Blogs

July 26, 2025
Ahaan News

राजगीर कन्वेंशन सेंटर में 21-25 दिसंबर को होगा 'नालंदा साहित्य महोत्सव - 2025' का आयोजन

नालंदा में होने वाले इस सांस्कृतिक पुनर्जागरण के महासंगम में 50,000 से अधिक लोगों आने की है उम्मीद

बिहार की सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से "धनु बिहार" न्यास द्वारा आयोजित "नालंदा साहित्य महोत्सव - 2025" का आयोजन 21 से 25 दिसंबर तक राजगीर कन्वेंशन सेंटर, नालंदा में किया जाएगा। इस भव्य आयोजन का थीम "बिहार: एक विरासत" है, जो भारत की भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक विविधताओं को उत्सव का रूप देगा। आयोजन में पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक छवियों को विशेष रूप से उकेरा जाएगा।

इसकी जानकारी आज बीआईए, पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह और महोत्सव निदेशक श्री गंगा कुमार ने दी। महोत्सव की संरक्षक मंडली में शामिल डॉ. सोनल मानसिंह ने इसे "सांस्कृतिक पुनर्जागरण का महा पर्व" करार देते हुए कहा कि यह आयोजन भारत के भाषाई, साहित्यिक और कलात्मक वैभव का उत्सव होगा। उन्होंने कहा, “यह महोत्सव न केवल अतीत की सांस्कृतिक समृद्धि को उजागर करेगा, बल्कि भारतीय भाषाओं और कलाओं के लिए भविष्य का मार्ग भी तैयार करेगा।” आयोजन में सूफी गायक पद्मश्री कैलाश खेर का "अतुल्य भारत" पर लाइव कॉन्सर्ट और डॉ. मानसिंह का विशेष प्रदर्शन भी आकर्षण का केंद्र होगा।

महोत्सव निदेशक श्री गंगा कुमार ने बताया कि इस आयोजन में 5000 से अधिक प्रतिभागियों के हिस्सा लेने की संभावना है, जिनमें शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी/गैर-सरकारी संगठनों, साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्यसभा उपाध्यक्ष हरिवंश, सांसद शशि थरूर, गीतकार इरशाद कामिल, मनोज मुंतशिर, अदूर गोपालकृष्णन, चंद्रप्रकाश द्विवेदी समेत कई प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति की उम्मीद है।


इस दौरान महोत्सव की अध्यक्ष सुश्री डी. आलिया ने जानकारी दी कि यह आयोजन शाइनिंग मुस्कान फाउंडेशन के सहयोग से हो रहा है और इसमें 30 से अधिक पैनल चर्चाएं, कला प्रदर्शनी, फोटो गैलरी, संस्कृतिक कार्यक्रम, और विशेष सत्र शामिल होंगे। बोली लेखकों, कला प्रेमियों, साहित्यकारों और विद्यार्थियों के लिए यह महोत्सव एक अद्वितीय मंच होगा। महोत्सव में 1 लाख से अधिक लोगों तक प्रचार अभियान चलाया जाएगा, जबकि 50,000 से अधिक आगंतुकों की उपस्थिति की संभावना जताई गई है।

प्रेस वार्ता के दौरान कार्यकारी समिति के सदस्य और प्रख्यात लेखक श्री विनोद अनुपम ने कहा कि "बिहार की साहित्यिक चेतना को जागृत करने के लिए आज की प्रेस वार्ता केवल एक शुरुआत है। हम अगले तीन संवाद दिल्ली, मुंबई और नालंदा में आयोजित करेंगे, ताकि इस आयोजन की आवाज़ पूरे देश तक पहुँचे।"

महोत्सव के क्यूरेटर श्री पंकज दुबे, पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ श्री अमित पांडे, समन्वयक एफ. अज़्ज़म और आयोजन समिति के कई अन्य सदस्यों की मौजूदगी में यह घोषणा हुई। सभी ने मिलकर इस कार्यक्रम को बिहार की सांस्कृतिक चेतना का भव्य उत्सव बनाने का आह्वान किया। "नालंदा साहित्य महोत्सव - 2025" निश्चित रूप से भारत के सांस्कृतिक कैलेंडर में एक ऐतिहासिक अध्याय जोड़ने जा रहा है।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

47 साल बाद पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय सोनपुर को पूर्णतया किया गया सील

23 जुलाई 2025 को स्थानीय प्रशासन के सहयोग से निचली अदालत के दिए गए निर्णय को लागू कराने के लिए रेलवे प्रशासन ने किया था अनुरोध

47 साल पहले स्मृति शेष पूर्व मुख्यमंत्री राम सुन्दर दास और तत्कालीन रेलवे अधीक्षक राधेश्याम केडिया के सहयोग से पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर की स्थापना किया था। जिसमें तत्कालीन रेलवे मंत्री मधु दंडवते के द्वारा पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर शिलान्यास किया गया था। पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर के स्थापना को लेकर सबसे बड़ी भूमिका रही हैं तो वह हैं तत्कालीन रेलवे अधीक्षक राधेश्याम केडिया की। रेलवे अधीक्षक राधेश्याम केडिया जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा को लेकर अलख जगाने के लिए बहुत गंभीर थे और इसी उद्देश्य से अपने शिक्षा प्रेम को साबित किया।

वहीं दूसरी ओर तत्कालीन रेलवे अधीक्षक राधेश्याम केडिया की सोच़ यह थी कि इसके साथ-साथ रेलवे में कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों को भी उच्च शिक्षा के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और अपने ही रेलवे के कैंपस में ही पढ़ाई-लिखाई पूरी हो जाएगी। लेकिन स्थापना के 47वें साल में महाविद्यालय में 23 जुलाई 2025 को रेलवे प्रशासन ने ही पूर्ण रूपेण ताला बंदी हो गया है। पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर अपने स्थापना काल से 46 साल का सफ़र बहुत सारे झंझावात को झेलते हुए सफलता पूर्वक संचालित होती रही हैं। वहीं 47वें वर्ष में आते - आते ही महाविद्यालय विधायक तथा कार्यपालिका के बिछाए मकड़जाल में फंस गया और अब दुबारा इस जगह पर पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय सोनपुर नहीं दिखाई देगा। 

एक प्रोफेसर साहब से मिली जानकारी के अनुसार कि पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर के साथ जो खेला हुआ उसके लिए परिणामस्वरूप यह कह सकते हैं कि - "प्रसाद के लिए मंदिर को तोड़ने का फैसला कर लिया गया और महाविद्यालय में पूर्ण तालाबंदी सफल हो गया।"

