-बुधवार को सदर अस्पताल श्री सत्य साईं अस्पताल किया गया रवाना
वैशाली - मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना जिले के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। 139 बच्चों की सफल सर्जरी के बाद बुधवार को सदर अस्पताल से भगवानपुर और चेहराकला के दो बच्चों को हृदय में छेद के ऑपरेशन के लिए भेजा गया। दोनों ही बच्चों को श्री सत्य साईं हृदय अस्पताल अहमदाबाद भेजा गया। आरबीएसके की जिला समन्वयक डॉ शाइस्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत हृदय में छिद्र वाले बच्चों का निशुल्क जांच व ऑपरेशन कराया जाता है। इसमें जांच से लेकर ऑपरेशन तक की व्यवस्था निशुल्क होती है।
ऑपरेशन के बाद भी बच्चों की निशुल्क जांच सदर अस्पताल में होती है। बच्चों में हृदय रोग सहित अन्य रोगों की पहचान के लिए आरबीएसके की टीम लगातार स्कूलों और आंगनबाड़ी सेंटर पर जाकर बच्चों की स्क्रीनिंग करती है। संदिग्ध रोगी होने पर जांच और उपचार की व्यवस्था होती है। बुधवार को बच्चों को अहमदाबाद भेजने के दौरान सिविल सर्जन डॉ श्यामनंदन प्रसाद, डीपीएम डॉ कुमार मनोज, आरबीएसके डीसी डॉ शाइस्ता, डीएमएनई ऋतुराज, डीसीएम निभा रानी सिन्हा, डीडीए सूचित कुमार, डीईओ अशरफुल होदा सहित अन्य लोग मौजूद थे।
-15 महिलाओं ने पहले ही दिन लगाया एमपीए सबक्यूटेनियस
-एमपीए सबक्यूटेनियस भी बास्केट ऑफ च्वाइस में हुआ शामिल
वैशाली - विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर सदर अस्पताल में मंगलवार को परिवार नियोजन पखवाड़ा मेला का आयोजन किया गया। इस मेले की विधिवत शुरुआत सिविल सर्जन डॉ श्यामनंदन प्रसाद ने की। मेले के दौरान डॉ प्रियंका ने 15 महिलाओं को एमपीए सबक्यूटेनियस लगाकर जिले में नए गर्भनिरोधक की शुरुआत भी की। मेले के दौरान सीएस डॉ श्यामनंदन प्रसाद ने कहा कि नए गर्भनिरोधक के जिले में सफल संचालन के लिए पीएसआई इंडिया के द्वारा तकनीकी सहयोग किया जा रहा है। मेले के अंदर छह स्टॉल लगे हैं। जिन पर परिवार नियोजन के स्थायी और अस्थायी साधन के बारे में जानकारी व इच्छुक लाभार्थियों को निशुल्क सेवा भी मिलेगी। जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए परिवार नियोजन काफी जरूरी है। इसका सकारात्मक प्रभाव खुशहाल जीवन के साथ अच्छे मेटरनल हेल्थ के लिए भी जरूरी है। मेले में जननी सूर्या क्लीनिक द्वारा भी अपना स्टॉल लगाया गया था। जिसमें संतोष कुमार एवं काउंसलर सोनिया लोगों को परिवार नियोजन पर जानकारी दे रही थीं।
जिले के पांच स्वास्थ्य केंद्रों पर एमपीए सबक्यूटेनियस की होगी व्यवस्था:
डीसीएम निभा रानी सिन्हा ने बताया कि जिले में नए आए एमपीए सबक्यूटेनियस एक अंतरा सूई है। जो अंत: त्वचीय इंजेक्शन है। इसे लगाने में दर्द नहीं होता है। यह प्रीलोडेड इंजेक्शन है। वहीं अंतरा से इसमें दवा की मात्रा भी कम होती है। एमपीए सबक्यूटेनियस को जिले के सदर अस्पताल, गोरौल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एचडब्ल्यूसी इस्लामपुर, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोंधो तथा एचडब्ल्यूसी पीरोही में लगाया जाएगा। मौके पर एनसीडी पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ कुमार मनोज कुमार, पीसीआई इंडिया की सेकुमारी सुरभि, डीएमएनई ऋतुराज कुमार, डीएएम अमित आनंद, डीपीसी विकास कुमार, सुचित कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
- बच्चों को स्वच्छता की शिक्षा जरूर दें अभिभावक व शिक्षक
- ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग से डायरिया से होने वाली मुत्यु को टाला जा सकता है मोतिहारी - जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा 15 जुलाई से 14 सितंबर तक मनाया जायेगा। इस सम्बन्ध में डीसीएम ने बताया की पखवाड़ा को मनाने का मुख्य उद्देश्य जिले में दस्त के कारण होने वाली शिशु मुत्यु के शून्य स्तर को प्राप्त करना है। उन्होंने बताया कि 13 प्रतिशत तक मौत डायरिया के कारण होती है तथा इनमें से अधिकांश मौतें ग्रीष्म और मानसून के मौसम में होती हैं। डायरिया से होने वाली मुत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग से डायरिया से होने वाली मुत्यु को टाला जा सकता है। सिविल सर्जन डॉ रविभूषण श्रीवास्तव ने बताया की ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग, दस्त के दौरान होने वाले दिक्क़तो में काफ़ी असरदार है।उन्होंने बताया की आवश्यकतानुसार जिंक एवं ओआरएस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उपलब्ध कराया जा रहा है।पखवाड़े के आयोजन को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक बच्चों को जिंक और ओआरएस उपलब्ध करायी जा सके। सिविल सर्जन ने बताया कि मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। जिसके कारण जहां सर्दी-खांसी, जुकाम समेत अन्य मौसमी बीमारी आम हो गई है। वहीं, इसके साथ डायरिया की भी संभावना बढ़ गई है। ऐसे में हमें विशेष सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। डायरिया से बचाव को लिए लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। दरअसल, बदलते मौसम में डायरिया के प्रकोप में आने का प्रबल संभावना हो जाती है। जिसके दायरे में कोई भी यानी सभी आयु वर्ग के लोग आ सकता है। उन्होंने कहा की बच्चों को स्वच्छता की शिक्षा देना काफ़ी जरूरी है इससे बच्चे कई प्रकार के रोगों से सुरक्षित हो सकते है। इसलिए अभिभावक, व शिक्षक इसपे ध्यान रखते हुए भोजन के पूर्ब एवं शौचालय के बाद हाथ धोना जरूर सिखाए।उन्होंने कहा की डायरिया के कारण अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं बढ़ जाती है और उचित प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो जाता है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है।
स्वच्छ जल का उपयोग करें, स्तनपान के साथ ऊपरी आहार का सेवन करें :
डीआईओ डॉ एससी शर्मा ने कहा की नवजात बच्चों को दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, ऊपरी आहार और भोजन जारी रखा जाना चाहिए. पीने के लिए साफ और सुरक्षित पेयजल का उपयोग करें. खाना बनाने और खाना खाने से पूर्व और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोना जरूरी है. दस्त को रोकने के लिए शौचालय का उपयोग करें.खुले में शौच नहीं जायें. बच्चे के मल का सुरक्षित एवं त्वरित निपटान.स्तनपान जारी रखें, जिसमें उन बच्चों को स्तनपान कराना भी शामिल है जिन्हें स्तनपान कराया जा रहा है तथा बीमारी के दौरान और बाद में अतिरिक्त आहार दें.सुरक्षित संचालन के बाद स्वच्छ पेयजल का उपयोग करें.माँ को भोजन तैयार करने से पहले, बच्चे को खिलाने से पहले तथा बच्चे का मल साफ करने के बाद अपने हाथ साबुन से धोने चाहिए।
- 15 प्रखंडों के 133 गांवों में होगा सिंथेटिक पॉयरेथॉइराइड का छिड़काव
- इस वर्ष कालाजार के 27 मरीज हुए हैं चिन्हित
मुज़फ़्फ़रपुर - जिले में कालाजार उन्मूलन के लिए 21 जुलाई से आईआरएस के द्वितीय चक्र की शुरुआत होगी। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार ने बताया कि आईआरएस के द्वितीय चक्र में 15 प्रखण्डों के 133 कालाजार प्रभावित गाँवों के सभी घरों में 40 दलों द्वारा 60 कार्य दिवस के अन्दर सिंथेटिक पॉयरेथॉइराइड का छिड़काव कराने का लक्ष्य है। इसके लिए सभी प्रखंडों के एसएफडब्लू को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। एसएफडब्लू प्रशिक्षण लेकर अपने प्रखंड के छिड़काव दल को प्रशिक्षित करेंगे।
