कहा - VVIP शोषितों और वंचितों की आवाज बनेगी नई राजनीतिक ताकत
बिहार विधान सभा चुनाव से पूर्व आज पटना में नयी राजनितिक पार्टी की घोषणा की गयी, जिसका नाम – “विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP)” है। पटना के होटल मौर्या में आयोजित प्रेस वार्ता में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रदीप निषाद उर्फ हेलीकॉप्टर बाबा ने पार्टी के गठन की औपचारिक घोषणा की। उन्होंने बताया कि यह पार्टी शोषितों, पीड़ितों, दलितों, महादलितों, अत्यंत पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक उत्थान के लिए समर्पित रहेगी।
श्री निषाद ने कहा कि पार्टी में सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोगों की पूर्ण सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। खासकर निषाद समाज की सभी उपजातियों को एक सूत्र में बांधकर उनके वाजिब हक और अधिकार दिलाने की दिशा में पार्टी काम करेगी। उन्होंने कहा कि युवाओं और महिलाओं को नेतृत्व में अहम भूमिका दी जाएगी। उन्होंने कहा कि विकास वंचित इंसान पार्टी का गठन किसी व्यक्ति विशेष या सत्ता की लालसा के लिए नहीं, बल्कि समाज के उन तबकों की आवाज़ बनने के लिए किया गया है जिन्हें अब तक सिर्फ वोट बैंक समझा गया। उन्होंने कहा कि निषाद समाज समेत दलित, अत्यंत पिछड़ा, अल्पसंख्यक और वंचित समुदायों के लोगों को उनका हक दिलाना ही पार्टी का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि पार्टी बिहार से शुरू होकर पूरे देश में समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों को जोड़ने का काम करेगी। यह सिर्फ एक राजनीतिक आंदोलन नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की मुहिम है। उन्होंने युवाओं, महिलाओं और सभी वर्गों से इस आंदोलन से जुड़ने की अपील की।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में पार्टी पूरे राज्य में संगठनात्मक ढांचा मजबूत करेगी और जनता की समस्याओं को लेकर सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि VVIP पूरी ईमानदारी, सच्चाई और निष्ठा के साथ समाज में सामाजिक न्याय, समरसता और प्रगतिशील सोच को मजबूत करने का कार्य करेगी। पार्टी का लक्ष्य है इंसानियत और विकास के साथ नया इतिहास रचना। इस अवसर पर पार्टी के प्रमुख नेताओं में राकेश कुमार (राष्ट्रीय महासचिव), आषिश दूबे (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), आशीष साहनी (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), शंकर चौधरी, बीरेन्द्र बहादुर सिंह, शम्भू शरण (महंत), आदर्श साहनी, शशि कान्त सिंह और शशि शेखर भी उपस्थित रहे।
समिति की ओर से डॉ. विनीता सिंह, डॉ. प्रज्ञा मिश्रा चौधरी, डॉ. सुप्रिया जायसवाल, डॉ. निभा मोहन एवं पूरी टीम को इस सफल आयोजन के लिए सम्मानित किया
होटल मौर्या में आयोजित फॉग्सी क्रिटिकल केयर कॉन्फ्रेंस 2025 का आज समापन सत्र आयोजित हुआ। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय सम्मेलन के अंतिम दिन भी देशभर से आए प्रसिद्ध डॉक्टरों ने मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं पर विज्ञान आधारित संवाद और समाधान प्रस्तुत किए।
समापन सत्र में सम्मेलन की वैज्ञानिक समितियों के कार्यों की सराहना की गई और यह रेखांकित किया गया कि कैसे इस आयोजन ने प्रसव से पहले, प्रसव के दौरान और बाद की जटिलताओं को समझने और समाधान की दिशा में एक ठोस मंच दिया। सम्मेलन के मुख्य आकर्षणों में से एक था डॉ. प्रमिला मोदी और उनकी टीम द्वारा आयोजित जनसामान्य के लिए विशेष "पब्लिक फोरम", जिसमें "सीज़ेरियन सेक्शन: भ्रांतियां बनाम सच्चाई" विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। इसे हिंदी में प्रस्तुत किया गया ताकि आम जनता सीज़ेरियन डिलीवरी से जुड़ी