बैठकी ~~~~~~ "धर्मनिरपेक्षता की आड़ में इस्लामिकरण"(भाग-2)

इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में..........

Manish Kumar Singh
Manish Kumar Singh
July 09, 2025


बैठकी जमते हीं कुंवरजी बोल पड़े--"सरजी, धर्मनिरपेक्षता का हिंदूओं पर ऐसा प्रभाव पड़ा है कि आज के पढ़े लिखे, बड़ी बड़ी डिग्रीधारी लड़के लड़कियों से गायत्री मंत्र या हनुमान चालीसा हीं पुछिये तो नहीं बता पा रहा है। आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली और आजाद भारत में लगातार रहे मुस्लिम शिक्षा मंत्रियों ने हमारे गौरवशाली इतिहास और श्रेष्ठ संस्कृति को इस कदर तोड़ मरोड़ दिया कि हमारे बच्चे अपने धर्म एवं संस्कृति से दूर होते चले गये । इसके लिए फिल्म उद्योग एवं संचार के साधनों का भी भरपूर इस्तेमाल किया गया।"

कुंवरजी,इस धर्मनिरपेक्षता ने सिर्फ हिंदुओं के लिए ऐसे जहर का काम किया जिसने भारतीय समाज एवं संस्कृति की रीढ़ हीं झुका दी है। हमारी पीढ़ी को अपने पूर्वजों के गौरव, अस्मिता, संस्कृति, भाषा, धार्मिक प्रतिकों, आस्थाओं के प्रति शंकालु बना दिया है। धर्मनिरपेक्षता की सहज गति है कि यह अपने महान साहित्य, धरोहरों आदि की ओर से लगाव खत्म कर देता है।--मास्टर साहब हाथ चमकाये।

इसबीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में..........
आज अच्छे यूनिवर्सिटी के नौजवानों से पुछिये कि प्रभु राम के पिता कौन थे तो नहीं बता पाते हैं। धर्मनिरपेक्षता का हमारे हिन्दू नौजवानों पर असर का हीं परिणाम है कि उसे भारत का हिंदू समाज, हिंदू रीति-रिवाज, घोर ब्राम्हणवादी, पतनोन्मुख, विभेदकारी, जातिवादी और अंधविश्वासी दिखने लगता है। उसे सभी पंडित ठग नजर आते हैं। मुस्लिम जालिम आक्रांताओं के अत्याचारों को और साम्राज्यवादी दहन को आम मध्यकालीन व्यवहार मानकर गंभीरता से नहीं लेता।
अपनी महान और वैज्ञानिक भाषा, संस्कृत को सिर्फ पूजा पाठ की मृत भाषा समझता है। प्राचीन सनातनी ज्ञान, विज्ञान, दर्शन, गणित, ज्योतिष विद्या आदि को झुठ और बकवास समझता है जब कि आज नासा के वैज्ञानिक भी उसी सनातनी धर्मशास्त्रों को आधुनिक विज्ञान का आधार कबुल करते हैं।--उमाकाका भी साथ देते हुए।

काकाजी, जहां एक ओर हिंदू धर्मग्रंथों और आधुनिक विज्ञान में कोई विरोधाभास नहीं वहीं अन्य पंथों के धार्मिक ग्रंथ, विज्ञान से कोसो दूर हैं। जैसे मुस्लिम मौलाना, मौलवियों द्वारा मदरसे में,अपने धार्मिक ग्रंथों के आधार पर बच्चों को शिक्षा दी जाती है कि पृथ्वी चपटी है, सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाता है या चांद के दो टुकड़े हुए, आदि आदि।
खैर, इतना तो आज साबित हो गया है कि स्वतंत्रता के पश्चात कांग्रेस जनित सेक्युलरिज्म एवं समाजवाद, भारत की कुण्डली में राहु केतु की तरह आसन जमाये बैठे हैं।--डा. पिंटू भी बहस में।

