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राजनीति एक ऐसी जगह है जहां नियम और कानून सिर्फ और सिर्फ जनता के लिए होता हैं। जनता को हर काम समय पर करना होगा नहीं तो आर्थिक दंड तो पहले और फिर मानसिक प्रताड़ना भी रखा गया है। वहीं भारत सरकार का सही संचालन भी बहुत बड़ी बात है क्योंकि संविधान सरकार पर लागू होता नहीं है। भारतीय संविधान को गंभीरता से देखते हैं तो आज तक भारत सरकार के संचालन की जिम्मेवारी जिसे सौंपी गई है वह पद होता हैं प्रधानमंत्री का। वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के कार्यकाल पर नज़र डालें तो भारत की जनता के लिए वादों के अलावा कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने पिछले 11 वर्षों में इतनी योजनाओं का शिलान्यास किया कि उसे सही से लागू कर दिया जाता तो अमेरिका, चीन, रूस, जापान जैसे देशों की 10 वर्षों का संयुक्त बजट भी कुछ कम पड़ जाती। लेकिन भारतीय संविधान ने भारत की आम जनता को जिम्मेदार ठहराया है ना कि प्रधानमंत्री को, इसलिए प्रधानमंत्री कुछ भी बोले या कुछ भी करें उसे हटाया जा सकता है राजनीतिक दल की प्रतिष्ठा बचाने के लिए मगर सजा नहीं दी जाएगी।
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इससे आगे बढ़ते हैं तो हम पाते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने RSS के प्रमुख एजेंडों को पिछले 11 वर्षों में लागू कराया जिसके लिए लोगों ने मतदान किया था। जिसके बाद धीरे-धीरे परिस्थितियों में बदलाव हुआ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को यह लगने लगा कि उनके ही नाम पर सबकुछ संभव हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने स्वयं को भगवान तक घोषित करने में देरी नहीं की और भाजपा और RSS के संगठनात्मक संरचना को भी स्वयं के भरोसे दिखाने का हर संभव प्रयास किया। जिसका परिणाम ही था कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (जे. पी. नड्डा) ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा कि - "वाजपेयी के समय में पार्टी को खुद को चलाने के लिए RSS की जरूरत थी क्योंकि उस समय भाजपा कम सक्षम और छोटी पार्टी हुआ करती थी।"
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जगत प्रकाश नड्डा उर्फ जे. पी. नड्डा के वक्तव्य के साथ ही RSS और BJP में बड़ा खाईं बन गई। जिसका परिणाम रहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में 400+ पार का नारा और RSS की जरूरत अब भाजपा को नहीं ने भाजपा को रोड पर खड़ा कर दिया। यह सब नरेंद्र दामोदर दास मोदी के इशारों पर उनकी कुछ जुमला टीम जैसे अमित शाह, जे. पी. नड्डा और सोशल मीडिया सब मिलकर RSS को ही बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। RSS के साथ हुए खेल को धरातल पर खड़े स्वयंसेवकों ने थोड़ा आंख दबा दिया और स्वयंसेवकों की चुप्पी ने आम मतदाताओं को जोड़ने की जगह छोड़ दिया। भारतीय जनता पार्टी की स्थापना और उसे मजबूती करने में RSS ने पूरी दुनिया झोंककर लगातार मजबूत करने का काम किया।
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भारतीय जनता पार्टी को सींचने और मजबूती प्रदान करने के लिए जो ताकत नरेंद्र दामोदर दास मोदी को RSS ने दिया और उस ताक़त के आर में 75 साल से उपर के नेताओं का रिटायरमेंट तय करने की हिम्मत जुटा सकें थे 2014 में सत्ता में आने के साथ ही। वहीं 10 साल तो नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने बड़े मजे से काटे लेकिन अपनी ही लकीर में खुद ही फंस गए। नरेंद्र दामोदर दास मोदी को इतना घमंड हो गया था कि खुद को भगवान और सबसे ताकतवर मान लिया और सोशल मीडिया और मिडिया नेटवर्क का प्रयोग कर जन मानस के मन में मोदी और सिर्फ मोदी नाम बसा दिया। यहीं नरेंद्र दामोदर दास मोदी का घमंड आज उनके राजनीतिक भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया और अब मोदी का भी अब रिटायरमेंट तय हो गया है क्योंकि अब वह पूर्ण बहुमत में नहीं आ पाए और वहीं भाजपा को मजबूत रख पाने में विफलता पाई है।

आपको जानना चाहिए कि भारतीय राजनीति में उम्र की सीमा नहीं रही हैं और भारतीय संविधान में कोई कानूनी व्यवस्था भी नहीं की गई हैं। लेकिन RSS ने जो ताक़त देकर नरेंद्र दामोदर दास मोदी मजबूत किया वहीं मोदी RSS के प्रमुख सर संघचालक मोहन भागवत के ही उपर हमलावर अपने गैंग के माध्यम से शुरू कर दिया। जिसमें यह बात उठाई गई कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी तो 17 सितंबर को 75 साल के हो रहे है वहीं मोहन भागवत तो मोदी से 6 दिन पहले ही 11 सितंबर को 75 साल पुरा कर रहे हैं। लेकिन नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने अपने उपर वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को मार्गदर्शन में रखा था और यह सोच़ कर की उनका दबाव नहीं रहें। उसी तरह मोहन भागवत को भी मार्गदर्शन मंडल में बैठाने में अपनी ताक़त और प्रोपगंडा टीम के माध्यम से ट्रोल करना शुरू कर दिया।
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लेकिन अब यह तय है कि मोहन भागवत पर 75 साल का कोई बैरियर नहीं है लेकिन नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने जो खेला किया था उनके साथ वैसा ही होना तय है। बस देखना है कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी ताक़त के घमंड में स्वयं का सम्मान ना खत्म कर लें। इसलिए 17 सितंबर को नरेंद्र दामोदर दास मोदी की इज्जत के साथ विदाई समारोह हो जाए और साथ ही साथ RSS हमेशा मजबूत स्तंभ बनकर भाजपा को पोषित करती रहें यही समाज की ओर से आती आवाज़ हैं।

(नोट :- बिहार विधानसभा चुनाव तक संभवतः नरेंद्र दामोदर दास मोदी को रखा जा सकता हैं और उसके बाद ही नया प्रयोग शुरू हो)