छिड़काव के साथ साथ दलों द्वारा कालाजार मरीजो की खोज भी की जायेगी और ग्रामीणों को कालाजार, मलेरिया, डेंगू, मस्तिष्क ज्वर तथा फाईलेरिया आदि से बचाव की जानकारी भी दी जायेगी। संभावित कालाजार मरीज मिलने पर उन्हें संबंधित स्वास्थ्य केंद्र पे भेज कर जांच करवाई जाएगी। उन्होंने इसमे छिड़काव कर्मियों की भूमिका की सराहना करते हुए उन्हें अच्छी तरह सभी घरों के सभी कमरों, पूजा घर, रसोई घर, बरामदा, गोशाला तथा शौचालय की दीवारों पर 6 फीट तक गुणवत्तापूर्ण छिड़काव के निर्देश दिए ताकि जिला मे कालाजार की स्थिति शून्य हो सके।
विदित हो कि जिले के सभी प्रखण्ड मानक के अनुरूप कालाजार उन्मूलन ( प्रखण्ड स्तर पर प्रति दस हजार की आबादी पर एक से कम मरीज) का लक्ष्य प्राप्त करने के दिशा में तेजी से अग्रसर है। वर्ष 2021 में कालाजार के 126, 2022 में 78, 2023 में 50, 2024 में 48 मरीज प्रतिवेदित हुए थे। इस वर्ष 2025 मे जून तक 27 कालाजार के मरीज मिले हैं जिनका ईलाज चल रहा है।
जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार ने बताया कि सभी प्रभावित गाँवों के शत प्रतिशत घरों मे गुणवत्तापूर्ण छिड़काव हमारा लक्ष्य है और इसके लिए ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित है।
मौके पर भीडीसीओ राकेश कुमार एवं विपीन कुमार, पिरामल पीएल इफ्तिखार अहमद खान, बीएचआई संजय रंजन एवं प्रदीप कुमार, भीबीडीएस राजीव रंजन सहित सभी प्रखंडों के एसएफडब्लू मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को बंधक बनाकर लोगों को बिहार में रखना चाहिए कि तुमसे ना हो पाएगा, अब बकस दो
ना पढ़ेगा इंडिया तभी तो सवाल नहीं कर पाएगा इंडिया
इसी सिद्धांत के तहत पुनः अपने राजनीतिक और सामाजिक रैलियों में दिए जाने वाले भाषणों को जुमला कहने वाले 52वीं बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी कल सुबह 10 बजे मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) में आ रहे हैं। महात्मा गांधी से नफरत करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को गांधी के सहारे ही आना पड़ रहा है। मोतिहारी नाम आते ही पूरे ब्रह्मांड में एक ही नाम आता हैं महात्मा गांधी और उनका अंग्रेजी हुकूमत के ख़िलाफ़ हल्ला बोल। जहां महात्मा गांधी को मोतिहारी से एक पहचान मिली और एक मजबूत रास्ता कि उन्हें विश्व स्तर का नेता बनाया और उसमें सत्य के साथ अहिंसा हथियार के रूप में रहा। वहीं उसके विपरीत आज आजाद भारत में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी मोतिहारी में जब भी आये झूठ बोलकर गए और फरेब कर लोगों का वोट लेकर ठगने का काम किया।
आपको बता दें कि भाजपा के नेताओं का सोशल मीडिया पर नया प्रोपगंडा शुरू हो गया है। जिसके अनुसार - "52वीं बार मोदी जी आ रहे हैं बिहार, बिहारवासियों को देने फिर से करोड़ों की सौगात, हर दिल में है उत्साह, हर नज़र को है इंतज़ार!"। कल 18 जुलाई को सुबह 10 बजे मोतीहारी के गाँधी मैदान में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में राजनीतिक सफ़र को सरकारी खर्चों पर शुरू किया जाएगा। भारत की आम जनता के मेहनत की कमाई को भारत सरकार और बिहार सरकार ने अपने स्तर पर बांट लिया। वहीं भारत सरकार के पास अधिक शक्ति होने के कारण जनतंत्र के जनता का शोषण कर धन जमा करने का अधिकार ज्यादा है और उसी में से बिहार सरकार को कुछ जुमले के रूप में परोसा जाएगा।
