस पर आगे आपके बीच बातें रखीं जाएंगी। जिसमें सोनपुर से भी एक सांसद का लड़ना तय ही माना जाएगा क्योंकि वहां आपसी लड़ाई एक जाति में ही हैं और सांसद बहुत जोर देकर अपनी बेटी को सोनपुर से विधायक बनाना चाहते हैं। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व इस बार बदलाव के मुड में काम कर रही हैं।

881 views 0 likes 0 dislikes

Comments 0

No comments yet. Be the first to comment!