आगे प्रोफेसर साहब बताते हैं कि महाविद्यालय को बहुत सारा नुकसान हुआ है उसके और भी कारण हैं। आपको बता दें कि महामहिम सह कुलाधिपति महोदय के आदेश, माननीय उच्च न्यायालय पटना के निर्णय तथा विश्वविद्यालय के दिशानिर्देशों के अनुसार संबद्ध महाविद्यालय में वरीय शिक्षक ही प्रभारी प्राचार्य होते हैं। इसी नीति के तहत डॉ. प्रकाश चंद गुप्ता जी को पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय का अंतिम प्राचार्य बना दिया गया। जिसके पीछे व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण कनीयतम शिक्षक को प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया।

वहीं आपको जानकारी दें कि तत्कालीन तदर्थ समिति के कुल सात सदस्य थे लेकिन मात्र तीन सदस्य की सहमति से ही इसे लागू कर दिया गया। विश्वविद्यालय ने ऐसे निर्णय से असहमति जताई तथा उक्त समिति के स्थान पर पांच सदस्यों वाली एक तदर्थ समिति का गठन कर दिया। महत्वपूर्ण यह हो गया कि जब प्रसाद की इच्छा एक बार जागृत हो जाने के बाद उसे भूलना काफी कठिन है। ऐसे में नई समिति ने भी इस महाविद्यालय को बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और अंततः महाविद्यालय को पूर्ण रूप से सील कर दिया गया है। जबकि निचले अदालत के विरुद्ध महाविद्यालय उच्च न्यायालय, पटना में अपनी अर्जी लगा रखा है। 

समितियों और प्रशासनिक तांडव में छात्रों का जीवन के साथ खिलवाड़ कर दिया गया है। वहीं यक्ष प्रश्न यह हैं कि छात्रों की शिक्षा और छात्रों के हुए नामांकितों के साथ अब क्या होगा?

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Uncategorized

हमे पद और पैसा नही" अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के स्मृति शेष राष्ट्रीय अध्यक्षों द्वारा कायस्थों की एकता और अखंडता को कायम करने की क्षमता चाहिए : राजीव रंजन

कायस्थ कोई जाति नही , यह तो भारतीय सभ्यता और संस्कृति का वह नाम है जो समाज और राष्ट्र के सर्वांगीण विकासमें अपना अहम योगदान देता है

आज अखिल भारतीय कायस्थ महा-सभा के बिहार प्रदेश कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की बैठक प्रदेश अध्यक्ष श्री राजीव रंजन सिन्हा की अध्यक्षता में ठाकुर प्रसाद कम्युनिटी हाॅल में शामिल 5 बजे प्रारम्भ हुआ। जिसका संचालन प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवीन्द्र कुमार रतन ने किया। सभा में मुख्य रुप से 17 अगस्त के कार्य समिति की तैयारी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष के सम्मान समारोह की रुप रेखाऔर उपस्थिति पर विचार हुआ। प्रदेश अध्यक्ष राजीव रंजन ने अपने उद्बोधन में कहा कि"हमे पद और पैसा नहीं " अखिल भारतीय कायस्थ महासभाके स्मृतिशेष राष्ट्रीय अध्यक्षों द्वारा कायस्थों की एकता और अखंडता को कायम करने की क्षमता चाहिए। आगे उन्होने दिनांक 17 अगस्त के कार्य क्रम का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हुए कार्यों और विभागों का बटवारा किया ।


वरिष्ठ उपाध्यक्ष रबीन्द्र कुमार रतन ने अपने वक्तव्य  में कहा कि "कायस्थ कोई जाति नही , यह तो भारतीय सभ्यता और संस्कृति का वह नाम है जो समाज और राष्ट्र  के सर्वांगीण विकास में अपना अहम योगदान देता है। उन्होने आगे कहा कि 17 अगस्त के कार्यक्रम की सफलता में वे अपने अध्यक्ष राजीव  रंजन जी के कदम से कदम मिलाकर कर के तन मन धन के साथ तैयार  रहेंगे। उन्होने यह भी बताया कि अस्वस्थता के कारण  महामंत्री बहन माया श्रीवास्तव  जी आज उपस्थित नहीं हो सकी हैं। सभा में वरिष्ठ सदस्य  श्री दिनेश प्रसाद सिन्हा, कृष्ण बिहारी श्री0 रुद्र देव प्रसाद, असीम कुमार सिंहा, शालिनी सिन्हा , दीप शिखा,मुकेश सिंहा, किसान कालोनी, सुनील कुमार श्रीवास्तव, अमर नाथ  श्री0 सुनील कुमार वर्मा, दीपक कुमार सिन्हा (पूर्व मुखिया,बाकरपुर), जीतेन्द्र कुमार वर्मा, हाजीपुर, अक्षत प्रदेश, विनय
कुमार श्रीवास्तव, अमृत सिन्हा, अभिषेक श्रीवास्तव, प्रिय रंजन सिन्हा, आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे और समारोह की सफलता में अपना योगदान देने का वचन  दिया।


सर्व सम्मति से तय हुआ कि अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष  परम आदरणीय श्री अनुप श्रीवास्तव  जी के मिलन सह सम्मान समारोह की सफलता के लिए  कार्यो का बटवारा कर निम्न समितियों में बांटा जाए :-
1  संयोजन  समिति  के संयोजक राजीव रंजन, सहायक रवीन्द्र कुमार रतन सहित पांच  अन्य  

2  मीडिया समिति  

3 कोष व लेखा समिति

4  तैयारी समिति  

5  युवा समन्वय समिति 

6  स्वागत समिति  

7 मंच व्यवस्था समिति  

8  भोजन एवं जल व्यवस्था समिति 

9  यातायात समिति

10  प्रचार-प्रसार समिति

11 व्यवस्था समिति 

12  पूजा सम्पर्क समिति आदि। 

इस तरह से सबका साथ, सबका सहयोग के तहत सबको सामुहिक  जिम्मेवारीका एहसास  कराकर समारोह  को सफल बनाने को अपना-अपना योगदान देनाहै।
अंत में श्री दिनेश प्रसाद सिंहा जीने धन्यावाद ज्ञापन के साथ सभा की कार्रवाई  समाप्त  की घोषणा की गई।
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

स्वास्थ्य मंत्री ने डीपीएम डॉ कुमार मनोज को दिया प्रशस्ति पत्र

- बदलते बिहार और स्वस्थ बिहार का बताया सहभागी

वैशाली - इस माह गांधी मैदान में आयोजित स्वास्थ्य मेले में सफल सहयोगी बनने के लिए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ कुमार मनोज को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है। प्रशस्ति पत्र में स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टर कुमार मनोज को बदलते बिहार और स्वस्थ बिहार का सहभागी बताया है। इस सम्मान पर डॉक्टर कुमार मनोज ने कहा कि मैंने सिर्फ अपना कर्तव्य निभाया है।