जुमले के रूप में इसलिए क्योंकि 2015 विधानसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने मुजफ्फरपुर में चुनाव के पहले जैसे 18 जुलाई को आ रहे हैं कि तरह आकर बिहार की बोली लगाई थी और जो पैसे या धन राशि की घोषणा हुई आज तक नहीं आया। उसी तरह जो पैसे 10 साल पहले कहें गए वह नहीं आया तो कल मोतिहारी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जो बोलेंगे उसे जुमलेबाजी से ज्यादा कोई नहीं समझेंगा।
18 जुलाई 2025 को तो बिहार और बिहारी को तैयार होकर रैलियों में भीड़ जुटाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को घेरे और बंधक बनाकर पूछे यहीं गांधी चौराहे पर पूछेंगे सवाल और जवाब देकर तब जाओगे दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी बहुत हो गया है बिहार के साथ धोखाधड़ी और झूठे और जुमलों के साथ बिहार अब आपको माथे पर नहीं बिठाएगी। बिहार में बिहारियों के सम्मान की बात है और अब नौटंकी नहीं चलेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी पर बिहार भरोसा नहीं करता है इसलिए इस बार जुमलेबाजी के चक्कर में नहीं पड़ेगा बिहार।
18 जुलाई को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी आ रहे बिहार, चलो घेरों और करो सवाल के साथ बिहार को आगे बढ़ना चाहिए।
भारत का संविधान नपुंसक ही दिखाई देता है जिससे कुछ पैदा नहीं हो सकता हैं, इसलिए सत्ताधारी व विपक्षी एक दूसरे पर निर्भर होकर जिम्मेवारी से मुक्त रहते हैं
आखिर परिवार, रिश्तेदार, मित्र और समाज की एक व्यक्ति के जीवन में क्या स्थान रखता है। परिवार पैसे वाले को प्राथमिकता देता है जो बच्चा घर में ज्यादा पैसा देता है, रिश्तेदार वहीं स्थिति में हैं जहां परिवार खड़ा हैं। मित्र पर सबसे ज्यादा उम्मीद और भरोसा होता हैं लेकिन अब मित्रता भी मऊगा हो गया है। और रही समाज की बात तो वह यह देख रहा है कि मेरे साथ तो नहीं हुआ है और अपनी मौत का इंतजार करते रहता है। भारत का परिवेश पूर्णतः बदल गया है और यहां जिम्मेदारी किसी की नहीं होती हैं। यहां का प्रशासनिक संरचना इतना निम्न स्तर का है कि वह स्वयं से देखकर कोई फैसला नहीं करता है और आवेदन का इंतजार करता रहता है। आंखों के सामने होने वाली घटनाओं और दुर्घटनाओं पर या अवैध कब्जा व निर्माण पर किसी व्यक्ति के मौत के बाद भी चुप रहने की ताकत रख पाता है।
भारत का संविधान नपुंसक बना कब तक इस देश की जनता के साथ खिलवाड़ करता रहेगा। संविधान में सरकार को किसी बात के लिए जिम्मेदार ठहराया ही नहीं हैं और अगर जिम्मेदार ठहराया होता तो अबतक कितने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को मौत की सज़ा हो चुकी होती। लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कुछ भी करें और आम लोगों की हत्या करते रहें लेकिन संविधान उसके खिलाफ नहीं जा सकी आज तक। भारत में भारत का संविधान राष्ट्रपति के नाम से संचालित होता हैं और राष्ट्रपति भारत में अब अनुकंपा और दया पर बनता है। वैसी स्थिति में राष्ट्रपति मुख्य संरक्षक बनकर भारत की जनता के लिए अपराधमुक्त प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का चयन कराते आ रहे हैं।
आज परिवार के किसी सदस्य को कोई गोली मारकर चला जाता हैं और उस परिवार का कोई भी व्यक्ति सामने आकर सवाल करने वाले खाकी वर्दी से दो थप्पड़ जड़ कर सवाल नहीं करता कि तू् किस बात का पैसा लेकर इस क्षेत्र में रहता है। कोई अधिकारी जो अपने आप को IAS/IPS कहता है और उसके हस्ताक्षर से ही हथियार मिलता है तो किस व्यक्ति को यह हथियार दिया जिससे मेरे परिवार के सदस्य को गोली मारी गई? परिवार यह सवाल करने की हिम्मत नहीं जुटा सकता हैं वहां के स्थानीय विधायक और सांसद से की किस बात का टैक्स वसूली करते हो जब हमारे परिवार को ही मरवा देते हो ?
