मलमलिया कौड़ियां की घटना आत्मसम्मान और आत्मरक्षा क लिए उठाया गया क़दम

भारतीय संविधान में भी वर्णित हैं कि आत्मरक्षा के लिए किया गया जघन्य अपराध को भी अपराध नहीं माना जाएगा

Manish Kumar Singh
Manish Kumar Singh
July 10, 2025

मलमलिया कौड़ियां की घटना दिल झकझोर देने वाला हुआ और ऐसी घटनाओं की हमेशा निंदा होनी चाहिए और साथ ही साथ ऐसा ना हो इसके लिए प्रयास होना चाहिए। इसके लिए प्रयास की जिम्मेवारी संवैधानिक रूप में समाज की होनी चाहिए और समाज के वो लोग जो उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधी है जैसे - पंच, सरपंच, वार्ड, मुखिया, समिति, जिला परिषद आदि को लेनी चाहिए। इससे के आवश्यक होगा कि स्थानीय जनप्रतिनिधि को अधिकार दे और ताकत मिलनी चाहिए ताकि मजबूत निर्माण ले सकें और जब ताकत या ऐसी कोई भी बात जो उनके द्वारा नहीं संभाला जा रहा है तो वह थानों के माध्यम से उच्च अधिकारियों, न्यायालयों तक पहुंचाकर समाज को मजबूती प्रदान करें।

हम अक्सर देखते हैं कि भारतीय संविधान के द्वारा देश की आंतरिक सुरक्षा और शासन व्यवस्था को चलाने के लिए पुलिस की व्यवस्था की गई हैं। वहीं बिहार जैसे राज्य में बिहार पुलिस थानों में दलाल बनकर रखते हैं और किसी भी क्षेत्र के लोगों का आवेदन पत्र मिलता है तो उसकी चर्चा दलालों से पहले की जाती हैं। वहीं आवेदन को क्या करना है यह आराम से सोचा जाता है और उसमें दूसरे पक्ष की राजनीतिक मजबूती के आधार पर किया जाता हैं। जिसके कारण आम लोगों के किया गया आवेदन हमेशा एक कागज़ का टुकड़ा बनकर रह जाता हैं। इसी कड़ी का एक बड़ी घटना के रूप में सामने आती हैं वह हैं आज के हेडलाइन व, जिसमें कई लोगों की जिंदगी समाप्त हो गई।

आपको बता दें कि मलमलिया कौड़ियां वैश्यटोली घटना के बारे में जब स्थानीय लोगों से बात की गई तो उनका कहना है कि यह वर्चस्व की लड़ाई नहीं थी। यह पुरानी रंजिश नहीं थी, तो आखिर मामला क्या था ? इसपर बात करते हुए लोगों ने सवालिया लहजे में बताया कि आप सोचिए कि 60 वर्षीय कोई व्यक्ति इतना बड़ा जघन्य अपराध कैसे कर सकता है? मृतक पक्ष के लोगों के द्वारा शत्रुघ्न सिंह को शराब का कारोबारी बताया जा रहा है। आतंकवादी की उपाधि तक दी जा रही है, तो मृतक पक्ष के लोगों से मेरा एक सवाल है कि क्या आपका कन्हैया सिंह मंदिर का पुजारी था। अगर आपका कन्हैया सिंह मंदिर का पुजारी था तो हाल में ही घटी घटना जहरीली शराब कांड में जेल क्यों गया था ? 

वहीं आगे कहते हैं कि अब एक दो और तीखा सवाल अपनी राजनीतिक रोटी सेकने वालों से अगर यह कोई पुरानी रंजिश और वर्चस्व की लड़ाई नहीं थी तो अखिलेश सिंह मुखिया (मृतक रोहित सिंह के पिता)  2005 में शत्रुघ्न सिंह के ऊपर गोली क्यों चलाया था? उसका भी F.I.R भगवानपुर हाट थाना में शत्रुघ्न सिंह के द्वारा किया गया था। जिसका कांड संख्या 94/05 है।

2005 से पूर्व भी 2001 में शत्रुघ्न सिंह के साथ मृतक पक्षों ने मार पीट की थी। जिसका F.I.R भगवान हाट थाना में शत्रुघ्न सिंह द्वारा किया गया है। जिसका कांड संख्या 32/01और 33/01 है।

जब ये पुरानी रंजिश और वर्चस्व की लड़ाई नहीं थी तो पुनः 20 साल बाद 16/06/2025 को 60 वर्षीय शत्रुघ्न सिंह पर जानलेवा हमला क्यों किया गया? उस हमला का भी F.I.R भगवानपुर हाट थाना में शत्रुघ्न सिंह के द्वारा किया गया है। जिसका कांड संख्या 272/25 है।

जब घटना पक्ष के लोग साधु हैं तो—04/07/2025 यानी घटना के दिन सुबह 07:00 बजे 20 से 30 लोग शत्रुघ्न सिंह के दरवाजे पे गाली गलौज और फायरिंग क्यों किए ? इसकी भी सूचना आवेदन के माध्यम से शत्रुघ्न सिंह की पत्नी रिंकी देवी थाना प्रभारी महोदय भगवानपुर हाट को दी थी।

04/07/2025 यानी घटना के दिन शाम को 04:00 बजे मलमलिया में शत्रुध्न सिंह को द्वितीय पक्ष द्वारा जब समझौता के लिए बुलाया गया था, तो द्वितीय पक्ष के लोग 20-30 की संख्या में मलमलिया में लाठी, डंडे, गोली-बंदूके लेके क्यों गए, इसके कारणों का ( इसका भी सबूत चाहिए तो कौड़ियां वैश्यटोली से लेके मलमलिया तक के बीच लगी CCTV कैमरा का जांच किया जाए) पता चल जाएगा।

इतना बड़ा घटना होने के बाद भी मृतक पक्ष के लोगों का मन नहीं भरा तो कानून को ताख पे रख के शत्रुघ्न सिंह और उनके बड़े भाई  केदारनाथ सिंह के घर पे जाके महिलाओं के साथ छेड़छाड़ किया और उनके घर, दालान और दालान में लगी हुई ट्रैक्टर और 3 मोटरसाइकल को आग के हवाले भी कर दिया गया। इसके बाद शत्रुघ्न सिंह के बड़े भाई केदारनाथ सिंह के चिमनी को तोड़ दिया गया और चिमनी पर लगा CCTV कैमरा और हार्ड डिस्क का भी चोरी कर लिया गया। शत्रुघ्न सिंह के 3–3 हाईवा गाड़ी को तोड़-फोड़ कर दिया गया। 

सच तो यह है कि 25 वर्षों से लगातार शत्रुघ्न सिंह को मृतक पक्ष द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था और उनके सामने ऐसी परिस्थितियों बनाई गई जिसके कारण 60 वर्षीय शत्रुघ्न सिंह को अपने आत्मसम्मान और आत्मरक्षा के लिए जघन्य अपराध और अपराधी बनने के लिए मजबूर किया गया।

यह कई लोगों के साथ हुई बातचीत के बाद निकाली गई घटना का एक निष्कर्ष हैं। वहीं इस घटना को जातिय रंग देना बहुत ही निम्न स्तर की राजनीति हैं। लगभग 25 वर्षों से यह सम्मान की लड़ाई होते हुए और जिला प्रशासन की अबतक सही जिम्मेवारी नहीं उठाने का परिणाम आज मौत का तांडव देखने को मिला। 

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