इस सफलता के पीछे जिला स्वास्थ्य समिति वैशाली की मेहनत है। एक स्वास्थ्य कर्मी होने के नाते हमारा उद्देश्य  हमेशा यही रहे की जनमानस में स्वास्थ्य के प्रति लोगों को सचेत रखें। बिना किसी रूकावट के उन तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाएं, स्वास्थ्य कार्यक्रमों का लाभ उनके लाभार्थियों तक पहुंचे। मैं और जिला स्वास्थ्य समिति वैशाली की पूरी टीम इस प्रशस्ति पत्र पर उत्साहित है। आशा करता हूं कि वह भविष्य में एक नई ऊर्जा के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नया आयाम गढ़ेंगे।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

महनार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 50 फाइलेरिया रोगियों को एमएमडीपी किट का ​हुआ वितरण

-फाइलेरिया रोगियों को विकलांगता प्रमाण पत्र के बारे में दी गयी जानकारी

वैशाली - जिले के महनार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्मुखीकरण के दौरान 50 फाइलेरिया रोगियों को विकलांगता प्रबंधन और रोकथाम (एमएमडीपी) किट वितरण के साथ विकलांगता प्रमाण के बारे में जानकारी दिया गया। इस अवसर पर फाइलेरिया रोगियों को एमएमडीपी किटों के उपयोग और हाथीपांव रोगियों के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र जैसी सेवाओं के लिए जरूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अलका ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य फाइलेरिया रोगियों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करना और उन्हें अपने जीवन की गुणवता में सुधार लाने में मदद करना है।


कार्यक्रम के दौरान, एक 12 वर्षीय लड़की को भी फाइलेरिया रोग की पहचान की गयी। इस दौरान ​उसे स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ एमएमडीपी किट के उपयोग की सलाह दी गयी। पैर के सूजन को कम करने के लिए विशेष प्रकार के व्यायाम भी बताए गए। कार्यक्रम में एमओआईसी डॉ अलका, डीपीएल पिरामल पीयूष, वीडीसीओ राजीव और अमित ,वीबीडीएस ऋषि और कृष्णदेव, बीसीएम पुष्पलता उपस्थित थीं।
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) - 02

क्या मेघवाल के व्यक्तव्य को मोदी सरकार का ओरीजनल चेहरा माना जा सकता है ? भूल ही होगी संविधान सुरक्षित है पर भरोसा करना !

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे नम्बर के नेता (नेता इसलिए कि संघ अब खुलकर राजनीति करने लगा है!) दत्तात्रेय होसबोले ने इमर्जेंसी के अर्धशतकीय वर्षगांठ के दौरान पूरे होशोहवास में बोला था कि 1976 में श्रीमती इंदिरा गांधी के शासनकाल में संविधान संशोधन के जरिए संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गये दो शब्द "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" शब्द को हटाने पर व्यापक रूप से विचार विमर्श करते हुए समीक्षा किया जाना चाहिए। संघ द्वारा विचार विमर्श करने का सुझाव बीजेपी के लिए किसी हुक्म से कम नहीं होता ! इसी के तहत बीजेपी के मंत्रियों - संतत्रियों ने जिस संविधान की शपथ लेकर सत्ता सुख भोगते चले आ रहे हैं उसी संविधान की आत्मा को कुचलने का व्यक्तव्य अखबारों की सुर्खियां बनने लगा। बकौल केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (ये वही हैं जिन्होंने संविधान की शपथ लेकर दो दशक तक मध्यप्रदेश की कमान संभालते हुए सत्ता सुख भोगा है तथा 2014 में भाजपा के संस्थापक सदस्य लालकृष्ण आडवाणी ने शिवराज सिंह चौहान को नरेन्द्र मोदी की तुलना में ज्यादा सक्षम प्रधानमंत्री कैंडीडेट घोषित करने की वकालत की थी और शायद उसी का खामियाजा आडवाणी को राजनीतिक बनवास के रूप में भोगना पड़ रहा है, कुर्सी लोलुपता में कभी संघ निष्ठ रहे शिवराज आज मोदी निष्ठ बनकर रह गये हैं !) भारत में समाजवाद की कोई जरूरत नहीं, धर्मनिरपेक्षता हमारी संस्कृति का मूल नहीं (द न्यू इंडियन एक्सप्रेस)। द इंडियन एक्सप्रेस - प्रस्तावना में समाजवाद, धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ना सनातन की भावना का अपमान (उपराष्ट्रपति धनखड़ - जिन्हें हाल ही में आजाद भारत के इतिहास में ऐतिहासिक बेइज्जती के साथ जबरिया इस्तीफा लेकर घर पर नजरबंद कर दिया गया है !) asianet news - संविधान पर फिर से गहराते दिखे सवाल ? प्रस्तावना के शब्दों पर गरमाई बहस में केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने रखी राय - पुनर्विचार का किया समर्थन। abp न्यूज - भारत के विचार के खिलाफ है धर्मनिरपेक्षता (मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा - कांग्रेस से उधार लिया गया सिंदूर !)

संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" शब्द को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत में चुनौती दी गई जिस पर निर्णय देते हुए अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि समाजवाद शब्द कल्याणकारी राज्य को इंगित करता है तथा धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान की आत्मा में निहित है। इसी बात को लेकर राज्यसभा में भी सवाल पूछा गया जिस पर जबाब देते हुए केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में कहा कि संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए शब्द "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" को हटाने के लिए फिलहाल सरकार का कोई इरादा नहीं है। जिसे अखबारों ने अपने-अपने तरीके से हेडलाइन बनाकर छापा है। सत्य ने लिखा - मोदी सरकार पीछे हटी : संसद को बताया संविधान से सेकुलर और सोशलिस्ट शब्द नहीं हटेंगे - कानून मंत्री मेघवाल। नव भारत टाइम्स ने हेडलाइन बनाई है - संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटेंगे ? सरकार ने संसद में क्या बताया ? आजतक ने हेडलाइन छापी - संघ से सरकार का अलग स्टैंड - समाजवाद - सेकुलर शब्द प्रस्तावना से हटाने पर क्या बोले कानून मंत्री ? संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने पर संघ और सरकार का नजरिया अलग - अलग। कानून मंत्री ने अपने जबाब में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र भी किया है।


मगर सरकार के नजरिए पर सहजता से विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके पहले सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से इतर जाकर संंसद में अपने मनमाफिक कानून बना चुकी है। जिसे सरकार की करनी और कथनी के अंतर यानी दोगले चरित्र के रूप में देखा जाता रहा है। कानून मंत्री मेघवाल के जबाब ने एक नये सवाल को खड़ा कर एक नई बहस छेड़ दी है कि जब सरकार "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" शब्द को यथावत रख रही है तो फिर "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" को हटाने की वकालत करने वाले संविधान की शपथ खाकर मंत्री बने लोगों को मंत्रीमंडल में क्यों रखा जा रहा है ? क्या पीएम मोदी संविधान के सम्मान, कानून मंत्री के जवाब और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर शिवराज सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह को मंत्री परिषद से बाहर का रास्ता दिखाने का साहस करेंगे ? क्या मोदी-शाह की जोड़ी हिमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटायेगी ?