भ्रांतियों को समझ सके और सही जानकारी प्राप्त कर सके। समापन समारोह में पटना ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी (POGS) के वरिष्ठ सदस्यों डॉ. शांति राय, डॉ. मंजू गीता मिश्रा, डॉ. सुषमा पांडे, डॉ. उषा दिवानिया, डॉ. अलका पांडे, डॉ. कुंकुम सिन्हा और अन्य ने भाग लिया। सभी ने इस आयोजन को गर्भावस्था संबंधी आपात स्थितियों की रोकथाम, पहचान और त्वरित हस्तक्षेप के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। समापन सत्र में आयोजन समिति की ओर से डॉ. विनीता सिंह, डॉ. प्रज्ञा मिश्रा चौधरी, डॉ. सुप्रिया जायसवाल, डॉ. निभा मोहन एवं पूरी टीम को इस सफल आयोजन के लिए सम्मानित किया गया।
अंत में, धन्यवाद ज्ञापन के साथ सम्मेलन का समापन हुआ, जिसमें सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों, और सहयोगियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए यह विश्वास जताया गया कि यह सम्मेलन मातृ मृत्यु दर में कमी लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
दिनेश जी जैसे कलाकार के साथ काम करना उनके लिए गौरव की बात है - समर कात्यायन
भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' की बहुप्रतीक्षित फिल्म हमार नाम बा कन्हैया का विशेष प्रीमियर आज पटना के सिनेपोलिस मल्टीप्लेक्स में आयोजित किया गया। इस मौके पर फिल्म की पूरी स्टारकास्ट, निर्देशक, निर्माता और वितरक टीम भी मौजूद रही। गिरिराज फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म को लेकर दर्शकों में खासा उत्साह देखने को मिला।
फिल्म का निर्देशन विशाल वर्मा ने किया है और इसे मुकेश गिरी ने प्रोड्यूस किया है। प्रीमियर के अवसर पर निरहुआ के साथ प्रमुख कलाकार समर कात्यन, निर्माता मुकेश गिरी, निर्देशक विशाल वर्मा मौजूद थे। निरहुआ ने कहा कि यह फिल्म उनके दिल के बेहद करीब है और यह दर्शकों को एक नए प्रकार का भोजपुरी सिनेमा दिखाएगी, जो अश्लीलता से कोसों दूर और कथानक पर पूरी तरह आधारित है। निर्देशक विशाल वर्मा ने कहा हमार नाम बा कन्हैया एक सस्पेंस थ्रिलर है, जो भोजपुरी सिनेमा में एक नया प्रयोग है। फिल्म की कहानी, संवाद और दृश्यांकन को लेकर दर्शकों ने भी शुरुआती समीक्षाओं में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। फिल्म की शूटिंग लखनऊ, मुंबई और लंदन जैसे स्थानों पर की गई है, जिससे इसकी सिनेमैटिक प्रस्तुति और भी भव्य नजर आती है। निर्माता मुकेश गिरी ने कहा कि यह फिल्म भोजपुरी के दर्शकों को मनोरंजन का नया विकल्प देगा। सभी इसे सहजता से देख पाएंगे। फिल्म हमने कमर्शियली जरूर बनाया है, लेकिन इसकी आत्मा मनोरंजन और एक खूबसूरत सी कहानी है।
समर कात्यायन ने इस फिल्म को लेकर कहा कि दिनेश जी जैसे कलाकार के साथ काम करना उनके लिए गौरव की बात है। उन्होंने बताया कि यह फिल्म भोजपुरी फिल्मों की छवि को बदलने की दिशा में एक अहम कदम है। वहीं, अमृता पाल की भूमिका भी फिल्म में एक मजबूत और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती है।
इस अवसर पर वितरक प्रशांत उज्ज्वल ने बताया कि फिल्म को लेकर पूरे बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हमार नाम बा कन्हैया न केवल निरहुआ के फैंस के लिए बल्कि हर उस दर्शक के लिए खास है, जो भोजपुरी सिनेमा में कुछ नया और सार्थक देखना चाहते हैं।
बिहार में पहली बार पिछले 3-4 दशकों में किसी ने बिहारियों के लिए बात की हैं और बिहारियों के सम्मान के प्रतिनिधि बनकर दर-दर भटक रहा है
बिहार और बिहारी एक वक्त में गाली बन गया था या बना दिया गया था यह आज समझने की जरूरत है। जहां 1990 के बाद जातिवादी व्यवस्थाओं को मजबूती मिली और एक विशेष जाति जो कि सत्तारूढ़ थे उनका आतंक बिहार में बढ़ा। दारू, बालू से लेकर व्यापारियों के साथ दिन दहाड़े लूट पाट करने वाली सरकारों द्वारा अघोषित तौर पर पोषित होने लगे थे। आतंक का ऐसा प्रभाव था कि आज भी कुछ जातियां और समूह 1990 वाली राजनीति दल जो सत्ताधारी थी उससे आज भी बचना चाहती हैं।
