
समय के साथ सब बदलता है और जब हाजीपुर विधानसभा की बात आती हैं तो राजनीतिक दलों की समझदारी घास चरने चली जाती हैं। अब वह दौर नहीं है कि जैसे तैसे लोगों को प्रतिनिधित्व देकर सीट निकाल लें और जनता के हितों का निर्धारण कोई ओर करें। कहने को भारत में लोकतंत्र हैं मगर लोकतंत्र किसी भी राजनीतिक दल में नज़र नहीं आती हैं। जिसके कारण हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र में सही उम्मीदवार की तलाश आज भी लोगों की हैं और राजनीतिक दल अपने राजनीतिक फायदों के लिए अपराध नीति का समर्थन कर पिछले 25 वर्षों से सत्ता में बैठी हुई है।
हाजीपुर क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों का इतिहास देखें तो विधायक के स्तर पर काम ना के बराबर हुआ है। गांव - गांव में सड़कों का जाल ग्रामीण सड़क विकास के तहत बना। बिजली की स्थिति आज भी 1990 वाली हैं जो उस समय 100 वाट का बल्ब जलता था तो जैसी बिल आज 2-10 वाट के बल्ब में भी आ रहा है। बिजली कब आती हैं यह आज भी सवाल हैं खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में। स्वास्थ्य सेवा जो श्रीकृष्ण सिंह के मुख्यमंत्री काल में गांव - गांव तक बना उसकी स्थिति कोमा कहना ग़लत होगा क्योंकि वह कब श्मशान में बदल दिया गया है।
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हाजीपुर शहरी क्षेत्रों की बात की जाए तो दो बार इसका सीमा बढ़ाया गया है पिछले 25 वर्षों में, लेकिन एक भी नगर परिषद का वार्ड कचड़ा प्रबंधन, सड़क सुरक्षा, अतिक्रमण मुक्त, बिजली युक्त, पेयजल आपूर्ति जैसी व्यवस्था को लेकर खड़ी हो। राजनीतिक गलियारों में पुनः हाजीपुर नगर परिषद का क्षेत्र बढ़ने और नगर निगम होने की हवा चल रही हैं और परिणाम यह होना है कि गांव का अस्तित्व ख़तरे में डाला जाने वाला है। गांव के लोगों को जबरदस्ती नगर क्षेत्र में लाकर जमीन, घरों पर अवैध कब्जा व टैक्स वसूली की तैयारी हैं, मगर सुविधा - मतलब शून्य ही रहेगा।
हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थिति प्राईवेट लिमिटेड स्कूलों जैसे ही हैं जो आज से 5-10 पहले थी और कमोवेश आज भी 90% स्कूलों की हैं। स्कूलों में कपड़ा, बैंग, किताब, कलम, काॅपी, जुता, मोज़ा सब मिलता है और शिक्षा की बात करें तो आप अपने घर पर ट्यूशन लगवा लें। जिसमें आज अब दर्जनों स्कूलों से स्वयं में बदलाव लाकर स्कूलों को बच्चों के योग बनाया है तो इसके पीछे आम लोगों का जागरूक होना है। भले पैसे ज्यादा लग रहे हैं मगर व्यवस्था के साथ गुणवत्ता में बहुत सुधार हुआ है।

वैसे ही हाजीपुर की जनता अब सीधे तौर पर विधायक का चेहरा बदलना चाहती हैं। मोदी के नाम पर हाजीपुर का सीट 2014 के बाद कार्यकत्ताओं से छिन कर एक कार्यालय खजांची और व्यक्तिगत काम करने वाले को दे दिया गया और लगातार जीत भी हो रही हैं। वहीं अब मोदी समर्थकों को भी लगने लगा है कि 2000 से 2014 तक विधायक रहने वाले का व्यवहार आतंकी हो गया और लगातार बिना शर्त समर्थन देना घातक होते जा रहा है। इसलिए एक सीट हाजीपुर हार जाती हैं भाजपा तो उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन एक व्यक्ति का आतंक जैसे ही समाप्त होगा वैसे ही भाजपा को समीक्षा करना आसान हो जाएगा।