मोदी सरकार ने अपने 11 बरस में जिस तरह से अपने दोगलेपने का इजहार किया है उससे देशवासियों के मन में उसके प्रति अविश्वास पैदा हो चुका है। 2014 के कार्यकाल में गृहमंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह ने सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35ए को नहीं हटाया जाएगा। लेकिन 2019 के कार्यकाल में अपने ही हलफनामे के विपरीत जाकर सरकार ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35ए को न केवल हटाया गया बल्कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा समाप्त कर केन्द्र शासित प्रदेश बनाते हुए तीन टुकड़ों में बांट दिया गया। एक तरफ मोदी सरकार गांधी की 150वीं जयंती मनाती है और दूसरी तरफ उन्हीं की पार्टी बीजेपी का सांसद गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को रोड़ माॅडल मानता - बताता है। एक तरफ बीजेपी की सरकार मुसलमानों की मस्जिदों से ध्वनि प्रदूषण के नाम पर लाउडस्पीकर उतारती है और दूसरी तरफ कांवड़ यात्रा के दौरान पूरे रास्ते फुल साउंड डीजे बजाने वालों के ऊपर पुष्प वर्षा करती है। व्यक्तिगत आस्था को इवेंट बनाया जाता है। एक ओर सरसंघचालक मोहन भागवत हर मंदिर में मस्जिद नहीं ढूढ़ने की बात कहते हैं वहीं दूसरी ओर हर मस्जिद में खोदा-खादी की जाती है मंदिर ढूंढने के लिए। वोट के लिए मुसलमान बीजेपी की सबसे बड़ी जरूरत भी है, वोट के लिए मोदी सहित तमाम नेताओं द्वारा गोल टोपी भी पहन ली जाती है और उसके बाद सबसे ज्यादा घृणा का पात्र भी मुसलमान ही है। संघ प्रमुख कहते हैं भारतीय मुसलमान और हमारा DNA एक जैसा है लेकिन बीजेपी उसे विजातीय मानती है। दूसरे दल का भृष्टाचारी महापापी और बीजेपी में आते ही वह संत बन जाता है। महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण करने वाले बीजेपी सांसद को संसद में बैठने की अनुमति है मगर सांसद भाई - बहन को आपस में बातचीत करने की इजाजत नहीं है उस पर टोकाटाकी की जाती है। मोदी बिना बुलाए बिरयानी खाने पाकिस्तान जा सकते हैं लेकिन विपक्षी पाकिस्तान के फेवर में एक शब्द नहीं बोल सकता है। चीन जब भारतीय सैनिकों की हत्या करे और कोई उस पर सवाल उठाये तो उसे चाइना परस्त करार दे दिया जाता है और मोदी चाइना राष्ट्राध्यक्ष को झूला झुलाते हैं तो राष्ट्र प्रेमी हो जाते हैं। मोदी एक ओर चाइना के माल का बहिष्कार करने की अपील करते हैं और दूसरी ओर चीन से व्यापारिक डील भी करते हैं। अब इसे बीजेपी, मोदी सरकार और आरएसएस का दोगलापन न कहा जाय तो फिर क्या कहा जाय?

मेघवाल के जबाब को इस नजरिए से भी देखा जा रहा है कि अनंत हेगड़े, ज्योति मिर्धा, अरूण गोविल, लल्लू सिंह, दिया कुमारी, धरमपुरी अरविंद द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान की गई संविधान बदलने हेतु 400 पार कराने के लिए की गई अपील, देवेन्द्र फडणवीस का कहा गया "संविधान की किताब दिखलाना नक्सली सोच है" के परिणामस्वरूप जनता द्वारा 240 पर सिमटा दिया जाना है। बीजेपी को शायद ये समझ में आ गया है कि यदि संविधान बदलने की बात करेंगे तो सत्ता से बाहर कर दिया जाएगा इसलिए पहले संविधान से दो शब्द "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष" हटाकर जनता के रूख को भांपा जाय। पूर्ववर्तीय झांका जाय तो आरएसएस ने संविधान लागू होने के पहले से ही संविधान का प्रखर विरोध शुरू कर दिया था। वह तो मनुस्मृति को लागू करने का पक्षधर रहा है शायद इसीलिए अम्बेडकर की उपस्थिति में मनुस्मृति की प्रतियाँ जलाई गईं थीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संविधान लागू होने के बाद से ही संविधान को रिप्लेस कर मनुस्मृति लागू करने का प्रयास किया जाता रहा है। बीजेपी की सत्ता बनाये रखने के लिए अपनी ही सोच को जरा सा यू-टर्न देते हुए तय किया गया है कि संविधान के नाम पर सत्ता में बने रहो और उसकी आड़ में मनुस्मृति को लागू करने का प्रयास भी जारी रखो, जनता को तो ऐसा ही समझ आ रहा है ।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता 
स्वतंत्र पत्रकार

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 26, 2025
Ahaan News

बैठकी ~~~~~~ चुनाव आयोग --हंगामा है क्यूं बरपा

का बात बा ए काकाजी!!बाड़ा गंभीर मुद्रा में बानी।--मुखियाजी सोफे पर बैठते हुए।


सरजी,अब बिल्कुल साफ-साफ दिखने लगा है कि पुरा विपक्ष सत्ता की कुर्सी हथियाने के क्रम में,देश को टुकड़े-टुकड़े करने और सनातन को समाप्त करने का अपना लक्ष्य बना लिया है। इस क्रम में देश की राजनीति स्पष्ट रूप से दो खेमों में बंट चूकी है। एक खेमा विपक्षियों का, जिसकी राजनीति का आधार सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण और हिंदुओं में जातिगत जहर घोलना बन चूका है। सत्ता की व्याकुलता इतनी तीव्रतम हो चूकी है कि राष्ट्र विभाजन और भारत के इस्लामीकरण की गति को तीव्र करने में किसी हद तक जा रहें हैं। दुसरा खेमा एनडीए का है उसमें भी भाजपा को छोड़,बाकी अधिकांश मौका परस्त क्षेत्रीय दल हैं तथापि एनडीए की राजनीति का लक्ष्य समग्र रूप से भारत और भारतवासी का उत्थान दिखता है।--बैठकी जमते हीं उमाकाका बोल पड़े।