वहीं 2005 के साथ ही नये राजनीतिक दलों का गठजोड़ हुआ और उसकी सत्ता आज बिहार से लेकर भारत स्तर पर खड़ी हो गई है। 1990 के सरकार को राजनीतिक रूप से दर्जनों संगठनों ने अत्याचार के बुनियाद पर सरकार से ना टकराकर बिहार को ही बदनाम कर दिया। बिहार की ऐतिहासिक, समाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण को बदलकर रख दिया गया। जिस बिहार ने पुरे विश्व को संदेश देने का काम किया उसे विपक्ष में रहकर वर्तमान सत्ताधारी गठजोड़ कर बदनाम कर दिया। सत्ता लोलुपता के चलते ही आम लोगों पर हो रहे अत्याचार को मुद्दा नहीं बनाया गया बल्कि राजनीतिक सत्ता को हासिल करने के लिए बिहार को बिहारी कहकर अभद्र व्यवहार और टिप्पणी झेलनी पड़ी।
सत्ता में आने के बाद वर्तमान सत्ताधारी गठजोड़ ने जहां 1990 के समयों के जातिगत प्रभाव को कम किया तो वहीं जातिवादी व्यवस्थाओं को और मजबूत किया। शोषण करने के विभिन्न तरीकों से बिहार के समृद्ध एवं शिक्षित वर्ग को प्रताड़ित करने में भागीदारी सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसका परिणाम यह हुआ कि आज वर्तमान सत्ताधारी भी गठजोड़ों के बल पर खड़ा हैं और युवा जोश को अपराध की ओर धकेलने में लगी है।
लेकिन अब समय बदल रहा है और बिहार में एक नई उम्मीद आई है। वह उम्मीद है प्रशांत किशोर और प्रशांत किशोर पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने पुरे विश्व स्तर की राजनीति में अपना दबदबा कायम किया। भारत की राजनीति को समझने में समय लगाया और राज्यों की क्षेत्रीय राजनीति को भी गंभीरता से समझा और तब जाकर एक बड़ा संदेश लेकर बिहार के गांव - गांव पहुंचे और हर उस नागरिकों को जागरूक किया जो घर के अंदर चुपचाप बैठे राजनीतिक दलों के खेल को समझ रहा था मगर अपराधिकरण हो चुकी सत्ता और राजनीति पर चुप्पी साधे हुए था।
प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की स्थापना की और दो दिन पहले ही चुनाव चिह्न के रूप में स्कूल बैंग मिला। स्कूल बैंग चुनाव चिह्न के रूप में मिलने पर प्रशांत किशोर की खुशी और उनके संदेश कि हमें मिला नहीं है बल्कि हमने लड़कर स्कूल बैंग लिया है। शिक्षा एक समाज को मजबूती प्रदान करने का सबसे बड़ा आधार होता है और प्रशांत किशोर ने एक नींव जरूर रख दी है।
बहुत गंभीरता से यह समझने की जरूरत है कि हर कोई सभी जगह एक व्यक्ति का नाम लेते हैं और प्रशांत किशोर की जन सुराज में भी सिर्फ प्रशांत किशोर ही चेहरे के रूप में दिख रहे हैं तो यह बहुत अच्छा है। एक नेतृत्व से ही मजबूती मिलेगी और प्रशांत किशोर का सामुहिक प्रयास और संवाद एक ठोस कदम और निर्णय के लिए बहुत आवश्यक है। प्रशांत किशोर की रणनीति से बिहार की तकदीर और तस्वीर दोनों बदलने वाली हैं।
नये राजनीतिक दलों को मौका देना समाजिक दायित्वों में आता है और समाज को खुले तौर पर प्रशांत किशोर को चुनना चाहिए और मौका देना चाहिए। शिक्षा, रोज़गार के साथ सुरक्षित समाज निर्माण की जिम्मेवारी लेकर कोई पहली बार बिहार में कार्यक्रम कर जागरूक कर रहा है।
इस ख़बर से घबराया कोई और एक सप्ताह तक बेवसाइट बंद कराया था लेकिन पुनः हम आपके बीच हैं - संपादक
दावेदार और दावेदारी दोनों पहलूओं पर हर पार्टी में जोड़दार शक्ति प्रदर्शन, वहीं जातिगत व्यवस्था के आधार पर उम्मीदवार की उपस्थिति देखने लायक होगी
