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भारत में देश की सरकार हो या राज्यों की सरकारें सब अपनी जिम्मेदारियों से खुद को मुक्त मानते हैं। खैर आज राष्ट्रीय चिंतन के साथ यह बात रखनी जरूरी है कि बिहार में NDA की सरकार हैं और यह गठबंधन लगभग 2005 से अबतक बनी हुई है बीच के 2 साल लगभग छोड़ दें तो। वहीं वर्तमान NDA गठबंधन जो कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही है उसके 11 साल से उपर हो गए हैं।
राघोपुर एक टापू के रूप में लगभग आजादी के 78वें साल में भी हैं और अब जाकर उसे सामान्य जरूर और जीवनशैली में बने रहने का अवसर मिलेगा। कल सुबह लगभग 10 बजे माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कच्ची दरगाह पटना क्षेत्र से बिदुपुर वैशाली क्षेत्र तक सिक्स लेन का गंगा ब्रिज बनकर तैयार का उद्धाटन करेंगे।

यह ब्रिज जैसे ही उद्धाटन की प्रक्रिया से गुजरेगा कि NDA गठबंधन इसका बाजारीकरण और मार्केटिंग कर अपनी उपलब्धियों के साथ जोड़ने में लग जाएगी।
वहीं आज वैशाली जिले के जिला पदाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा विधि व्यवस्था व सुरक्षा की दृष्टिकोण से कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया गया एवं वहां प्रतिनियुक्ति पदाधिकारी व दंडाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया। जिसके बाद यह तो तय हो ही जाता हैं कि नवनिर्मित पुल लोगों के जीवन में खुशहाली लेकर आने वाली हैं।

वहीं राघोपुर क्षेत्र के लोगों को और उस क्षेत्र में जिनके भी रिश्ते हैं उन्हें इस आधार पर वोटिंग करते समय वोट बिल्कुल नहीं करना चाहिए कि NDA गठबंधन ने सड़क निर्माण किया है। यह बात हमेशा अपने ज़हन में रखना चाहिए कि अब अति हो चुका था और इसलिए समय की मांग के अनुसार राघोपुर के लिए यह अवसर आया है। राघोपुर को यह विकास और प्रतिष्ठान आज से कम से कम 50 साल पहले ही मिल जाना चाहिए था।

अगर वह 50 साल पहले नहीं मिला तो कम से कम लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के सत्ता में रहते जरूर आज से 25-30 साल पहले ही मिल जाना चाहिए था। लेकिन राघोपुर की जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार के अवसरों से दूर रखने का निरंतर प्रयास किया गया है। वहीं आज 2005 से सत्ताधारी पार्टी BJP और JDU के साथ रामविलास पासवान, पशुपति नाथ पारस और चिराग पासवान के गठबंधन ने भी खुब ठगने का काम किया है।

कल उद्धाटन के बाद राघोपुर की जनता को पुनः याद रखने की जरूरत है कि किसी ने आपके लिए कुछ नहीं किया है बस समय आ गया था कि अब नहीं पुल का निर्माण होता तो सरकारें जुता खाती इसलिए आपको एक जिंदगी के अंतिम समय में कोमा में ऑक्सीजन देने जैसा कदम हैं।