परिवार में किसी की भी हत्या होती हैं तो परिवार खत्म होने के कगार पर आ जाता हैं। संविधान को एक गंभीर और जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता है। अगर कोई भी अपराधी है तो संविधान सजा दिलाए। अगर संविधान के संचालक अवैध गैंग बनाकर संसद में बैठकर लोगों की हत्या कराते रहे तो कल इस देश में 50% आबादी हथियार लेकर खड़ा मिलेगा। भारतीय जनता को मतदान करते समय वैसे सभी को समझना चाहिए जो उस क्षेत्र में चुनाव में आते हैं। नेतृत्व क्षमता जिसमें ना हो और हमारी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता हैं वैसे सांसद और विधायक नहीं चुने जाने की जगह उम्मीदवार ही नहीं हो।
सदनों के सदस्य और प्रशासनिक अधिकारी का सर आम लोगों के सामने झुका हुआ रहना चाहिए। सदनों के सदस्यों को और प्रशासनिक अधिकारी को सर उठाना हैं तो आतंकी व्यवस्था पर उठायें। आम लोगों को लेकर गंभीरता से विचार करने में भागीदारी सुनिश्चित करने वाले लोगों को लेकर समाज को विचार करना चाहिए।
डर का माहौल ना बनाये कानून से न्याय का रास्ता प्रशस्त करें। - राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री।
एक आदर्श बहू, बेटी और स्त्री की भूमिका में हैं, जो पारिवारिक मर्यादा और आत्मसम्मान को केंद्र में रखती हैं
भोजपुरी सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री काजल राघवानी एक बार फिर सशक्त भूमिका में बड़े पर्दे पर नजर आने वाली हैं। उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म "वैदेही" 18 जुलाई 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। इससे पहले पटना के होटल एग्जॉटिक में फिल्म का भव्य ट्रेलर लॉन्च किया गया, जिसमें फिल्म की प्रमुख कास्ट और निर्माण टीम मौजूद रही।
ड्रीमलैंड एंटरटेनमेंट हाउस के बैनर तले बनी इस फिल्म का निर्देशन और लेखन वीरू ठाकुर ने किया है, जबकि निर्माण की जिम्मेदारी अरुण पाण्डेय ने निभाई है। ट्रेलर लॉन्च के मौके पर अभिनेता प्रकाश जैश ने कहा कि यह फिल्म सामाजिक सरोकार और पारिवारिक मूल्यों पर आधारित है, जो महिला प्रधान फिल्म है। उन्होंने दर्शकों से फिल्म को परिवार के साथ देखने की अपील भी की। ऐसे फिल्मे बड़ी मेहनत से बनती है। इस फिल्म में एक आदर्श बहू, बेटी और स्त्री की भूमिका में हैं, जो पारिवारिक मर्यादा और आत्मसम्मान को केंद्र में रखती हैं। उनके अभिनय में भावनाओं की गहराई और संवाद अदायगी की सशक्तता स्पष्ट रूप से दिखती है। फिल्म का हर दृश्य दर्शकों को नारी शक्ति का अहसास कराता है।
फिल्म "वैदेही" में अहम भूमिका निभा रहे नवोदित अभिनेता मनीष तिवारी ने ट्रेलर लॉन्च के दौरान कहा कि वैदेही सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक भावनात्मक अनुभव है। इसमें हमारी संस्कृति, परंपरा और नारी सम्मान की गहराई को बखूबी दिखाया गया है। यह फिल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर करेगा। मुझे खुशी है कि मैं इस तरह की संजीदा और सामाजिक संदेश देने वाली फिल्म का हिस्सा बना हूं।
फिल्म वैदेही में काजल राघवानी के साथ-साथ नवोदित मनीष तिवारी, काजल राघवानी, मनोज टाइगर, प्रकाश जैश, विनय बिहारी, लाडो मधेशिया, शिल्पी राघवानी, लोटा तिवारी, संजय वर्मा, धामा वर्मा जैसे कलाकार अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे। फिल्म की कहानी एक ऐसी नारी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने संस्कार, संघर्ष और स्वाभिमान से पूरे समाज के लिए एक मिसाल बन जाती है। फिल्म का संगीत भी इसकी एक प्रमुख ताकत है। मधुकर आनंद द्वारा संगीतबद्ध गीतों को प्यारे लाल यादव, संतोष उत्त्पाती, यादव राज और संदीप साजन ने लिखा है। नृत्य निर्देशन कानू मुखर्जी और सोनू प्रीतम ने किया है, जो फिल्म में काजल की स्क्रीन प्रजेंस को और जीवंत बनाते हैं। छायांकन की जिम्मेदारी जी.एल. बाबू ने और संपादन संतोष हराबड़े ने किया है।