दावेदार वह हैं जो लगातार विधायक बनने हुए हैं या विपक्ष से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं और टक्कर भी दे रहें हैं। मगर दावेदारी पेश करना यह अपने आप में बड़ी बात है। जैसा कि जग जाहिर है कि हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से एक व्यक्ति और एक ही निर्णय के सिद्धांत पर काम सत्ताधारी पक्ष की ओर से चलता आ रहा है। वहीं इस बार दावेदार को बड़ी चुनौती मिल रही हैं उन्हीं के संगठनात्मक संरचना से और लंबे समय से हाजीपुर में सेवा देने वाले भी मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करने की ओर बढ़ रहे हैं। वैसे युवाओं को राजनीतिक रूप से षड्यंत्र कर - कर के मुकदमों के माध्यम से कमजोर कर दिया गया है। जिसके कारण हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारी पेश करने की हिम्मत एक व्यक्ति के रहते संभव नहीं हो रहा है, लेकिन इस बार पक्के दावेदार की स्थिति बहुत नाज़ुक बनी हुई हैं।
आपको बता दें कि दावेदार के तौर पर हाजीपुर विधानसभा में भाजपा से अवधेश सिंह जो वर्तमान विधायक हैं और चौथी बार विधायक बनने का सपना संजोए बैठे हुए हैं। वहीं विपक्ष में देव कुमार चौरसिया पुनः संभावित उम्मीदवार बने हुए है और राजद की ओर से चुनाव घोषणा के बाद इनके नाम पर ज्यादा ध्यान रहने की संभावना रहेगी। देव कुमार चौरसिया सबसे मजबूत विपक्ष के दावेदार इसलिए हैं क्योंकि पूर्व विधायक हाजीपुर और वर्तमान केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के अलावा उनके द्वारा अपना उत्तराधिकारी घोषित कर अवधेश सिंह को तीन बार विधायक बना लिया गया मगर पिछले चुनाव 2020 में मात्र 2990 वोटों से जीत दर्ज करा सकें थे। नित्यानंद राय खुद भी 4 बार विधायक हाजीपुर से चुने गए और अवधेश सिंह पहली बार उपचुनाव और दो बार पूर्ण कार्यकाल के लिए विधायक बने, लेकिन देव कुमार चौरसिया ने 2020 में लगभग जीत को छुने तक पहुंच ही गए थे। इसलिए राजद का इस बार भी दांव देव कुमार चौरसिया ही हो सकते हैं।
दावेदारी करने वाले बहुत महत्वपूर्ण चेहरे -
बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन की राजनीति अब तक चलती आ रही हैं लेकिन इसमें प्रशांत किशोर की उपस्थिति से राजनीतिक दलों में हड़कंप मचा हुआ है। इसलिए हाजीपुर में भी NDA और INDIA गंठबंधन के साथ प्रशांत किशोर की राजनीतिक पार्टी जन सुराज अपने स्कूल बैंग चुनाव चिह्न के साथ बहुत मजबूती से उपस्थिति सुनिश्चित करेंगी। शिक्षा व नौकरी को मुख्य मुद्दा बनाकर बिहारियों को साथ लेकर बनाने का दावा कर रहे हैं जिसका जमीन पर असर भी दिख रहा है।
अब तक हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से हर चुनाव में दर्जनों लोगों की उम्मीदवारी होती रही हैं लेकिन इस बार और धमाकेदार उम्मीदवारों की उम्मीदवारी की बड़ी संभावना है। जिसमें इस प्रकार से संभावना है वहीं सही उम्मीदवार चुनने में हर दल गंभीर हो इसपर भी ध्यान रखना हैं यहां -
1. निकेत कुमार सिन्हा (लालाजी/कायस्थ जाति)
नगर परिषद, हाजीपुर के उपसभापति रहे निकेत कुमार सिन्हा हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से बहुत मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं। जहां सत्ताधारी पार्टी और गठबंधन ने तो गुलामी की परंपरा को मजबूत किया है लेकिन मजबूत विपक्ष को जिसमें राजद व गठबंधन और जनसुराज को इस पर विचार करने की जरूरत है।
निकेत कुमार सिन्हा इस लिए विधायक के उम्मीदवार के रूप में देखें जाते हैं क्योंकि चंद दिनों के अपने नगर परिषद, हाजीपुर उपसभापति काल में हाजीपुर नगर परिषद क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव और काम किया। निकेत कुमार सिन्हा के काम करने के तरीके और लोकाचार में व्यवहार के कारण आम लोगों में विकासशील व्यक्ति के रूप में पहचान है। जिसके कारण ही नगर परिषद, हाजीपुर का जब सभापति चुनने का अधिकार सीधे जनता को मिला तो निकेत कुमार सिन्हा ने अकेले दम पर अपने एक सहयोगी को उम्मीदवार बनाकर भाजपा को कहें तो ज्यादा अच्छा नहीं होगा बल्कि हाजीपुर के पूर्व विधायक और वर्तमान केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के साम्राज्य को जड़ से झकझोर कर रख दिया और कड़ी टक्कर दिए थे।