का बात बा ए काकाजी!!बाड़ा गंभीर मुद्रा में बानी।--मुखियाजी सोफे पर बैठते हुए।

मुखियाजी, बिहार में होने वाले चुनाव के पहले चुनाव आयोग ने जब से,यहां "वोटर पुनरीक्षण अभियान"  शुरू किया है सारे विपक्षियों की फटने लगी है। राजनीतिक हलकों में तुफान आ गया है। विपक्षी चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहा है कि इस प्रक्रिया में पिछड़े,दलितों का वोट काटा जा रहा है जबकि ये सच कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। ये विपक्षी जनता को मूर्ख समझते हैं। जनता अच्छी तरह समझती है कि वोट यदि कट रहा है तो अवैध घुसपैठियों की, रोहिंग्या और बंगलादेशी की जो इन इंडी गठबंधन के वोट बैंक हैं। इन घुसपैठियों का आधार कार्ड, राशनकार्ड और वोटर कार्ड आदि बने हुए हैं जिसे बनवाने और भारतीय नागरिक सिद्ध करने का षड्यंत्र, कांग्रेस और विपक्षी दल, बरसों से करते रहे हैं। बिहार हीं नहीं पुरे देश में ये सनातन द्रोही कांग्रेस और विपक्षी ऐसा करते रहे हैं। घुसपैठियों को लेकर सबसे बड़ी समस्या पश्चिम बंगाल में है इसीलिये चुनाव आयोग के, पुरे देश में मतदाता पुनरीक्षण करने की घोषणा को लेकर,ममता बनर्जी सबसे अधिक चीखम पिल्लो मचा रही है।भारतीय हिंदुओं के टैक्स के पैसों पर,सरकार की सारी मुफ्त की योजनाओं का लाभ भी ये घुसपैठिये ले रहे हैं।--मास्टर साहब मुंह बनाये।

ए भाई लोग, जनता के खुब बुझाता कि देश भर के फर्जी वोटरन के बचावे के चक्कर में मये विपझिया हंगामा शुरू कइले बाड़न स। विपक्षिया कहतारे स जे चुनाव आयोग के मतदाता परिक्षण से दलीत, गरीब,पिछड़ा के नाम वोटर लिस्ट से कट जाइ। त का इ समुदायन में सब विपक्षीये के वोटर हवन!! अगर नाम  कटबे करी तो सबसे घाटा त भाजपा के लागी।--मुखियाजी खैनी मलते हुए।

मुखियाजी, मतदाता पुनरीक्षण तो एक सतत् प्रक्रिया है जो हमेशा होती रही है। मतदाता सूची में 18 साल की उम्र प्राप्त किये युवा जुड़ते हैं, वहीं स्थायी स्थानांतरण या निधन की स्थिति में नाम हटाये जाते हैं। ये एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, इसका राजनीतिक दलों से कोई लेना-देना नहीं होता। लेकिन चुनाव आयोग के इस मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाना, चुनाव आयोग पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करना। संसद से लेकर विधानसभा तक विपक्षियों द्वारा धरना प्रदर्शन करना, यहां तक कि कांग्रेस और बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी, राजद के तेजस्वी यादव द्वारा, चुनाव में भाग नहीं लेने की धमकी देना, साबित करता है कि दाल में कुछ काला नहीं, पूरी दाल हीं काली है।--कुंवरजी अखबार पलटते हुए।

इस बीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हमसभी एक एक कप उठाकर पुनः वार्ता में..........


कुंवर जी,इन विपक्षियों की दिक्कत इस बात से है कि इस बार चुनाव आयोग इस बात का भी निरीक्षण कर रहा है कि वोटर भारतीय नागरिक हैं भी या फर्जी वोटर है।--सुरेंद्र भाई मुस्कुराये।

मुखियाजी,जो कांग्रेस आज चुनाव आयोग पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है वहीं ऐसा कानून बनायी थी कि घुसपैठियों की बल्ले-बल्ले रहे। देश में पहले विदेशी अधिनियम 1964 था जिसमें अवैध रूप से भारत में रह रहे घुसपैठियों को साबित करना होता था कि वो भारत का नागरिक है लेकिन देश में मुस्लिम घुसपैठियों को पनाह देने और देश के इस्लामीकरण के उद्देश्य से इंदिरा गांधी ने 1983 में एक अधिनियम लेकर आयी जो खासतौर पर असम के लिए था। चूंकि उस समय,असम में बंग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बाहर करने के लिए आंदोलन चल रहा था। इंदिरा गांधी ने इन घुसपैठियों को बचाने के उद्देश्य से ये अधिनियम लायी थी। जिसके अनुसार असम में नागरिकता सिद्ध करने की जिम्मेदारी शिकायत कर्ता और पुलिस पर डाल दी गई। शिकायतकर्ता भी तीन किलोमीटर के दायरे के भीतर का होना आवश्यक कर दिया गया। परिणाम ये हुआ कि असम से घुसपैठियों को बाहर करना हीं मुश्किल हो गया। बाद में इस अधिनियम के खिलाफ अपील की गई और 12 जुलाई 2005 को पारित अपने फैसले में 1983 के इस कांग्रेसी अधिनियम को कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया। आज कांग्रेस की नीतियों का हीं परिणाम है कि असम में हिन्दू,कुछ बर्षों में अल्पसंख्यक होने वाला है जैसा कि मुख्यमंत्री हेमंत जी ने सच कहने की हिम्मत की।--डा.पिंटु बुरा सा मुंह बनाये।

डा.साहब, अभी कल चुनाव आयोग ने बिहार मतदाता पुनरीक्षण से संबंधित डाटा जारी किया है जिसमें बताया गया है कि लगभग 99.8 प्रतिशत लोगों ने अपना वोटर पुनर्निरीक्षण फार्म भर दिया है। अन्य डाटा के अनुसार लगभग 22 लाख वोटर मृत पाये गये हैं। 7 लाख से अधिक, एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं, लगभग 35 लाख दुसरी जगह स्थानांतरित हो चूके हैं। कल तक 7 करोड़ 23 लाख फार्म जमा हो चूके हैं। एक लाख वोटरों का तो पता हीं नहीं चला ये फर्जी वोटर हैं।
अब बताइये! ये आंकड़े क्या कह रहे हैं!!--मास्टर साहब हाथ चमकाये।

मास्टर साहब, इन विपक्षियों के पिछवाड़े में धधक इस लिए रहा है कि ये जितने फर्जी और घुसपैठिये अवैध रूप से वोटर बने हैं जो इनके कोर वोटर हैं, इस वोटर पुनर्निरीक्षण कार्यक्रम से  लगभग 65 लाख वोटर कट जा रहे हैं तो धधकना स्वाभाविक है।--कहकर उमाकाका मुस्कुराये।

