
नगर परिषद हाजीपुर को अगर नरक परिषद, हाजीपुर कहे तो बुरा नहीं होगा। सभापति का चुनाव इस बार तथाकथित तौर पर सीधे जनता के हाथों में था लेकिन बागडोर संभाली भाजपा ने और सभापति बना लिया। वर्तमान सभापति को पूर्व में सभापति पद दिलाने वालों को छोड़ नई गिरफ्त में आकर सीधे चुनाव में जीत हासिल की। वहीं राजनीति में इतनी तेजी से बढ़ते हुए जिनको भी देखा गया है उसका राजनीतिक अंत बहुत बुरा होता हैं। तब और बुरा वक्त होता हैं जब भाजपा का समर्थन हो और एक छोटी सी गलती के साथ मिट्टी में खुद मिला देती हैं भारतीय जनता पार्टी।
खैर भारतीय जनता पार्टी यानी BJP का लगातार 2000 से आज 2025 तक हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र पर कब्जा हैं। हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में ही BJP का मुख्य अड्डा कहे या मजबूती हैं, लेकिन हाजीपुर क्षेत्र में गुड्डा गर्दी बहुत ज्यादा है। नगर परिषद हाजीपुर क्षेत्र में कोई भी कार्य होता है तो आज सीधे तौर पर BJP के देख रेखा में ही होता है और बात करें तो पिछले एक दशक से ज्यादा समय से सिवरेज और नमामि गंगे के नाम पर हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में खुदाई का काम चल रहा है।
सिवरेज और नमामि गंगे योजना दोनों हाजीपुर शहर को जल जमाव से मुक्ति के लिए चलायें जाने वाली ऐसी योजना हैं जिसमें अबतक हाजीपुर में दर्जनों लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर चुकी हैं और रोजना खिलवाड़ कर रही हैं।

आज हम एक छोटे से मगर बहुत गंभीर क्षेत्र की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं। चंद महीने कहना ग़लत होगा लगभग तीन महीने से हाजीपुर शहर में सड़क निर्माण का खेल चल रहा है। खेल ऐसा की सड़क निर्माण में चारकोल का प्रयोग किया जा रहा है जिससे उस क्षेत्र में सांस लेना मुश्किल हो जाता हैं। बच्चों एवं बुजुर्गों के साथ गर्भवती महिलाओं के लिए और भी भयावह होता हैं। लेकिन चारकोल खुब जलाया जा रहा है और हर कोई उससे परेशान हैं।
मगर बोले कौन ?
बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन?
किसमें हिम्मत है कि यह सवाल कर दे कि यह ठीक नहीं है?
सवाल करने या पुछने वाले पर सरकारी काम में बाधा या रंगदारी मांगने का केस दर्ज होने में सेकेंड भर भी नहीं लगेगा। इसलिए आम लोगों में यह हिम्मत नहीं होती है अब कि वह सवाल भी कर सकें।

वहीं आपको बता दें कि गुदरी रोड में लगभग 5 सालों से सिवरेज और नमामि गंगे योजना का काम चल ही रहा है लेकिन फिर भी खुदाई कार्य संपन्न नहीं हुआ है। वहीं पिछले दो महिने से राजेन्द्र चौक से गुदरी रोड में सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है। जिसमें चारकोल को जलाकर सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है जिसके कारण इस क्षेत्र में लोगों का जीवन संकट में जानबूझकर डाला गया है। जहां चारकोल जलाने के लिए राजेन्द्र चौक पर लगभग 15-20 दिन मशीनों को रखा गया, वहीं आगे बढ़ाकर खाद्यी भंडार के पास लगभग 30-40 दिनों से उपर मशीनों को रखा गया और चारकोल जलाने की सारी नीचता का परिचय दिया गया।
वहीं अब लगभग 15-20 दिन पहले खाद्यी भंडार के पास से मशीनों को हटा लिया गया है मगर चारकोल के जले हुए हिस्से, कुछ और आवश्यक सामग्री जो सड़कों में प्रयोग किया जाता हैं उसे यही छोड़ दिया गया है। जिसके कारण आम लोगों को समस्या तो हो ही रही हैं वहीं दुकानदारों को भी 10 घंटे अपने दुकानों पर रहना पड़ता है और उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी होती है।
इस संबंध में पूर्व जिलाधिकारी यशपाल मीणा को धरातल पर स्थिति दिखाकर सफाई को कहा गया था लेकिन दलाली में लिप्त व्यवस्था में कुछ किए बगैर निकल दिए। ठेकेदार को कई बार कहा गया तो कहता है जहां जाकर कहना है कह दिजिए कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
तब जाकर यह बात समझ में आती हैं कि - कोई बोलतई रे.....

खैर आपको जानना चाहिए कि चारकोल आपके जीवन के लिए कितना ख़तरनाक है।
हाँ, चारकोल जलने पर आमतौर पर काला धुआं निकलता है। यह धुएं में मौजूद कार्बन कणों के कारण होता है। चारकोल के जलने से लोगों को कई तरह से नुकसान हो सकता है। मुख्य रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता और श्वसन संबंधी समस्याएं। चारकोल के जलने से निकलने वाला धुआं हानिकारक गैसें और कण छोड़ता है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।
चारकोल के अधूरे दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस निकलती है, जो एक जहरीली गैस है। CO रक्त में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को कम कर देती है, जिससे शरीर के अंगों को ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।
चारकोल के धुएं में मौजूद कण और रसायन फेफड़ों में जलन पैदा कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, खांसी, और अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी पहले से मौजूद श्वसन स्थितियों का बढ़ना हो सकता है।

लंबे समय तक चारकोल के धुएं के संपर्क में रहने से हृदय रोग, कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए अधिक खतरा:
ये समूह चारकोल के धुएं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और उन्हें अधिक नुकसान हो सकता है।
उपरोक्त सभी जानकारी को ध्यान में रखते हुए डाक्टर के संपर्क में जरूर रहें। स्वास्थ्य विभाग यह जानकारी देता है कि चारकोल जलाने से वातावरण अशुद्ध हो जाता है और उसके संपर्क में आने से जीवन बहुत प्रभावित होता हैं।