इसलिए हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से निकेत कुमार सिन्हा का किसी भी पार्टी से उम्मीदवार बनाना एक विकासशील व्यक्ति का सम्मान करना ही नहीं होगा बल्कि जनतंत्र के लिए बहुत सुखद संदेश भी होगा।
2. उत्पल यादव (यादव जाति)
उत्पल यादव मुलत: बिदुपुर प्रखंड और राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से आते हैं। युवा जोश और एक अच्छे उद्योगपति हैं। पिता के विरासत में एक मजबूत कड़ी बनकर अपने बल पर युवाओं को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। बुजुर्ग और महिलाओं को सम्मान देना और परिवारिक संस्कार से भरपूर उत्पल यादव नया आयाम बनाने में लगे हैं।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी उत्पल यादव का परिवार हैं और इसी वजह से हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। गांव गांव जाकर अपने रिश्ते मजबूत कर रहें हैं। राजद गठबंधन से उम्मीदवार के तौर पर मजबूत दावेदारी पेश करने के कारण जातिगत समीकरण में लाभ लेने का भी प्रयास हैं।
3. प्रियदर्शनी दुबे (भूमिहार ब्राह्मण जाति)
प्रियदर्शनी दुबे भारतीय जनता पार्टी (BJP) में वैशाली जिले में महिलाओं की बहुत मजबूत प्रतिनिधि हैं। वर्तमान समय में भाजपा में क्षेत्रीय प्रभारी महिला मोर्चा, बिहार भाजपा की सदस्य हैं। लगभग 15 वर्षों से भाजपा के साथ सक्रिय राजनीति कर रही हैं। भाजपा के संगठनात्मक संरचना में विभिन्न पदों पर रहते हुए भाजपा को मजबूत करने में भागीदारी सुनिश्चित करती रही हैं।
प्रियदर्शनी दुबे एक मात्र भाजपा कार्यकर्ता हैं जिन्होंने अपनी उम्मीदवारी को लेकर संगठन में बात रखी है। भूमिहार ब्राह्मण परिवार से आने वाली प्रियदर्शनी दुबे हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में आना चाहती हैं।
नारी सशक्तिकरण का दावा करने वाली भाजपा को हाजीपुर से बढ़त दिलाने के लिए कर रही प्रयास।
प्रियदर्शनी दुबे के विचारों से लगा कि बहुत गंभीरता से हाजीपुर शहरी क्षेत्र में 5 दशकों से परिवार के अनुभवों और खुद का अनुभव देखकर हाजीपुर की दशा को लेकर चिंतित हैं। इसलिए हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से अपनी राजनीतिक दल भाजपा (BJP) से दावेदारी पेश कर रही हैं।
4. कृष्ण भगवान सोनी ( स्वर्णकार जाति)
कृष्ण भगवान सोनी स्वर्णकार जाति से आने वाले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपनी राजनीतिक समझ से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है। व्यवसाय करने के बावजूद लोगों के बीच में लगातार समय देना अपने आप में बड़ी बात है।
हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से कई बार अपनी उम्मीदवारी पेश कर चुके हैं और अब प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में अपने जोड़ीदार उम्मीदवारी पेश कर रहे हैं। प्रशांत किशोर के पदयात्रा का अहम हिस्सा बनकर लोगों की नज़र में और तेजी से आये और आज उम्मीदवार बनने की ओर क़दम बढ़ा रहें हैं।
5. राजेश ठाकुर (भूमिहार ब्राह्मण जाति)
राजेश ठाकुर अफजलपुर धोबघट्टी के आधुनिक पंचायतीराज चुनाव में पहले मुखिया रहें। वहीं पत्नी को जिला परिषद सदस्य बनाये और वर्तमान समय में पुत्र को पंचायत समिति पर जीताकर सक्रिय राजनीति में बने हुए हैं। वहीं हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके हैं।
राजेश ठाकुर वर्तमान समय में प्रशांत किशोर के साथ चलने का प्रयास कर रहे हैं और वहीं साथ ही हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनने का भी दावा ठोक दिया है।
वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज में कई ऐसे लोगों का भी हाजीपुर से दावा होने के बावजूद राजेश ठाकुर अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
6. राजीव ब्रह्मर्षी (भूमिहार ब्राह्मण जाति)
राजीव ब्रह्मर्षी नाम से ही परिचय मिल जाता हैं कि किस समाज से या जाति से आते हैं फिर भी राजीव ब्रह्मर्षी को लोग हिंदू के नाम से जानते हैं। हिन्दुत्व के बिहार के सबसे बड़े चेहरे के रूप में जाने जाते हैं राजीव ब्रह्मर्षी।
राजीव ब्रह्मर्षी ने भारत के बड़े-बड़े हिन्दुत्व के चेहरों के साथ बैठकर हिंदू परंपरा को जाना, समझा और एक बहुत ही महत्वपूर्ण और मजबूत संगठन का निर्माण किया "हिन्दु पुत्र" और उसके संरक्षक के रूप में अपने कार्यकर्ताओं के लिए जान देने में कोताही नहीं बरती।
राजीव ब्रह्मर्षी का संगठनात्मक संरचना बहुत मजबूत और हिन्दुत्व के लिए कोई भी काम करने वाला हो तो उसके लिए अपना जीवन लेकर खड़ा होने वाला पहली बार बिहार ने पाया है या देखा हैं। राजीव ब्रह्मर्षी ने अपने संगठन के एक मजबूत कार्यकर्ता के खिलाफ गलत केस करने को लेकर पुलिस मुख्यालय, बिहार, पटना में जाकर आत्मदाह करने का प्रयास किया और काफी जल भी गए थे।
हिन्दुत्व के कार्यों को लेकर सरकार से टकराते हुए उत्तर बिहार के मुहाने पर श्री मारुति हनुमान मंदिर जिसे भारत सरकार का सड़क निर्माण विभाग कहीं ऐसे ही स्थापित करने का प्रयास किया था उसके खिलाफ आंदोलन कर इसी महीने 05 जून को दिग्घी दुमोड़वा हाजीपुर में 108 फीट ऊंचा मंदिर बनाकर भगवान को स्थापित करने का काम किया।
राजीव ब्रह्मर्षी के हिन्दुत्व कार्य को लेकर एक पुस्तक लिखी जा सकती हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) जो हिन्दुत्व को लेकर गंभीरता दिखाती है उसे 25 साल पहले का योगी आदित्यनाथ के रूप में राजीव ब्रह्मर्षी को देखना चाहिए। वहीं आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ को विरासत में राजनीति मिली थी लेकिन राजीव ब्रह्मर्षी ने अपने दम पर समाज को लेकर एक बहुत मजबूत संगठन हिन्दु पुत्र की स्थापना कर एक बड़ी चुनौती और लकीर खींच दी हैं।
वहीं हिन्दुत्व की सरकार के रहते हुए राजीव ब्रह्मर्षी को कमजोर करने के लिए मुकदमों की बरसात कर दिया, लेकिन राजीव ब्रह्मर्षी मुकदमों से डरने वाले नहीं हैं। इसलिए हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को मजबूत उम्मीदवार के रूप में राजीव ब्रह्मर्षी को लेकर गंभीरता दिखानी चाहिए। जिसका परिणाम यह है कि बिहार की राजनीति में हिन्दुत्व का राजीव ब्रह्मर्षी से बड़ा चेहरा ना तो भाजपा के पास कोई हैं और ना ही किसी अन्य दलों में किसी की उपस्थिति ही है।
सर्व विदित है कि वर्तमान विधायक हाजीपुर अवधेश सिंह कुर्मी जाति से है वहीं देव कुमार चौरसिया बड़ई (पान कृषक) जाति से आते हैं।
वर्तमान विधायक हाजीपुर के नेतृत्व में जहां हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र का विकास पिछले 11 वर्षों में शुन्य हो गया तो वहीं शहरी क्षेत्रों में भाजपा के संगठन और नित्यानंद राय केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री, अवधेश सिंह विधायक के सहयोग से सभापति नगर परिषद हाजीपुर बनने के बाद भी हाजीपुर शहरी क्षेत्रों को श्मशान में बदल दिया है। हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में सड़कों नमामि गंगे और सिवरेज के नाम पर 10 वर्षों से खोदा गया और लगभग 15 वर्षों से हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में एक भी सड़क नहीं बना।
यहां जातिगत आधार पर आपको बताने का कारण है कि किसी भी क्षेत्र में जाति के आधार पर ही कोई भी राजनीतिक दल उम्मीदवार बनाती हैं। व्यवस्था परिवर्तन की ओर अगर समाज कहें या हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों को इस पर ध्यान जरूर देना चाहिए कि उम्मीदवार किसी का नौकर ना हो, किसी का गुलाम ना हो और साथ ही साथ साहसी हो ताकि अपने क्षेत्र का विकास करने में सदनों में गरज सकें।
