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नरेंद्र दामोदर दास मोदी का दौड़ समाप्ति पर हैं और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री भारत सरकार माननीय अमित शाह ने भी अपनी रिटायर्ड होने के संकेत दे दिए हैं। RSS ने नरेंद्र मोदी के साथ अमित शाह को लंबे समय तक भाजपा की बागडोर संभालने के लिए सुपूर्द किया लेकिन अब वह दौर समाप्त हो रहा है। RSS के प्रमुख सर सह संचालक मोहन भागवत ने एक अपने ब्यान में स्पष्ट कर दिया कि 75 की उम्र के बाद जगह स्वत: छोड़कर आने वाली पीढ़ियों को रास्ता देना जरूरी हो जाता हैं। इसके बाद बड़े बदलाव की स्थिति बन चुकी हैं और बहुत तेजी से बदलता हुआ संघ और भाजपा दिखने वाला है।
आपको जानना चाहिए कि जहां एक बड़ी सोशल मीडिया टीम भाजपा के पास हैं और उसका नेतृत्व नरेंद्र दामोदर दास मोदी के साथ हैं तो वहीं दूसरी ओर मोहन भागवत का संघ को मजबूती प्रदान करने वाला घर-घर तक संगठन हैं। अब जब मोहन भागवत ने उम्र को लेकर बात उठाई तो भाजपा के ट्रोल टीम ने मोहन भागवत को भी ट्रोल का हिस्सा बनाने में कोताही नहीं बरती हैं। आपको बता दें कि 11 सितंबर को मोहन भागवत होंगे 75 साल के तो वहीं अगले 6 दिन बाद 17 सितंबर को नरेंद्र दामोदर दास मोदी होंगे 75 साल के।
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नरेंद्र दामोदर दास मोदी को जिस तरह से संघ का साथ मिला और संघ ने हर क़दम पर मजबूती प्रदान किया उसी संघ से बड़े होने का दर्जनों बार नरेंद्र मोदी ने प्रयास किया है। जिसके कारण अब यह स्थिति बन गई है कि नरेंद्र मोदी और उनके भरोसे पर चलने वाले सांसदों की बहुत जबरदस्त राजनीतिक जीवन में बदलाव आने वाले हैं। जहां नरेंद्र दामोदर दास मोदी 75 साल के होने वाले हैं वहीं 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी सीट बचाते बचाते बचें। वहीं बिहार में आधा दर्जन सांसद हैं जिनका राजनीतिक भविष्य बदलने वाला है क्योंकि उनके संसदीय क्षेत्र से आने वाले रिपोर्ट और 2024 में हारते-हारते बचकर संसद में पहुंचना मायने रखता है।
RSS कहें, संघ कहें या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ही नाम बस अलग-अलग तरीके से हम जानते हैं। संघ ने 2024 लोकसभा चुनाव के बाद धरातलीय हकीकत को जानने में दिलचस्पी दिखाई और हर एक का रिपोर्टकार्ड तैयार करवाया। इसी में जैसा कि हमने अपने आलेख संख्या 40 में (लिंक - https://ahaannews.com/Blog/Details/40 ) बताया था कि हाजीपुर के पूर्व विधायक और वर्तमान सांसद उजियारपुर व केन्द्रीय गृहराज्यमंत्री नित्यानंद राय का राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना संभावित है।

वैसे ही हार को छू कर निकलने वाले और राजशाही व्यवहार रखने वाले सारण के सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी का राजनीतिक सफ़र अब थमने वाला है। लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ बिहार में प्रमुख रूप से सवर्ण समाज वोट करता है और वहीं अन्य जातियों के जबरदस्त समर्थन के बावजूद राजीव प्रताप रूढ़ी ने लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या से महज़ 13661 वोटों से ही जीत हासिल कर पाएं थें। वहीं समाज में एक संदेश तो स्पष्ट हो गया कि वर्तमान सरकार ने राजीव प्रताप रूढ़ी का क़द बहुत छोटा कर दिया है।
ख़बर सबसे मजेद्दार यह हैं कि अपनी पुत्री के लिए सोनपुर विधानसभा क्षेत्र का सीट चाहने वाले राजीव प्रताप रूढ़ी अब खुद ही इसी सीट से उम्मीदवार बनाये जा सकते हैं। आपको जानना चाहिए कि सोनपुर के पूर्व भाजपा विधायक लगातार 2015 और 2020 का चुनाव हार कर अपनी दावेदारी को कमजोर कर चुके हैं। इसी का फायदा उठाने के चक्कर में राजीव प्रताप रूढ़ी ने अपनी पुत्री के लिए सोनपुर विधानसभा क्षेत्र का सीट चाह रहे थे। जिसके कारण अब सोनपुर विधानसभा क्षेत्र में आपसी लड़ाई ना हो इसके लिए सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से राजीव प्रताप रूढ़ी को लाने की तैयारी हैं।

भाजपा का कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष बने लेकिन संगठन ने कई स्तरों पर निर्माण लेने में संघ के भी सर्वे रिपोर्ट पर मंथन कर रही हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में अब तक दो बार नरेंद्र दामोदर दास मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया लेकिन भाजपा का लगातार स्तर कम होता चला गया है वहीं तीसरे चुनाव में संघ अपनी उपस्थिति दर्ज करेगी ताकि भाजपा मजबूत हो। और इसीलिए कई सांसदों को लोकसभा से निकाल कर बिहार विधानसभा चुनाव में लाने की तैयारी कई राज्यों में हुए प्रयोग के आधार पर संभावित है।
धैर्य के साथ आने वाली बिहार विधानसभा चुनाव को लोगों को देखने की जरूरत है और यह समझते हुए कि - "हर दिन होत ना एक समाना"!