बैठकी ~~~~~~ चुनाव आयोग --हंगामा है क्यूं बरपा

का बात बा ए काकाजी!!बाड़ा गंभीर मुद्रा में बानी।--मुखियाजी सोफे पर बैठते हुए।

Manish Kumar Singh
Manish Kumar Singh
July 26, 2025


सरजी,अब बिल्कुल साफ-साफ दिखने लगा है कि पुरा विपक्ष सत्ता की कुर्सी हथियाने के क्रम में,देश को टुकड़े-टुकड़े करने और सनातन को समाप्त करने का अपना लक्ष्य बना लिया है। इस क्रम में देश की राजनीति स्पष्ट रूप से दो खेमों में बंट चूकी है। एक खेमा विपक्षियों का, जिसकी राजनीति का आधार सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण और हिंदुओं में जातिगत जहर घोलना बन चूका है। सत्ता की व्याकुलता इतनी तीव्रतम हो चूकी है कि राष्ट्र विभाजन और भारत के इस्लामीकरण की गति को तीव्र करने में किसी हद तक जा रहें हैं। दुसरा खेमा एनडीए का है उसमें भी भाजपा को छोड़,बाकी अधिकांश मौका परस्त क्षेत्रीय दल हैं तथापि एनडीए की राजनीति का लक्ष्य समग्र रूप से भारत और भारतवासी का उत्थान दिखता है।--बैठकी जमते हीं उमाकाका बोल पड़े।

का बात बा ए काकाजी!!बाड़ा गंभीर मुद्रा में बानी।--मुखियाजी सोफे पर बैठते हुए।

मुखियाजी, बिहार में होने वाले चुनाव के पहले चुनाव आयोग ने जब से,यहां "वोटर पुनरीक्षण अभियान"  शुरू किया है सारे विपक्षियों की फटने लगी है। राजनीतिक हलकों में तुफान आ गया है। विपक्षी चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहा है कि इस प्रक्रिया में पिछड़े,दलितों का वोट काटा जा रहा है जबकि ये सच कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। ये विपक्षी जनता को मूर्ख समझते हैं। जनता अच्छी तरह समझती है कि वोट यदि कट रहा है तो अवैध घुसपैठियों की, रोहिंग्या और बंगलादेशी की जो इन इंडी गठबंधन के वोट बैंक हैं। इन घुसपैठियों का आधार कार्ड, राशनकार्ड और वोटर कार्ड आदि बने हुए हैं जिसे बनवाने और भारतीय नागरिक सिद्ध करने का षड्यंत्र, कांग्रेस और विपक्षी दल, बरसों से करते रहे हैं। बिहार हीं नहीं पुरे देश में ये सनातन द्रोही कांग्रेस और विपक्षी ऐसा करते रहे हैं। घुसपैठियों को लेकर सबसे बड़ी समस्या पश्चिम बंगाल में है इसीलिये चुनाव आयोग के, पुरे देश में मतदाता पुनरीक्षण करने की घोषणा को लेकर,ममता बनर्जी सबसे अधिक चीखम पिल्लो मचा रही है।भारतीय हिंदुओं के टैक्स के पैसों पर,सरकार की सारी मुफ्त की योजनाओं का लाभ भी ये घुसपैठिये ले रहे हैं।--मास्टर साहब मुंह बनाये।

ए भाई लोग, जनता के खुब बुझाता कि देश भर के फर्जी वोटरन के बचावे के चक्कर में मये विपझिया हंगामा शुरू कइले बाड़न स। विपक्षिया कहतारे स जे चुनाव आयोग के मतदाता परिक्षण से दलीत, गरीब,पिछड़ा के नाम वोटर लिस्ट से कट जाइ। त का इ समुदायन में सब विपक्षीये के वोटर हवन!! अगर नाम  कटबे करी तो सबसे घाटा त भाजपा के लागी।--मुखियाजी खैनी मलते हुए।

मुखियाजी, मतदाता पुनरीक्षण तो एक सतत् प्रक्रिया है जो हमेशा होती रही है। मतदाता सूची में 18 साल की उम्र प्राप्त किये युवा जुड़ते हैं, वहीं स्थायी स्थानांतरण या निधन की स्थिति में नाम हटाये जाते हैं। ये एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, इसका राजनीतिक दलों से कोई लेना-देना नहीं होता। लेकिन चुनाव आयोग के इस मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाना, चुनाव आयोग पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करना। संसद से लेकर विधानसभा तक विपक्षियों द्वारा धरना प्रदर्शन करना, यहां तक कि कांग्रेस और बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी, राजद के तेजस्वी यादव द्वारा, चुनाव में भाग नहीं लेने की धमकी देना, साबित करता है कि दाल में कुछ काला नहीं, पूरी दाल हीं काली है।--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।

इस बीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में..........