फिल्म "वैदेही" केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। यह परंपरा और आधुनिक सोच के संतुलन को प्रस्तुत करती है और उन दर्शकों के लिए खास है जो परिवार केंद्रित और भावनात्मक सिनेमा से जुड़ाव रखते हैं। निर्माता और निर्देशक ने फिल्म को एक ऐसी प्रस्तुति बताया जो पटकथा, संवाद और अभिनय की गहराई के लिए जानी जाएगी।
18 जुलाई को जब यह फिल्म सिनेमाघरों में दस्तक देगी, तो दर्शक एक संस्कारों से भरी, प्रेरणादायक और भावनात्मक कहानी से रूबरू होंगे, जिसकी झलक पहले से ही ट्रेलर में नजर आ रही है। काजल राघवानी की यह भूमिका निश्चित रूप से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाएगी। मौके पर अभिनेता धामा वर्मा, फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर शशि भूषण मौजूद रहे।
संरक्षक और मार्ग दर्शक विपिन चन्द्र विपल्वी भी सभा में उपस्थित रहे
'बौद्धिक विचार मंच ' हाजीपुर, बैशाली के जिला ईकाई की बैठक पटेल सेवा संघ के परिसर में जिलाध्यक्ष रवीन्द्र कुमार रतन की अध्यक्षता में तथा संचालन जिला ईकाई कै सचिव चन्द्र भूषण सिंह शशि के द्वारा किया गया। इसके संरक्षक और मार्ग दर्शक विपिन चन्द्र विपल्वी भी सभा में उपस्थित रहे। विषय प्रवेश कर समारोह का श्रीगणेश करते हए विपिन चन्द्र विपल्वी ने बौद्धिक मंच के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आने बाले 11 सितंबर को हाजीपुर में बौद्धिक विचार मंच का रजत जयंती समारोह मनाया जाएगा।
जिसमें स्थानीय और राजधानी पटना के कई चिंतक, साहित्यकार और राजनेताओ के पधारने की संभावना है। अध्यक्ष रवीन्द्र कुमार रतन ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिभावान छात्र- छात्राओं का चयन कर उन्हे पुरस्कृत, और सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय विद्यालयों के प्राध्यापक एवं प्राचार्यों से संपर्क कर तय विषय पर आलेख आमंत्रित कर सर्वश्रेष्ठ एवं प्रथम, द्वित्तीय एवं तृतीय को पुरस्कृत और सम्मानित किया जाएगा। मार्गदर्शन विपिन जी एवं अध्यक्ष की राय से समिति में डाॅ शिवालक राय प्रभाकर जी को उपाध्यक्ष एवं प्रो0 जनार्दन प्रसाद सिंह को सलाह कार नियुक्त किया गया। समिति में आज मुख्य रुप से उपस्थित प्रो0 जनार्दन प्रसाद सिंह, कवि शिवालय राय प्रभाकर, ओम प्रकाश साह, विपिन चन्द्र विपल्वी, रवीन्द्र कुमार रतन, चन्द्र भूषण सिंह शशि, अधिवक्ता रघुवीर प्रसाद सिंह, सुधीर कुमार सिंह, घूरन राय, शंभू प्रसाद सिंह, हृषीकेश कुमार सिंह एवं नीतेश कुमार सिंह आदि ने भी अपने-अपने विचारों एवं सुझावों से समिति को अवगत कराया ।
वरिष्ठ सदस्य अधिवक्ता रघुवीर सिंह ने आए सदस्यों का आभार एवं धन्यवाद प्रकट करते हुए सभा की कार्रवाई समाप्त होने की घोषणा की ।
11 सितंबर को मोहन भागवत होंगे 75 साल के तो वहीं अगले 6 दिन बाद 17 सितंबर को नरेंद्र दामोदर दास मोदी होंगे 75 साल के
राजनीति एक ऐसी जगह है जहां नियम और कानून सिर्फ और सिर्फ जनता के लिए होता हैं। जनता को हर काम समय पर करना होगा नहीं तो आर्थिक दंड तो पहले और फिर मानसिक प्रताड़ना भी रखा गया है। वहीं भारत सरकार का सही संचालन भी बहुत बड़ी बात है क्योंकि संविधान सरकार पर लागू होता नहीं है। भारतीय संविधान को गंभीरता से देखते हैं तो आज तक भारत सरकार के संचालन की जिम्मेवारी जिसे सौंपी गई है वह पद होता हैं प्रधानमंत्री का। वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के कार्यकाल पर नज़र डालें तो भारत की जनता के लिए वादों के अलावा कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने पिछले 11 वर्षों में इतनी योजनाओं का शिलान्यास किया कि उसे सही से लागू कर दिया जाता तो अमेरिका, चीन, रूस, जापान जैसे देशों की 10 वर्षों का संयुक्त बजट भी कुछ कम पड़ जाती। लेकिन भारतीय संविधान ने भारत की आम जनता को जिम्मेदार ठहराया है ना कि प्रधानमंत्री को, इसलिए प्रधानमंत्री कुछ भी बोले या कुछ भी करें उसे हटाया जा सकता है राजनीतिक दल की प्रतिष्ठा बचाने के लिए मगर सजा नहीं दी जाएगी।