डा. साहब, आजादी के साथ हीं कांग्रेस बड़ी चतुराई से हिंदुओं को नंगा करती रही, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमारे अधिकारों पर कैंची चलाती रही और हम हिन्दू, अपनी आंखें मुंदे सोते रहे। जैसे धर्मनिरपेक्षता के नाम पर संविधान का अनुच्छेद 25 के माध्यम से धर्मांतरण को वैध बनाना। हिंदू तो धर्मांतरण कराता नहीं तो होगा किसका!! हिंदुओं का हीं न! हर साल हजारों हिंदू लड़कियां लव जिहाद और धर्मांतरण का शिकार हो रहीं हैं।


वाह रे! कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता!! आगे सुनिये,अनुच्छेद 28 के माध्यम से हिंदूओं से धार्मिक शिक्षा देने का अधिकार, कांग्रेस ने छीन लिया। वहीं अनुच्छेद 30 के माध्यम से मुसलमानों और ईसाईयों को अपनी धार्मिक शिक्षा देने की स्वतंत्रता प्रदान की गई। हिंदुओं के देश भारत में ये कैसी धर्मनिरपेक्षता!!--सुरेंद्र भाई मुंह बनाये।

भारत में मजहब के नाम पर मदरसों और मस्जिदों में चार साल की उम्र में हीं बच्चों को कट्टर मजहबी शिक्षा दी जाती है जो धर्मनिरपेक्षता नहीं बल्कि काफिरों के विरुद्ध हिंसात्मक होती है जो इनके इन मासूम बच्चों के मस्तिष्क से मानवीय मूल्यों और गुणों की जगह जिहादी चरित्र बनाती है जो हाई एजुकेशन लेने के बाद भी जेहन से नहीं निकलता। इन्हें कुरान की आयतों की शिक्षा दी जाती है जो गैर इस्लामियों के विरुद्ध हिंसा एवं अत्याचार का पाठ सिखाती है। यह कीड़ा ताउम्र इनके दिमाग से नहीं निकलता।--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।

भला बतायीं! इ धर्मनिरपेक्ष देश में,  अइसन नफरत के पढ़ाई पढ़ावे के अनुमतीये ना मिलेके चाहीं। बाकी हम सुनले बानी जे इहे कुल नफरती सोच वाला पढ़ावे खातीर, सरकार से मौलाना, मौलवी के सरकार तलबो देले।--मुखियाजी खैनी मलते हुए।

मुखियाजी,इस धर्मनिर्पेक्ष देश में एक ओर ऐसी संवैधानिक छूट अल्पसंख्यक के नाम पर इन्हें दी गई है दुसरी ओर सनातनी हिंदुओं के बच्चों को सामान्य स्कूलों में आपस में हम भाई, भाई हैं अर्थात भाईचारा का पाठ पढ़ाया जाता है। "अहिंसा परमो धर्म", "सर्व धर्म समभाव" की शिक्षा देते हैं। सच पुछिये तो हम बच्चों को जानवरों की तरह कट जाने, डरपोक बनने की ट्रेनिंग देते हैं। हम बच्चों को दया, क्षमा, अहिंसा,भौतिक सुख समृद्धि प्राप्त करने की ओर ले जाते हैं क्योंकि हमारा सनातन किसी के प्रति घृणा की सीख नहीं देता। हमें पढ़ाया गया है कि "मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना"।--डा.पिंटु गंभीर लगे।

मुखियाजी, ये तो कुछ भी नहीं! भारत एक ऐसा धर्मनिर्पेक्ष देश है जहां डर अल्पसंख्यक मुसलमानों को लगता और घर छोड़कर हिन्दू भागने को मजबूर होता है। चाहे कश्मीर हो या बंगाल।आज अब समय नहीं है,कल बताऊंगा कि कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के नाम पर हिंदुओं के साथ कैसे कैसे पाप किये हैं! इस हिंदुओं के देश में हिंदुओं के खिलाफ इतने कानून बनें हैं कि उसे चुनौती देना तो दूर उसके बारे में चर्चा तक नहीं करते।अच्छा चला जाय।--कहकर सुरेन्द्र भाई उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी.....!!!!!(क्रमशः)

आलेख - लेखक

प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)

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