राघोपुर से भाजपा लड़ेगी 2025 विधानसभा चुनाव और उम्मीदवार होंगे नित्यानंद राय इस ख़बर से भी कई सत्ताधारी पार्टी को तकलीफ़ भी बहुत हुई है।
कार्यालय प्रभारी के सहारे हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता, स्वतंत्र प्रभार वाले विधायक की आवश्यकता
समय के साथ सब बदलता है और जब हाजीपुर विधानसभा की बात आती हैं तो राजनीतिक दलों की समझदारी घास चरने चली जाती हैं। अब वह दौर नहीं है कि जैसे तैसे लोगों को प्रतिनिधित्व देकर सीट निकाल लें और जनता के हितों का निर्धारण कोई ओर करें। कहने को भारत में लोकतंत्र हैं मगर लोकतंत्र किसी भी राजनीतिक दल में नज़र नहीं आती हैं। जिसके कारण हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र में सही उम्मीदवार की तलाश आज भी लोगों की हैं और राजनीतिक दल अपने राजनीतिक फायदों के लिए अपराध नीति का समर्थन कर पिछले 25 वर्षों से सत्ता में बैठी हुई है।
हाजीपुर क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों का इतिहास देखें तो विधायक के स्तर पर काम ना के बराबर हुआ है। गांव - गांव में सड़कों का जाल ग्रामीण सड़क विकास के तहत बना। बिजली की स्थिति आज भी 1990 वाली हैं जो उस समय 100 वाट का बल्ब जलता था तो जैसी बिल आज 2-10 वाट के बल्ब में भी आ रहा है। बिजली कब आती हैं यह आज भी सवाल हैं खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में। स्वास्थ्य सेवा जो श्रीकृष्ण सिंह के मुख्यमंत्री काल में गांव - गांव तक बना उसकी स्थिति कोमा कहना ग़लत होगा क्योंकि वह कब श्मशान में बदल दिया गया है।
हाजीपुर शहरी क्षेत्रों की बात की जाए तो दो बार इसका सीमा बढ़ाया गया है पिछले 25 वर्षों में, लेकिन एक भी नगर परिषद का वार्ड कचड़ा प्रबंधन, सड़क सुरक्षा, अतिक्रमण मुक्त, बिजली युक्त, पेयजल आपूर्ति जैसी व्यवस्था को लेकर खड़ी हो। राजनीतिक गलियारों में पुनः हाजीपुर नगर परिषद का क्षेत्र बढ़ने और नगर निगम होने की हवा चल रही हैं और परिणाम यह होना है कि गांव का अस्तित्व ख़तरे में डाला जाने वाला है। गांव के लोगों को जबरदस्ती नगर क्षेत्र में लाकर जमीन, घरों पर अवैध कब्जा व टैक्स वसूली की तैयारी हैं, मगर सुविधा - मतलब शून्य ही रहेगा।
हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थिति प्राईवेट लिमिटेड स्कूलों जैसे ही हैं जो आज से 5-10 पहले थी और कमोवेश आज भी 90% स्कूलों की हैं। स्कूलों में कपड़ा, बैंग, किताब, कलम, काॅपी, जुता, मोज़ा सब मिलता है और शिक्षा की बात करें तो आप अपने घर पर ट्यूशन लगवा लें। जिसमें आज अब दर्जनों स्कूलों से स्वयं में बदलाव लाकर स्कूलों को बच्चों के योग बनाया है तो इसके पीछे आम लोगों का जागरूक होना है। भले पैसे ज्यादा लग रहे हैं मगर व्यवस्था के साथ गुणवत्ता में बहुत सुधार हुआ है।
वैसे ही हाजीपुर की जनता अब सीधे तौर पर विधायक का चेहरा बदलना चाहती हैं। मोदी के नाम पर हाजीपुर का सीट 2014 के बाद कार्यकत्ताओं से छिन कर एक कार्यालय खजांची और व्यक्तिगत काम करने वाले को दे दिया गया और लगातार जीत भी हो रही हैं। वहीं अब मोदी समर्थकों को भी लगने लगा है कि 2000 से 2014 तक विधायक रहने वाले का व्यवहार आतंकी हो गया और लगातार बिना शर्त समर्थन देना घातक होते जा रहा है। इसलिए एक सीट हाजीपुर हार जाती हैं भाजपा तो उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन एक व्यक्ति का आतंक जैसे ही समाप्त होगा वैसे ही भाजपा को समीक्षा करना आसान हो जाएगा।
