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आखिर परिवार, रिश्तेदार, मित्र और समाज की एक व्यक्ति के जीवन में क्या स्थान रखता है। परिवार पैसे वाले को प्राथमिकता देता है जो बच्चा घर में ज्यादा पैसा देता है, रिश्तेदार वहीं स्थिति में हैं जहां परिवार खड़ा हैं। मित्र पर सबसे ज्यादा उम्मीद और भरोसा होता हैं लेकिन अब मित्रता भी मऊगा हो गया है। और रही समाज की बात तो वह यह देख रहा है कि मेरे साथ तो नहीं हुआ है और अपनी मौत का इंतजार करते रहता है। भारत का परिवेश पूर्णतः बदल गया है और यहां जिम्मेदारी किसी की नहीं होती हैं। यहां का प्रशासनिक संरचना इतना निम्न स्तर का है कि वह स्वयं से देखकर कोई फैसला नहीं करता है और आवेदन का इंतजार करता रहता है। आंखों के सामने होने वाली घटनाओं और दुर्घटनाओं पर या अवैध कब्जा व निर्माण पर किसी व्यक्ति के मौत के बाद भी चुप रहने की ताकत रख पाता है।

भारत का संविधान नपुंसक बना कब तक इस देश की जनता के साथ खिलवाड़ करता रहेगा। संविधान में सरकार को किसी बात के लिए जिम्मेदार ठहराया ही नहीं हैं और अगर जिम्मेदार ठहराया होता तो अबतक कितने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को मौत की सज़ा हो चुकी होती। लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कुछ भी करें और आम लोगों की हत्या करते रहें लेकिन संविधान उसके खिलाफ नहीं जा सकी आज तक। भारत में भारत का संविधान राष्ट्रपति के नाम से संचालित होता हैं और राष्ट्रपति भारत में अब अनुकंपा और दया पर बनता है। वैसी स्थिति में राष्ट्रपति मुख्य संरक्षक बनकर भारत की जनता के लिए अपराधमुक्त प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का चयन कराते आ रहे हैं।
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आज परिवार के किसी सदस्य को कोई गोली मारकर चला जाता हैं और उस परिवार का कोई भी व्यक्ति सामने आकर सवाल करने वाले खाकी वर्दी से दो थप्पड़ जड़ कर सवाल नहीं करता कि तू् किस बात का पैसा लेकर इस क्षेत्र में रहता है। कोई अधिकारी जो अपने आप को IAS/IPS कहता है और उसके हस्ताक्षर से ही हथियार मिलता है तो किस व्यक्ति को यह हथियार दिया जिससे मेरे परिवार के सदस्य को गोली मारी गई? परिवार यह सवाल करने की हिम्मत नहीं जुटा सकता हैं वहां के स्थानीय विधायक और सांसद से की किस बात का टैक्स वसूली करते हो जब हमारे परिवार को ही मरवा देते हो ?
परिवार में किसी की भी हत्या होती हैं तो परिवार खत्म होने के कगार पर आ जाता हैं। संविधान को एक गंभीर और जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता है। अगर कोई भी अपराधी है तो संविधान सजा दिलाए। अगर संविधान के संचालक अवैध गैंग बनाकर संसद में बैठकर लोगों की हत्या कराते रहे तो कल इस देश में 50% आबादी हथियार लेकर खड़ा मिलेगा। भारतीय जनता को मतदान करते समय वैसे सभी को समझना चाहिए जो उस क्षेत्र में चुनाव में आते हैं। नेतृत्व क्षमता जिसमें ना हो और हमारी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता हैं वैसे सांसद और विधायक नहीं चुने जाने की जगह उम्मीदवार ही नहीं हो।
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सदनों के सदस्य और प्रशासनिक अधिकारी का सर आम लोगों के सामने झुका हुआ रहना चाहिए। सदनों के सदस्यों को और प्रशासनिक अधिकारी को सर उठाना हैं तो आतंकी व्यवस्था पर उठायें। आम लोगों को लेकर गंभीरता से विचार करने में भागीदारी सुनिश्चित करने वाले लोगों को लेकर समाज को विचार करना चाहिए।
डर का माहौल ना बनाये कानून से न्याय का रास्ता प्रशस्त करें। - राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री।