
हाजीपुर विधानसभा का इतिहास समय और परिस्थितियों के अनुसार कभी नहीं बदला। यहां के विधायक का इतिहास कब्जा करने और लूट खसोट का लगातार बना हुआ है। लगभग दर्जन भर विधायक हाजीपुर से हो चुके हैं और उनमें 2-4 को छोड़ दें तो सब बेईमानी के उच्च स्तर को प्राप्त किए। वहीं नगर निगम, हाजीपुर की स्थापना 1869 में हुआ और 2001 में नव निर्माण की ओर बढ़ा तो नगर परिषद, हाजीपुर बना और राजनीतिक दृष्टिकोण से यह छोटा सा क्षेत्र राजनीतिक उद्योग का केंद्र बन गया। समय बदला मगर हाजीपुर शहरी क्षेत्रों का लगातार विनाश होता चला गया।
हाजीपुर (विधानसभा और नगर परिषद) पर भाजपा (BJP यानि भारतीय जनता पार्टी) का कब्जा और हत्या व मौत के साथ सड़कों व नालों के साथ उसके ढक्कनों पर कब्जा कर व्यक्तिगत कमाई करते नहीं है तो करते क्या हैं ? टैक्स के नाम पर नमक से लेकर सोना तक लोगों को सरकारें लूट रही है मगर धरातलीय हकीकत से कोसों दूर हैं या जानबूझकर अनदेखा करती हैं।
श्री हरि का क्षेत्र जहां श्रीहरि और श्रीहर दोनों का आगमन हुआ और बना हरिहर क्षेत्र। आज श्री हरिहर क्षेत्र का नाम बदलकर हाजीपुर हो गया और लगभग 150 वर्षों से निरंतर प्रगति की ओर बढ़ने की जगह निरंतर अवनति की ओर बढ़ रहा है। नगर परिषद हाजीपुर में सड़कों पर मौत की दुकान खोली गई हैं। लगातार 5 सालों से सिवरेज और नमामि गंगे के नाम पर हाजीपुर शहर को गड्ढों में तब्दील कर दिया गया है तो वहीं जो सड़कें बन रही हैं उसमें 80-90% घोटाला हैं। अगर कहें कि 100% तो ग़लत होगा क्योंकि कुछ 10-20% तो खर्च हुआ ही हैं इसलिए तो गड्ढों को भरने का असंवैधानिक प्रयास किया गया है।
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दो साल पहले एक चर्चा में तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद हाजीपुर ने बताया कि 2012 से अबतक एक भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। वहीं लगातार सिवरेज और नमामि गंगे योजना के तहत जो भी काम हो रहा है वह जब पुरा होगा तो सड़क बनेगा। जबकि काम को करते हुए सड़कों को गड्ढों से मुक्त करते हुए जाना है लेकिन वह नहीं हो रहा है समझिए कुछ कारण है जो हमारे हाथ में नहीं है।
नगर परिषद, हाजीपुर, वैशाली पर टिप्पणी करना भी जरूरी है क्योंकि यह क्षेत्र हमेशा से 2-4 तक केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री देता आया है तो वहीं इसी क्षेत्र व इस क्षेत्र में जन्म लिए नेता 2 हैं जो केन्द्रीय मंत्रीमंडल के हिस्सा है। वहीं शहर का विकास करने का छोटा सा भी प्रयास नहीं दिखाई देता है। वर्तमान समय में जो सड़कें बन रही हैं वह धीरे-धीरे उखड़ने भी लगा है और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 होते-होते सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाएगा। चुनावी सड़क निर्माण में आज शहरी क्षेत्रों में सांसद, विधायक और सभापति सब के सब BJP और NDA के साथी है लेकिन जनता के तकलीफ़ से किसी को मतलब नहीं है।

बिहार में चारा घोटाला एक समय बहुत बड़ा घोटाला था लेकिन आज अगर नगर परिषद हाजीपुर की बात करें तो चारा घोटाला बौना नज़र आयेगा।
आपको एक बात और जानना चाहिए कि वैशाली जिले का मुख्यालय है हाजीपुर और यहां जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और उनकी पुरी टीम बैठती हैं। वहीं दिन में 2-4 बार शहर के सड़कों पर इनका आना-जाना लगा रहता है। लेकिन एक बड़ा आश्चर्य है कि वैशाली पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को सड़कों पर कुछ भी दिखाई नहीं देता है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को नालों पर कब्जा और सड़कों पर अतिक्रमण नहीं दिखाई देता है। वहीं अवैध कब्जा कर धंधा कराने में नगर परिषद हाजीपुर की भागीदारी सुनिश्चित हैं और जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की सहमति से मौन रहने वाली नगर थाना, हाजीपुर अपनी सभी जिम्मेदारियों से खुद को मुक्त ही मानती हैं। इसका कारण है कि एक राजनीतिक व्यवस्था के तहत एक व्यक्ति का हाजीपुर में दबदबा ही नहीं बल्कि लोगों की सांसें उनके हाथों में है। इसलिए कोई बोलता नहीं है।