- ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग से डायरिया से होने वाली मुत्यु को टाला जा सकता है
मोतिहारी - जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा 15 जुलाई से 14 सितंबर तक मनाया जायेगा। इस सम्बन्ध में डीसीएम ने बताया की पखवाड़ा को मनाने का मुख्य उद्देश्य जिले में दस्त के कारण होने वाली शिशु मुत्यु के शून्य स्तर को प्राप्त करना है। उन्होंने बताया कि 13 प्रतिशत तक मौत डायरिया के कारण होती है तथा इनमें से अधिकांश मौतें ग्रीष्म और मानसून के मौसम में होती हैं। डायरिया से होने वाली मुत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग से डायरिया से होने वाली मुत्यु को टाला जा सकता है। सिविल सर्जन डॉ रविभूषण श्रीवास्तव ने बताया की ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग, दस्त के दौरान होने वाले दिक्क़तो में काफ़ी असरदार है।उन्होंने बताया की आवश्यकतानुसार जिंक एवं ओआरएस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उपलब्ध कराया जा रहा है।पखवाड़े के आयोजन को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक बच्चों को जिंक और ओआरएस उपलब्ध करायी जा सके।
सिविल सर्जन ने बताया कि मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। जिसके कारण जहां सर्दी-खांसी, जुकाम समेत अन्य मौसमी बीमारी आम हो गई है। वहीं, इसके साथ डायरिया की भी संभावना बढ़ गई है। ऐसे में हमें विशेष सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। डायरिया से बचाव को लिए लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। दरअसल, बदलते मौसम में डायरिया के प्रकोप में आने का प्रबल संभावना हो जाती है। जिसके दायरे में कोई भी यानी सभी आयु वर्ग के लोग आ सकता है। उन्होंने कहा की बच्चों को स्वच्छता की शिक्षा देना काफ़ी जरूरी है इससे बच्चे कई प्रकार के रोगों से सुरक्षित हो सकते है। इसलिए अभिभावक, व शिक्षक इसपे ध्यान रखते हुए भोजन के पूर्ब एवं शौचालय के बाद हाथ धोना जरूर सिखाए।उन्होंने कहा की डायरिया के कारण अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं बढ़ जाती है और उचित प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो जाता है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है।
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स्वच्छ जल का उपयोग करें, स्तनपान के साथ ऊपरी आहार का सेवन करें :
डीआईओ डॉ एससी शर्मा ने कहा की नवजात बच्चों को दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, ऊपरी आहार और भोजन जारी रखा जाना चाहिए. पीने के लिए साफ और सुरक्षित पेयजल का उपयोग करें. खाना बनाने और खाना खाने से पूर्व और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोना जरूरी है. दस्त को रोकने के लिए शौचालय का उपयोग करें.खुले में शौच नहीं जायें. बच्चे के मल का सुरक्षित एवं त्वरित निपटान.स्तनपान जारी रखें, जिसमें उन बच्चों को स्तनपान कराना भी शामिल है जिन्हें स्तनपान कराया जा रहा है तथा बीमारी के दौरान और बाद में अतिरिक्त आहार दें.सुरक्षित संचालन के बाद स्वच्छ पेयजल का उपयोग करें.माँ को भोजन तैयार करने से पहले, बच्चे को खिलाने से पहले तथा बच्चे का मल साफ करने के बाद अपने हाथ साबुन से धोने चाहिए।