भाजपा का राजनीतिक सफ़र जब 2000 में शुरू हुआ तो गठबंधन में आज की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) थी और उसके मजबूत स्तंभ हुआ करते थे देव कुमार चौरसिया जो 2014 में नित्यानंद राय वर्तमान विधायक का सांसद बनने के बाद हाजीपुर सीट पर अपने सहयोगियों को ना देकर अपने यहां काम करने वाले को दे दिया जो कि महज व्यक्तिगत खजांची और व्यक्तिगत कार्यकर्ता था। जिसके कारण ही उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार अवधेश सिंह के ख़िलाफ़ चुनाव निर्दलीय लड़ें और मजबूत स्थिति बनाई। जिससे भाजपा की जीत के बावजूद यह तय हो गया कि आने वाला कल देव कुमार चौरसिया का हो सकता हैं।

पुनः भाजपा और जदयू का साथ आना देव कुमार चौरसिया के लिए राजनीतिक रास्ता बंद हो गया जिसके बाद विपक्षी दल राजद में जाकर देव कुमार चौरसिया ने अपनी उम्मीदवारी से जोड़ का झटका जरूर दिया। 2020 के चुनाव में देव कुमार चौरसिया महज 2990 वोटों से ही पिछड़े, जिसको लेकर भाजपा बड़ी सकंट में नज़र आती है। देव कुमार चौरसिया का अपना व्यक्तित्व हैं जो कि एक अच्छे व्यक्ति, व्यापारी, समाजसेवी और मृदुभाषी के साथ सुलभ रूप में लोगों के बीच मौजूद रहते हैं। इसलिए 2025 का विधायक चुनाव भाजपा और नित्यानंद राय के लिए बहुत बड़ी संकट पैदा करने वाली नज़र आती हैं।
वैसे भी नित्यानंद राय का राजनीतिक सफ़र अब बहुत बड़ा मोड़ लेने को तैयार हैं और तेजस्वी यादव के ख़िलाफ़ भाजपा राघोपुर से लड़ने का संकेत दे चुकी हैं। तेजस्वी यादव को हराने की जिम्मेवारी जहां नित्यानंद राय पर हैं तो स्वाभाविक तौर पर केन्द्रिय गृहराज्यमंत्री का दायित्व छोड़कर चुनाव मैदान में उतरना होगा। नित्यानंद राय के लिए दोहरी संकट हैं कि वह खुद का सीट राघोपुर से बचायें या हाजीपुर से अवधेश सिंह को जीताकर ले जाएं।
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भाजपा अगर जैसा दबाव नित्यानंद राय के भरोसे कर रही हैं वह संभव तब तक नहीं हैं जब तक हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से किसी और को भाजपा से टिकट विधानसभा का नाम मिले। वहीं भाजपा जो लगातार चुनाव के समय हिन्दुत्व को जगाओ लेकर बढ़ती है उस वक्त में हाजीपुर से एक ऐसे हिन्दुवादी को टिकट दे जिसने हिन्दुत्व को लेकर जन - जन में जागृति पैदा किया हो। हिन्दू राष्ट्र धर्म सर्वोपरि के नारे को बुलंद करने वाले युवाओं को लेकर आगे बढ़ना चाहिए। जिससे भाजपा के साथ NDA का अन्य विधानसभा क्षेत्र वैशाली जिले में सुरक्षित रह सके।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आतंरिक व्यवस्था में भले ही नित्यानंद राय के डर से कोई उम्मीदवार बनने की इच्छा जाहिर ना कर सके लेकिन जनतंत्र में जनता का सोचना बहुत महत्वपूर्ण है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को नित्यानंद राय को राघोपुर से और हिन्दुत्व को लेकर चलने वाले किसी युवा को हाजीपुर से विधानसभा चुनाव लड़वाना चाहिए ताकि दो सीट सुरक्षित रख पायें और वैशाली जिले के अन्य सीटों पर इसका सीधा असर देखने को खुद ही मिलने लगेगा।