कुंवर जी,इन विपक्षियों की दिक्कत इस बात से है कि इस बार चुनाव आयोग इस बात का भी निरीक्षण कर रहा है कि वोटर भारतीय नागरिक हैं भी या फर्जी वोटर है।--सुरेंद्र भाई मुस्कुराये।

मुखियाजी,जो कांग्रेस आज चुनाव आयोग पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है वहीं ऐसा कानून बनायी थी कि घुसपैठियों की बल्ले-बल्ले रहे। देश में पहले विदेशी अधिनियम 1964 था जिसमें अवैध रूप से भारत में रह रहे घुसपैठियों को साबित करना होता था कि वो भारत का नागरिक है लेकिन देश में मुस्लिम घुसपैठियों को पनाह देने और देश के इस्लामीकरण के उद्देश्य से इंदिरा गांधी ने 1983 में एक अधिनियम लेकर आयी जो खासतौर पर असम के लिए था। चूंकि उस समय,असम में बंग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बाहर करने के लिए आंदोलन चल रहा था। इंदिरा गांधी ने इन घुसपैठियों को बचाने के उद्देश्य से ये अधिनियम लायी थी। जिसके अनुसार असम में नागरिकता सिद्ध करने की जिम्मेदारी शिकायत कर्ता और पुलिस पर डाल दी गई। शिकायतकर्ता भी तीन किलोमीटर के दायरे के भीतर का होना आवश्यक कर दिया गया। परिणाम ये हुआ कि असम से घुसपैठियों को बाहर करना हीं मुश्किल हो गया। बाद में इस अधिनियम के खिलाफ अपील की गई और 12 जुलाई 2005 को पारित अपने फैसले में 1983 के इस कांग्रेसी अधिनियम को कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया। आज कांग्रेस की नीतियों का हीं परिणाम है कि असम में हिन्दू,कुछ बर्षों में अल्पसंख्यक होने वाला है जैसा कि मुख्यमंत्री हेमंत जी ने सच कहने की हिम्मत की।--डा.पिंटु बुरा सा मुंह बनाये।

डा.साहब, अभी कल चुनाव आयोग ने बिहार मतदाता पुनरीक्षण से संबंधित डाटा जारी किया है जिसमें बताया गया है कि लगभग 99.8 प्रतिशत लोगों ने अपना वोटर पुनर्निरीक्षण फार्म भर दिया है। अन्य डाटा के अनुसार लगभग 22 लाख वोटर मृत पाये गये हैं। 7 लाख से अधिक, एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं, लगभग 35 लाख दुसरी जगह स्थानांतरित हो चूके हैं। कल तक 7 करोड़ 23 लाख फार्म जमा हो चूके हैं। एक लाख वोटरों का तो पता हीं नहीं चला ये फर्जी वोटर हैं।
अब बताइये! ये आंकड़े क्या कह रहे हैं!!--मास्टर साहब हाथ चमकाये।

मास्टर साहब, इन विपक्षियों के पिछवाड़े में धधक इस लिए रहा है कि ये जितने फर्जी और घुसपैठिये अवैध रूप से वोटर बने हैं जो इनके कोर वोटर हैं, इस वोटर पुनर्निरीक्षण कार्यक्रम से  लगभग 65 लाख वोटर कट जा रहे हैं तो धधकना स्वाभाविक है।--कहकर उमाकाका मुस्कुराये।

ए भाई लोग,इ विपक्षिया सब चुनाव आयोग पर ब्लेम करतारे स,कोर्टो गईल रहले हा स,त कोर्ट में आयोग का कहलस!!--मुखियाजी उत्सुक लगे।
मुखियाजी, चुनाव आयोग ने कोर्ट में स्पष्ट कर दिया कि केवल भारत के नागरिक हीं मतदाता के रूप में पंजीकृत हो यह निश्चय करने का दायित्व सिर्फ मेरा है जो संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 16 और 19 से प्राप्त होता है। 

मुखियाजी, कोर्ट ने वोटर के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड, राशनकार्ड को भी शामिल करने का सुझाव दिया था लेकिन आयोग ने स्पष्ट किया कि ये इतने जाली बन चूकें हैं कि ये एथेंटिक नहीं हो सकता।--सुरेंद्र भाई अपनी कहे।

अभी हाल हीं में बिहार में सामने आये आधार कार्ड सैचुरेशन के आंकड़ों ने चुनाव आयोग के वक्तव्य को साबित कर दिया है। मुस्लिम बाहुल्य जिलों में ये आंकड़े हैरान कर रहे हैं। जैसे --किशनगंज में मुस्लिम आबादी 68 प्रतिशत है लेकिन आधार सैचुरेशन 126 प्रतिशत है, कटिहार में मुस्लिम आबादी 44 प्रतिशत है लेकिन आधार सैचुरेशन 123 प्रतिशत है, अररिया में मुस्लिम आबादी 43 प्रतिशत है जबकि आधार सैचुरेशन 123 प्रतिशत है, पूर्णियां में मुस्लिम आबादी 38 प्रतिशत और आधार सैचुरेशन 121 प्रतिशत। मतलब 100 लोगों पर 120 से अधिक आधार कार्ड!! आखिर ये अतिरिक्त आधार कार्ड किसके लिए बनाये गये हैं और क्यों!! बिहार से भी बदतर स्थिति पश्चिम बंगाल की है। समझिये, कैसे कैसे षड्यंत्र करके देश को खोखला हीं नहीं इस्लामीकरण का ढ़ांचा खड़ा किया जा रहा है। चुनाव आयोग के इस वोटर पुनर्निरीक्षण कार्यक्रम का विपक्षियों द्वारा विरोध किये जाने का कारण,अब छुपा नहीं है।--कुंवरजी अखबार रखते हुए।

सरजी, बिहार में जिसके वोटर लिस्ट से नाम कट रहा वो न दिखाई पड़ रहे हैं और न शिकायत कर रहे लेकिन जिनका फर्जी वोट बैंक डुब रहा है वो दहाड़े मार कर कोर्ट का चक्कर लगा रहे हैं और धरना, प्रदर्शन कर रहे हैं। अच्छा आज इतना हीं,अब चला जाय।--कहकर मास्टर साहब उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी........!!!!!!
 

आलेख - लेखक

प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)

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