ए भाई लोग,इ विपक्षिया सब चुनाव आयोग पर ब्लेम करतारे स,कोर्टो गईल रहले हा स,त कोर्ट में आयोग का कहलस!!--मुखियाजी उत्सुक लगे।
मुखियाजी, चुनाव आयोग ने कोर्ट में स्पष्ट कर दिया कि केवल भारत के नागरिक हीं मतदाता के रूप में पंजीकृत हो यह निश्चय करने का दायित्व सिर्फ मेरा है जो संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 16 और 19 से प्राप्त होता है। 

मुखियाजी, कोर्ट ने वोटर के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड, राशनकार्ड को भी शामिल करने का सुझाव दिया था लेकिन आयोग ने स्पष्ट किया कि ये इतने जाली बन चूकें हैं कि ये एथेंटिक नहीं हो सकता।--सुरेंद्र भाई अपनी कहे।

अभी हाल हीं में बिहार में सामने आये आधार कार्ड सैचुरेशन के आंकड़ों ने चुनाव आयोग के वक्तव्य को साबित कर दिया है। मुस्लिम बाहुल्य जिलों में ये आंकड़े हैरान कर रहे हैं। जैसे --किशनगंज में मुस्लिम आबादी 68 प्रतिशत है लेकिन आधार सैचुरेशन 126 प्रतिशत है, कटिहार में मुस्लिम आबादी 44 प्रतिशत है लेकिन आधार सैचुरेशन 123 प्रतिशत है, अररिया में मुस्लिम आबादी 43 प्रतिशत है जबकि आधार सैचुरेशन 123 प्रतिशत है, पूर्णियां में मुस्लिम आबादी 38 प्रतिशत और आधार सैचुरेशन 121 प्रतिशत। मतलब 100 लोगों पर 120 से अधिक आधार कार्ड!! आखिर ये अतिरिक्त आधार कार्ड किसके लिए बनाये गये हैं और क्यों!! बिहार से भी बदतर स्थिति पश्चिम बंगाल की है। समझिये, कैसे कैसे षड्यंत्र करके देश को खोखला हीं नहीं इस्लामीकरण का ढ़ांचा खड़ा किया जा रहा है। चुनाव आयोग के इस वोटर पुनर्निरीक्षण कार्यक्रम का विपक्षियों द्वारा विरोध किये जाने का कारण,अब छुपा नहीं है।--कुंवरजी अखबार रखते हुए।

सरजी, बिहार में जिसके वोटर लिस्ट से नाम कट रहा वो न दिखाई पड़ रहे हैं और न शिकायत कर रहे लेकिन जिनका फर्जी वोट बैंक डुब रहा है वो दहाड़े मार कर कोर्ट का चक्कर लगा रहे हैं और धरना, प्रदर्शन कर रहे हैं। अच्छा आज इतना हीं,अब चला जाय।--कहकर मास्टर साहब उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी........!!!!!!
 

आलेख - लेखक

प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 25, 2025
Ahaan News

ब्रह्मर्षि रक्षक प्रहरी द्वारा गुरू पूर्णिमा पर पूर्वज स्मृति समारोह का किया गया आयोजन

देश और समाज में उनके योगदान को भी याद किया गया, जिसमें उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित किए l

ब्रह्मर्षि रक्षक प्रहरी के द्वारा लगातार छोटे - छोटे प्रयासों से ब्रह्मर्षि वंश और परिवार को पुनः जागृत करते हुए बड़े - बड़े काम किए जा रहे हैं। ब्रह्मर्षि रक्षक प्रहरी नाम ही अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है और अपने नाम के अनुसार जागृत होकर कोलकाता से हर एक को लगातार जोड़ रहे हैं और मजबूत करते जा रहे हैं। समाज के पूर्वजों को और उनकी कृतियों को लेकर सामने रखना और उनके तस्वीरें सामने लाकर एक - एक से पहचान कराना बहुत बड़ी बात है। इसी कड़ी में श्रावण मास के कामिका एकादशी पर ब्रह्मर्षि रक्षक प्रहरी के तत्वाधान में स्वतंत्रता सेनानियो कि धरती बैरकपुर में पूर्वज स्मृति समारोह और गुरु पूर्णिमा का आयोजन किया गया है l

 

कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व शिक्षक बैकुंठनाथ पांडेय की अध्यक्ष में स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडेय की शहीद स्मारक और मंगल पांडेय चौक स्थित स्टैचू पर माल्यार्पण किया गया l जिसमें स्वामी रंग रामानुजाचार्य 3 पुण्यतिथि, बैकुंठ शुक्ला 118वीं जयंती व 91वीं पुण्यतिथि, महावीर त्यागी 45वीं पुण्यतिथि , चौधरी रघुवीर सिंह त्यागी 153वी जयंती व 56वीं पुण्यतिथि,साधु शरण शाही 106 वीं जयंती व 34वीं पुण्यतिथि , महेश प्रसाद सिंह 124 वीं जयंती, मंगल पांडेय 198 वीं जयंती,किशोरी प्रसन्न सिंह 41वीं पुण्यतिथि, सहजानान्द सरस्वती 75वीं पुण्यतिथि, मंगला राय  49वीं पुण्यतिथि, भुल्लर ठाकुर 125वीं जयंती, रामदेव सिंह 34वीं पुण्यतिथि, राजबल्लव बाबू  10वीं पुण्यतिथि, ब्रह्मेश्वर मुखिया 13वीं पुण्यतिथि, नरसिम्हा राव 104वीं जयंती, स्वामी विमलानद सरस्वती 17वीं पुण्यतिथि, कुबेर नाथ राय 29वीं पुण्यतिथि भूमिहार ब्राह्मण कॉलेज 126वा और लक्ष्मी नारायण कॉलेज 69 स्थापना दिवस भी मनाया गया l 

देश और समाज में उनके योगदान को भी याद किया गया, जिसमें उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित किए l 

समाज के विभिन्न स्थानों से लोग सम्मिलित हुए और अपने- अपने विचारों जैसे नैतिक शिक्षा, बढ़ती उम्र में विवाह, परीक्षा में सहयोग, मोबाइल से परिवार टूटने का सबसे बड़ा कारण बताया गया l कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व प्रधानाध्यापक विजय कुमार पांडेय,डॉ विनोद कुमार, रामकुमार सिंह, तारकेश राय, अभिषेक राय, रविन्द्र कुंवर, रवि भूषण कुमार, संतोष सिंह, संजीव पांडे, अजय पांडे, कृष्ण कांत कुमार, अजीत सिंह, राजेश कुमार, कामेश्वर तिवारी, विमलेश सिंह, शंकर सिंह, कल्याण सिंह, नीतीश आनंद, जिम्मी सिंह, मंतोष सिंह, श्याम नारायण राय , धीरज कुमार, अभिषेक सिंह, शिल्पी सिंह इत्यादि लोग सम्मिलित हुए l धन्यवाद ज्ञापन कामेश्वर प्रसाद सिंह के द्वारा किया गया l