इससे आगे बढ़ते हैं तो हम पाते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने RSS के प्रमुख एजेंडों को पिछले 11 वर्षों में लागू कराया जिसके लिए लोगों ने मतदान किया था। जिसके बाद धीरे-धीरे परिस्थितियों में बदलाव हुआ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को यह लगने लगा कि उनके ही नाम पर सबकुछ संभव हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने स्वयं को भगवान तक घोषित करने में देरी नहीं की और भाजपा और RSS के संगठनात्मक संरचना को भी स्वयं के भरोसे दिखाने का हर संभव प्रयास किया। जिसका परिणाम ही था कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (जे. पी. नड्डा) ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा कि - "वाजपेयी के समय में पार्टी को खुद को चलाने के लिए RSS की जरूरत थी क्योंकि उस समय भाजपा कम सक्षम और छोटी पार्टी हुआ करती थी।"
जगत प्रकाश नड्डा उर्फ जे. पी. नड्डा के वक्तव्य के साथ ही RSS और BJP में बड़ा खाईं बन गई। जिसका परिणाम रहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में 400+ पार का नारा और RSS की जरूरत अब भाजपा को नहीं ने भाजपा को रोड पर खड़ा कर दिया। यह सब नरेंद्र दामोदर दास मोदी के इशारों पर उनकी कुछ जुमला टीम जैसे अमित शाह, जे. पी. नड्डा और सोशल मीडिया सब मिलकर RSS को ही बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। RSS के साथ हुए खेल को धरातल पर खड़े स्वयंसेवकों ने थोड़ा आंख दबा दिया और स्वयंसेवकों की चुप्पी ने आम मतदाताओं को जोड़ने की जगह छोड़ दिया। भारतीय जनता पार्टी की स्थापना और उसे मजबूती करने में RSS ने पूरी दुनिया झोंककर लगातार मजबूत करने का काम किया।
भारतीय जनता पार्टी को सींचने और मजबूती प्रदान करने के लिए जो ताकत नरेंद्र दामोदर दास मोदी को RSS ने दिया और उस ताक़त के आर में 75 साल से उपर के नेताओं का रिटायरमेंट तय करने की हिम्मत जुटा सकें थे 2014 में सत्ता में आने के साथ ही। वहीं 10 साल तो नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने बड़े मजे से काटे लेकिन अपनी ही लकीर में खुद ही फंस गए। नरेंद्र दामोदर दास मोदी को इतना घमंड हो गया था कि खुद को भगवान और सबसे ताकतवर मान लिया और सोशल मीडिया और मिडिया नेटवर्क का प्रयोग कर जन मानस के मन में मोदी और सिर्फ मोदी नाम बसा दिया। यहीं नरेंद्र दामोदर दास मोदी का घमंड आज उनके राजनीतिक भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया और अब मोदी का भी अब रिटायरमेंट तय हो गया है क्योंकि अब वह पूर्ण बहुमत में नहीं आ पाए और वहीं भाजपा को मजबूत रख पाने में विफलता पाई है।
आपको जानना चाहिए कि भारतीय राजनीति में उम्र की सीमा नहीं रही हैं और भारतीय संविधान में कोई कानूनी व्यवस्था भी नहीं की गई हैं। लेकिन RSS ने जो ताक़त देकर नरेंद्र दामोदर दास मोदी मजबूत किया वहीं मोदी RSS के प्रमुख सर संघचालक मोहन भागवत के ही उपर हमलावर अपने गैंग के माध्यम से शुरू कर दिया। जिसमें यह बात उठाई गई कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी तो 17 सितंबर को 75 साल के हो रहे है वहीं मोहन भागवत तो मोदी से 6 दिन पहले ही 11 सितंबर को 75 साल पुरा कर रहे हैं। लेकिन नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने अपने उपर वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को मार्गदर्शन में रखा था और यह सोच़ कर की उनका दबाव नहीं रहें। उसी तरह मोहन भागवत को भी मार्गदर्शन मंडल में बैठाने में अपनी ताक़त और प्रोपगंडा टीम के माध्यम से ट्रोल करना शुरू कर दिया।
