वैशाली जिलाधिकारी यशपाल मीणा मौत के खेल में बिहार में वैशाली को बनाया अव्वल, कैसे नींद आती हैं?

सड़क सुरक्षा पर साल भर पहले मिले सुझाव पर नहीं किया आज तक अमल और रोज हो रही सड़क हादसे के बाद कैसे सो पाते यशपाल मीणा

Manish Kumar Singh
Manish Kumar Singh
May 07, 2025

वैशाली जिले में लगातार कई वर्षों से सड़क दुघर्टना इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि मौत का आंकड़ा आम लोगों को चैन से सोने नहीं देती है। आज वैशाली जिले के किसी भी क्षेत्र में लोग घरों से निकलते हैं और जबतक घर नहीं लौटते हैं तब तक घर वालों के गले से पानी नहीं उतरता है। महज चार दिनों में दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए और कई लोगों की मौत से कई परिवारों में लगातार मातम छाया हुआ है। मौत का खेल जिलाधिकारी यशपाल मीणा के कारण भी हो रही है। 

 

आप सभी को जानना चाहिए कि 2023 और 2024 में अहान न्यूज़ के प्रधान संपादक मनीष कुमार सिंह ने जिलाधिकारी यशपाल मीणा को उनके सरकारी नंबर 09473191310 पर बातचीत कर एवं संदेश भेजकर भी सड़क सुरक्षा पर क़दम उठाने के लिए कहा था। जिलाधिकारी ने भी संदेश भेजकर जानकारी देने को कहा था। जिलाधिकारी ने तत्काल जनसंपर्क पदाधिकारी को मनीष कुमार सिंह से बात करने को कहा और आवेदन के रूप में लिखित रूप से सारी जानकारी देने को कहा। जिसके बाद अति उत्साह में कि काम होगा मनीष कुमार सिंह ने लिखित रूप से एक दर्जन पेज में समस्या, समाधान और उसके माध्यम से सरकार को होने वाले आम पर भी बात रखी। जिसके बाद जिलाधिकारी ने पुनः फोन एवं संदेश से जानकारी मिलने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कि और संदेश दिया कि यह जिम्मेवारी हमारी नहीं है बल्कि जिला परिवहन अधिकारी की हैं और अपना पल्ला झाड़ लिया। जिसके बाद मनीष कुमार सिंह ने एक दिन का सेमिनार सड़क सुरक्षा पर आयोजित किया जिसमें सभी प्रमुख अधिकारियों और विधायक और सांसद को सूचित किया लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा।

 

लगातार अपडेट हो रहे सड़क हादसों ने झकझोर दिया तो अपनी ओर से उठाए गए कदमों को आपके बीच इस आलेख के माध्यम से रखा गया है अहान न्यूज़ के द्वारा। पत्रकारिता एक बड़ी जिम्मेदारी काम काम हैं जिसके लिए हर स्तर पर प्रयास करने की जरूरत को देखते ही जिलाधिकारी यशपाल मीणा को लगातार फोन और संदेश के अलावा ईमेल व लिखित रूप से भी दस्तावेज कार्यालय में सुपूर्द किया। जिलाधिकारी यशपाल मीणा लगभग तीन वर्षों में लगातार सड़कों पर भ्रमण करते दिखे लेकिन सड़क पर उन्हें कोई कमी नहीं दिखाई दी। तो कहावत यहां चरित्रार्थ होता है कि - "आंख से अंधा नाम नयन सुख"।

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