भक्त होना इतना भी आसान नहीं, दिल और दिमाग गिरवी रखना पड़ता है और जमीर भी।
00.jpeg)
जगदीप धनखड़ होना आसान नहीं होता हैं पढ़ा - लिखा और व्यक्तित्व का धनी होकर भी गुलामी मानसिकता से ग्रस्त यह आसान सफ़र नहीं था। जगदीप धनखड़ तब सुर्खियों में आये जब यह बंगाल के राज्यपाल बने और बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लड़ने लगे थे जैसे विपक्ष में बैठे हो। ममता बनर्जी की साख गिराने में नरेंद्र दामोदर दास मोदी सरकार को खुब मदद किया और इसका परिणाम मिला की बंगाल में 2021 में हुई विधानसभा चुनाव में कुछ महत्वपूर्ण विधानसभा की सीटें मिली और बढ़त भी प्राप्त किया, भाजपा यानी BJP ने। जिसके बाद जगदीप धनखड़ को भारत के दुसरे नागरिक होने का गौरव प्राप्त हुआ और 2022 में उप-राष्ट्रपति, भारत का पद सौंपा गया। हां संविधान के तहत एक खानापूर्ति के लिए प्रक्रिया जरूर हुआ लेकिन वह महज़ एक दिखावा ही था।
जगदीप धनखड़ उप-राष्ट्रपति पद पर बैठने के साथ ही भारत के सभी प्रमुख संवैधानिक संस्थाओं पर सीधे टिका-टिप्पणी करना शुरू कर दिया। पेशेवर वकील होते हुए राजनीतिक दलों के साथ मिलकर सदन के सदस्य लंबे समय से रहे हैं। जगदीप धनखड़ विधानसभा, लोकसभा और केन्द्रीय मंत्रीमंडल के भी सदस्य रहें हैं और राज्यपाल के बाद उप-राष्ट्रपति का पद संभालते हुए विदाई कल देर शाम लें ली। अपने इस्तीफे में राष्ट्रपति भारत को स्वास्थ्य कारण बताया हैं लेकिन कुछ समयों में किसान को लेकर गंभीरता दिखा रहे थे वह भी दबाव का कारण हो सकता हैं। भारत के केन्द्रीय कृषि मंत्री के सामने अपने आपको भारत का दुसरा व्यक्ति होने के नाते किसानों के साथ किए गए वादे पूरे करने की ओर ध्यान आकर्षित किया था।
.jpeg)
आपको जानना चाहिए कि बिहार चुनाव की तारीखें घोषित होने ही वाली है और अगले 30-40 दिनों के अंदर ही बिहार में चुनाव की तारीखें घोषित कर दिया जाएगा। जिसके कारण बिहार में गठबंधन के साथी नीतीश कुमार को कमजोर करने के कई नीतियों पर काम करने को तैयार भाजपा जगदीप धनखड़ के माध्यम से नीतीश कुमार को कुछ संदेश देने का भी काम कर दिया है। वहीं ज्ञात हो कि जगदीप धनखड़ के इस्कुतीफे के माध्यम से नीतीश कुमार का उच्च सदन में जाने का सपने के सहारे भाजपा को मजबूत करने का हो सकता है प्रयास। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार कहा है कि भारत के सभी सदन का सदस्य रहे चुका हूं और बस उच्च सदन में आना सपना है। वहीं कहीं नीतीश कुमार के लिए खाली तो नहीं कराया गया उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से पद और लिया गया इस्तीफा?
.jpeg)
वहीं भाजपा में अपना दबदबा बनाये रखने के लिए वर्तमान सत्ता जिनके उम्र को लेकर बनाये गए नियम खुद के लिए काल बन गया है। वहीं अगर भाजपा को कमजोर कर संभालते दिखाने के रास्ते पर सत्ताधारी कामयाब हो जाते हैं तो प्रधानमंत्री की कुर्सी सुरक्षित रख सकते हैं।
.jpeg)
वैसे नीतीश कुमार के कुछ महीनों से हरकतें यह बतलाती हैं कि उनका राज्यसभा में ले जाना उच्च सदन के संचालन पर बड़ा प्रभाव पर सकता हैं। उच्च सदन को रोजाना चलाना वर्तमान परिस्थितियों में जिसमें नीतीश कुमार स्वस्थ्य नहीं दिखाई देते हैं जिससे परेशानी हो सकती हैं। तो वहीं चंद दिनों के लिए नीतीश कुमार के राजनीतिक अंतिम पद पर बैठाकर दुसरे के माध्यम से उच्च सदन का संचालन कराया जा सकता हैं। नीतीश कुमार का उप-राष्ट्रपति पद पर बैठना एक राजनीतिक षड्यंत्र होगा और अगले दो वर्षों में उप-राष्ट्रपति चुनाव तक में कई चेहरे इस पद पर दिखाई दे सकते हैं।
.jpeg)
उपराष्ट्रपति पद के लिए लगातार कई नाम आने लगे हैं लेकिन राजनीतिक चरित्र चुनावी माहौल में एक से अधिक लोगों का दावेदार के रूप में नाम सामने आने लग हैं। जिसमें - डीवाई चंद्रचूड़, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली, भारत। वर्तमान उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के माध्यम से भूमिहार ब्राह्मण और ब्राह्मण को बिहार, उत्तर प्रदेश और बंगाल चुनाव को लेकर आगे लाया जा सकता हैं। वहीं कांग्रेस युक्त भाजपा में भी कई महत्वपूर्ण उम्मीदवार हैं जो गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक क्षेत्रों में आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण होंगे इसलिए दो साल उप-राष्ट्रपति पद राजनीतिक खेल का अड्डा बना रहेगा ऐसा ही लक्षण दिखाई देता है।