लेकिन अब यह तय है कि मोहन भागवत पर 75 साल का कोई बैरियर नहीं है लेकिन नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने जो खेला किया था उनके साथ वैसा ही होना तय है। बस देखना है कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी ताक़त के घमंड में स्वयं का सम्मान ना खत्म कर लें। इसलिए 17 सितंबर को नरेंद्र दामोदर दास मोदी की इज्जत के साथ विदाई समारोह हो जाए और साथ ही साथ RSS हमेशा मजबूत स्तंभ बनकर भाजपा को पोषित करती रहें यही समाज की ओर से आती आवाज़ हैं।
(नोट :- बिहार विधानसभा चुनाव तक संभवतः नरेंद्र दामोदर दास मोदी को रखा जा सकता हैं और उसके बाद ही नया प्रयोग शुरू हो)
संगोष्ठी के दौरान उपस्थित छात्रों, शोधार्थियों और आम जनों ने विभिन्न सत्रों में अत्यंत रुचि दिखाई और संवाद-सत्रों में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
पुरातत्व निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा बिहार संग्रहालय, पटना के ऑडिटोरियम सभागार में “भारत के शैलचित्र एवं पुरातत्व” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में देशभर से पुरातत्व, इतिहास एवं शैलचित्र विषयों के विख्यात विशेषज्ञों, विद्वानों, शोधार्थियों तथा छात्रों ने सक्रिय सहभागिता की।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से की गई, तत्पश्चात अतिथियों को पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का स्वागत भाषण श्रीमती रचना पाटिल, निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, द्वारा दिया गया, जिसमें उन्होंने संगोष्ठी की अवधारणा, महत्व एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला। शैक्षणिक सत्रों में प्रो. वी. एच. सोनावाने, पूर्व विभागाध्यक्ष, प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, बड़ोदरा विश्वविद्यालय, गुजरात द्वारा “Glimpse of Indian Rock Art” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता एक जीवंत सभ्यता है।
प्रो. बंशी लाल मल्ला, पूर्व विभागाध्यक्ष, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली द्वारा “Genesis of Indian Art” विषय पर प्रस्तुति दी। सभागार में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता सबसे प्राचीन और समृद्ध सभ्यता है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर धर्मों में अभिव्यक्ति को तस्वीरों के मदद से प्रदर्शित किया जाता है। आगे इन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन पंच महाभूत से जुड़ा हुआ है। हम लोग प्रकृति से बहुत नजदीकी से जुड़े हुए हैं।
डॉ. एस. बी. ओटा, सेवानिवृत्त संयुक्त महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा “Earliest Inhabitants of Ladakh and Their Artistic Creativity” विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत किया। अपनी प्रस्तुति के दौरान इन्होंने स्पष्ट किया कि लद्दाख में सबसे ज्यादा रॉक आर्ट है। डॉ. ऋचा नेगी, विभागाध्यक्ष, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली ने “Rock Art and Ethnoarchaeology” विषय पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने प्रस्तुति के दौरान इन्होंने कहा कि हमारी लोक परंपरा, लोकगीत और लोककलाओं में हमारा समृद्ध इतिहास छिपा है।
संगोष्ठी के दौरान उपस्थित छात्रों, शोधार्थियों और आम जनों ने विभिन्न सत्रों में अत्यंत रुचि दिखाई और संवाद-सत्रों में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम का समापन सत्र अत्यंत गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की विशेष कार्य पदाधिकारी सुश्री कहकशाँ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। यह संगोष्ठी बिहार में सांस्कृतिक और पुरातात्विक चेतना को व्यापक स्तर पर जागृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल सिद्ध हुई।