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 25, 2025
Ahaan News

कोई बोलतई रे : पार्ट: 4 : चारा घोटाले के बाद हाजीपुर नगर परिषद का घोटाला

नाला, गली, मौहल्ला, सड़क, कचड़ा सभी प्रबंधन के नाम पर चारा घोटाले से भी बड़ा घोटाला, मगर कौन करेगा जांच, क्यों चोर-चोर मौसेरे भाई

हाजीपुर विधानसभा का इतिहास समय और परिस्थितियों के अनुसार कभी नहीं बदला। यहां के विधायक का इतिहास कब्जा करने और लूट खसोट का लगातार बना हुआ है। लगभग दर्जन भर विधायक हाजीपुर से हो चुके हैं और उनमें 2-4 को छोड़ दें तो सब बेईमानी के उच्च स्तर को प्राप्त किए। वहीं नगर निगम, हाजीपुर की स्थापना 1869 में हुआ और 2001 में नव निर्माण की ओर बढ़ा तो नगर परिषद, हाजीपुर बना और राजनीतिक दृष्टिकोण से यह छोटा सा क्षेत्र राजनीतिक उद्योग का केंद्र बन गया। समय बदला मगर हाजीपुर शहरी क्षेत्रों का लगातार विनाश होता चला गया। 

हाजीपुर (विधानसभा और नगर परिषद) पर भाजपा (BJP यानि भारतीय जनता पार्टी) का कब्जा और हत्या व मौत के साथ सड़कों व नालों के साथ उसके ढक्कनों पर कब्जा कर व्यक्तिगत कमाई करते नहीं है तो करते क्या हैं ? टैक्स के नाम पर नमक से लेकर सोना तक लोगों को सरकारें लूट रही है मगर धरातलीय हकीकत से कोसों दूर हैं या जानबूझकर अनदेखा करती हैं।

श्री हरि का क्षेत्र जहां श्रीहरि और श्रीहर दोनों का आगमन हुआ और बना हरिहर क्षेत्र। आज श्री हरिहर क्षेत्र का नाम बदलकर हाजीपुर हो गया और लगभग 150 वर्षों से निरंतर प्रगति की ओर बढ़ने की जगह निरंतर अवनति की ओर बढ़ रहा है। नगर परिषद हाजीपुर में सड़कों पर मौत की दुकान खोली गई हैं। लगातार 5 सालों से सिवरेज और नमामि गंगे के नाम पर हाजीपुर शहर को गड्ढों में तब्दील कर दिया गया है तो वहीं जो सड़कें बन रही हैं उसमें 80-90% घोटाला हैं। अगर कहें कि 100% तो ग़लत होगा क्योंकि कुछ 10-20% तो खर्च हुआ ही हैं इसलिए तो गड्ढों को भरने का असंवैधानिक प्रयास किया गया है।

दो साल पहले एक चर्चा में तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद हाजीपुर ने बताया कि 2012 से अबतक एक भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। वहीं लगातार सिवरेज और नमामि गंगे योजना के तहत जो भी काम हो रहा है वह जब पुरा होगा तो सड़क बनेगा। जबकि काम को करते हुए सड़कों को गड्ढों से मुक्त करते हुए जाना है लेकिन वह नहीं हो रहा है समझिए कुछ कारण है जो हमारे हाथ में नहीं है।

नगर परिषद, हाजीपुर, वैशाली पर टिप्पणी करना भी जरूरी है क्योंकि यह क्षेत्र हमेशा से 2-4 तक केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री देता आया है तो वहीं इसी क्षेत्र व इस क्षेत्र में जन्म लिए नेता 2 हैं जो केन्द्रीय मंत्रीमंडल के हिस्सा है। वहीं शहर का विकास करने का छोटा सा भी प्रयास नहीं दिखाई देता है। वर्तमान समय में जो सड़कें बन रही हैं वह धीरे-धीरे उखड़ने भी लगा है और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 होते-होते सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाएगा। चुनावी सड़क निर्माण में आज शहरी क्षेत्रों में सांसद, विधायक और सभापति सब के सब BJP और NDA के साथी है लेकिन जनता के तकलीफ़ से किसी को मतलब नहीं है।

बिहार में चारा घोटाला एक समय बहुत बड़ा घोटाला था लेकिन आज अगर नगर परिषद हाजीपुर की बात करें तो चारा घोटाला बौना नज़र आयेगा। 

आपको एक बात और जानना चाहिए कि वैशाली जिले का मुख्यालय है हाजीपुर और यहां जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और उनकी पुरी टीम बैठती हैं। वहीं दिन में 2-4 बार शहर के सड़कों पर इनका आना-जाना लगा रहता है। लेकिन एक बड़ा आश्चर्य है कि वैशाली पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को सड़कों पर कुछ भी दिखाई नहीं देता है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को नालों पर कब्जा और सड़कों पर अतिक्रमण नहीं दिखाई देता है। वहीं अवैध कब्जा कर धंधा कराने में नगर परिषद हाजीपुर की भागीदारी सुनिश्चित हैं और जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की सहमति से मौन रहने वाली नगर थाना, हाजीपुर अपनी सभी जिम्मेदारियों से खुद को मुक्त ही मानती हैं। इसका कारण है कि एक राजनीतिक व्यवस्था के तहत एक व्यक्ति का हाजीपुर में दबदबा ही नहीं बल्कि लोगों की सांसें उनके हाथों में है। इसलिए कोई बोलता नहीं है।

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More
July 22, 2025
Ahaan News

खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) - 01

धनखड़ को गेटआउट किया गया या फिर धनखड़ ने जस्टिस लोया बनने से पहले इस्तीफा दिया ?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के द्वारा अचानक और अप्रत्याशित तरीके से दिए गए इस्तीफे को लेकर पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच दो तरह की स्टोरी चल रही है। एक कहानी कहती है कि इस्तीफे का मजबून बनाकर धनखड़ के पास भेज कर दस्तखत कराये गये यानी देशी भाषा में कहा जाय तो उन्हें गेट आउट कर दिया गया तो दूसरी कहानी कहती है कि धनखड़ के इस्तीफे के पीछे खुद को वी वी गिरी बनाने की चाहत है। अब जिस तरह का बयान धनखड़ का सामने आया है कि वे न तो दिये गये इस्तीफे पर पुनर्विचार करेंगे ना ही विदाई भाषण देंगे। वह भी बता रहा है कि भीतर ही भीतर कुछ तो खिचड़ी पक रही है। इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि क्या एडवोकेट जगदीप धनखड़ का इस्तीफा खुद को जस्टिस लोया होने से बचाने के लिए तो नहीं है और वे कुछ ही दिनों में सत्यपाल मलिक की भूमिका में तो दिखाई नहीं देंगे।

माननीय राष्ट्रपति जी, सेहत को प्राथमिकता देने और डाक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(A) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रगट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा। जिनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और अमूल्य समर्थन रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदो से मुझे जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा और मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला वो अत्यंत मूल्यवान रहा। यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही कि मैंने भारत के अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और इस परिवर्तनकारी युग में उसके तेज विकास को देखा और उसमें भागीदारी की। हमारे राष्ट्र के इस इतिहास के महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही। आज जब मैं इस सम्माननीय पद को छोड़ रहा हूं, मेरे दिल में भारत की उपलब्धियों और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है। गहरी श्रद्धा और आभार के साथ जगदीप धनखड़।

ये उस अंग्रेजी में लिखे इस्तीफा पत्र का तरजुमा हैं जो महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को लिखा गया है। इस पत्र में इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य बताया गया है और यह बात किसी भी खूंट से विश्वसनीय नहीं लगती है। यह ठीक है कि तकरीबन एक महीना पहले 25 जून को उत्तराखंड के नैनीताल में कुमाऊं युनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट रहे धनखड़ की तबीयत बिगड़ी थी। इसके पहले 9 मार्च को सीने में दर्द होने के कारण दिल्ली एम्स में 3 दिन भर्ती भी रहे। मगर 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन उन्होने बकायदा सदन की कार्यवाही को संचालित किया। शाम को विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात भी की लेकिन रात को 9 बजे उपराष्ट्रपति कार्यालय के ट्यूटर अकाउंट पर अपलोड किये गये इस्तीफा पत्र से देश को जानकारी हुई कि देश के द्वितीय नागरिक जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से स्वास्थ्य कारणों के चलते इस्तीफा दे दिया है। मगर सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति अस्वस्थता की वजह से पद त्याग करता है और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सहित एक की तरफ से भी संवेदना तक व्यक्त नहीं की गई।

जबकि जगदीप धनखड़ ने मोदी सरकार का रक्षा कवच बनकर संवैधानिक मर्यादाओं को भी तार - तार करने में कोई कोताही नहीं बरती। भारत के इतिहास में जगदीप धनखड़ एक ऐसे उपराष्ट्रपति के रूप में याद किये जायेंगे जिन्होंने अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दिया है जबकि इसके पहले उपराष्ट्रपति ने या तो राष्ट्रपति चुन लिये जाने की वजह से इस्तीफा दिया था या फिर दुनिया को अलविदा कहने से कुर्सी खाली हुई थी। जगदीप धनखड़ को 6 अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति चुना गया था और उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाने का निर्णय बीजेपी द्वारा उनके पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते लिया गया था जहां उन्होंने ममता बनर्जी की सरकार की नाक में दम कर रखा था। राज्यसभा में सभापति की आसंदी पर बैठकर उन्होंने जिस सिद्दत के साथ मोदी सरकार पर आंच नहीं आने दी भले ही उसके लिए थोक के भाव विपक्षी सांसदों को सदन से निष्कासित करना पड़ा। जगदीप धनखड़ इस मामले में भी देश के इकलौते उपराष्ट्रपति के रूप में जाने जायेंगे जिन पर विपक्ष ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए पद से हटाये जाने का नोटिस दिया था। मोदी सरकार का पक्ष लेते हुए उन्होंने न्यायपालिका से भी दो - दो हाथ करने से परहेज नहीं किया। जहां चीफ जस्टिस आफ इंडिया का कहना है कि संविधान सबसे ऊपर है वहीं धनखड़ ने कहा कि संसद तो संविधान से भी ऊपर है। जबकि ऐसा कहना न तो संवैधानिक मर्यादाओं के अनुकूल है न ही उपराष्ट्रपति को आधिकारिक इजाजत देता है।

संसद के बाहर और भीतर 21 जुलाई और उससे पहले घटे घटनाक्रम पर एक नजर डाली जाय तो कुछ हद तक जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे छिपे कारणों का अंदाजा लगाया जा सकता है। सत्र शुरू होने के पहले धनखड़ की विपक्षी पार्टियों के नेताओं से अंतरंग मुलाकात यहां तक कि इंडिया गठबंधन से पल्ला झाड़ने के बाद अरविंद केजरीवाल की जगदीप धनखड़ से हुई गुफ्तगूं। सत्र के दौरान पहले दिन ही विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खरगे को मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिए पूरा मौका देना इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा सभापति के अधिकारों को हडपते हुए उपराष्ट्रपति और सभापति आसंदी की गरिमा और मर्यादा को रौंदना, संसद के भीतर अपने कार्यालय में बीजेपी के वरिष्ठ और प्रभावशाली नेताओं के साथ पीएम मोदी की मुलाकात, संसद के भीतर ही गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अपने कार्यालय में एनडीए के मंत्रियों से आपात मुलाकात।

क्या जगदीप धनखड़ को इत्मिनान हो गया है कि मोदी सरकार जल्द ही धराशायी होने वाली है और उन्होंने अपनी आगे की पारी खेलने की बिसात बिछाते हुए इस्तीफा दिया है ? क्या आने वाले वक्त में जगदीप धनखड़ सत्यपाल मलिक का किरदार निभाते हुए दिखाई देंगे और झुका हुआ जाट और टूटी हुई खाट की मरम्मत करेंगे ? कारण जगदीप धनखड़ की फितरत मैदान छोड़कर भागने वाली तो नहीं है। चलते - चलते आजादी के बाद से चुने हुए उपराष्ट्रपतियों पर एक नजर डाल ली जानी चाहिए। प्रथम उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद राष्ट्रपति बने। जाकिर हुसैन भी कार्यकाल पूरा करने के बाद राष्ट्रपति चुने गए (1962-67)। वी वी गिरी की गद्दी जरूर गई मगर बाद में वे राष्ट्रपति बने (1976-69)। गोपाल स्वरूप पाठक (1969-74), बी डी जत्ती (1974-79), मोहम्मद हिदायुतउल्ला (1979-84), रामास्वामी वेंकटरमन (1984-87) उसके बाद राष्ट्रपति बन गये, शंकर दयाल शर्मा (1987-92), के आर नारायणन (1992-97), कृष्णकांत (1997-2002) (कार्यकाल पूरा होने के बीच ही निधन हो गया था), भैरोंसिंह शेखावत (2002-07), मोहम्मद हाफिज अंसारी (2007-2017) (लगातार दो कार्यकाल पूरा किया), वैंकैया नायडू (2017-22) और उसके बाद जगदीप धनखड़ 2022 - 21 जुलाई 2025 - (रहना था 2027 तक क्या मोदी द्वारा राष्ट्रपति नहीं बनाये जाने की नियत भांप गए थे धनखड़)।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता 
स्वतंत्र पत्रकार
 

Manish Kumar Singh By Manish Kumar Singh
Read More