भाजपा का राजनीतिक सफ़र जब 2000 में शुरू हुआ तो गठबंधन में आज की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) थी और उसके मजबूत स्तंभ हुआ करते थे देव कुमार चौरसिया जो 2014 में नित्यानंद राय वर्तमान विधायक का सांसद बनने के बाद हाजीपुर सीट पर अपने सहयोगियों को ना देकर अपने यहां काम करने वाले को दे दिया जो कि महज व्यक्तिगत खजांची और व्यक्तिगत कार्यकर्ता था। जिसके कारण ही उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार अवधेश सिंह के ख़िलाफ़ चुनाव निर्दलीय लड़ें और मजबूत स्थिति बनाई। जिससे भाजपा की जीत के बावजूद यह तय हो गया कि आने वाला कल देव कुमार चौरसिया का हो सकता हैं।
पुनः भाजपा और जदयू का साथ आना देव कुमार चौरसिया के लिए राजनीतिक रास्ता बंद हो गया जिसके बाद विपक्षी दल राजद में जाकर देव कुमार चौरसिया ने अपनी उम्मीदवारी से जोड़ का झटका जरूर दिया। 2020 के चुनाव में देव कुमार चौरसिया महज 2990 वोटों से ही पिछड़े, जिसको लेकर भाजपा बड़ी सकंट में नज़र आती है। देव कुमार चौरसिया का अपना व्यक्तित्व हैं जो कि एक अच्छे व्यक्ति, व्यापारी, समाजसेवी और मृदुभाषी के साथ सुलभ रूप में लोगों के बीच मौजूद रहते हैं। इसलिए 2025 का विधायक चुनाव भाजपा और नित्यानंद राय के लिए बहुत बड़ी संकट पैदा करने वाली नज़र आती हैं।
वैसे भी नित्यानंद राय का राजनीतिक सफ़र अब बहुत बड़ा मोड़ लेने को तैयार हैं और तेजस्वी यादव के ख़िलाफ़ भाजपा राघोपुर से लड़ने का संकेत दे चुकी हैं। तेजस्वी यादव को हराने की जिम्मेवारी जहां नित्यानंद राय पर हैं तो स्वाभाविक तौर पर केन्द्रिय गृहराज्यमंत्री का दायित्व छोड़कर चुनाव मैदान में उतरना होगा। नित्यानंद राय के लिए दोहरी संकट हैं कि वह खुद का सीट राघोपुर से बचायें या हाजीपुर से अवधेश सिंह को जीताकर ले जाएं।
भाजपा अगर जैसा दबाव नित्यानंद राय के भरोसे कर रही हैं वह संभव तब तक नहीं हैं जब तक हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से किसी और को भाजपा से टिकट विधानसभा का नाम मिले। वहीं भाजपा जो लगातार चुनाव के समय हिन्दुत्व को जगाओ लेकर बढ़ती है उस वक्त में हाजीपुर से एक ऐसे हिन्दुवादी को टिकट दे जिसने हिन्दुत्व को लेकर जन - जन में जागृति पैदा किया हो। हिन्दू राष्ट्र धर्म सर्वोपरि के नारे को बुलंद करने वाले युवाओं को लेकर आगे बढ़ना चाहिए। जिससे भाजपा के साथ NDA का अन्य विधानसभा क्षेत्र वैशाली जिले में सुरक्षित रह सके।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आतंरिक व्यवस्था में भले ही नित्यानंद राय के डर से कोई उम्मीदवार बनने की इच्छा जाहिर ना कर सके लेकिन जनतंत्र में जनता का सोचना बहुत महत्वपूर्ण है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को नित्यानंद राय को राघोपुर से और हिन्दुत्व को लेकर चलने वाले किसी युवा को हाजीपुर से विधानसभा चुनाव लड़वाना चाहिए ताकि दो सीट सुरक्षित रख पायें और वैशाली जिले के अन्य सीटों पर इसका सीधा असर देखने को खुद ही मिलने लगेगा।
भाजपा के पोषित नगर परिषद, हाजीपुर, सभापति ने सभापति पद को राजनीतिक दल के चरणों में समर्पित कर दिया
नगर परिषद हाजीपुर को अगर नरक परिषद, हाजीपुर कहे तो बुरा नहीं होगा। सभापति का चुनाव इस बार तथाकथित तौर पर सीधे जनता के हाथों में था लेकिन बागडोर संभाली भाजपा ने और सभापति बना लिया। वर्तमान सभापति को पूर्व में सभापति पद दिलाने वालों को छोड़ नई गिरफ्त में आकर सीधे चुनाव में जीत हासिल की। वहीं राजनीति में इतनी तेजी से बढ़ते हुए जिनको भी देखा गया है उसका राजनीतिक अंत बहुत बुरा होता हैं। तब और बुरा वक्त होता हैं जब भाजपा का समर्थन हो और एक छोटी सी गलती के साथ मिट्टी में खुद मिला देती हैं भारतीय जनता पार्टी।
खैर भारतीय जनता पार्टी यानी BJP का लगातार 2000 से आज 2025 तक हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र पर कब्जा हैं। हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में ही BJP का मुख्य अड्डा कहे या मजबूती हैं, लेकिन हाजीपुर क्षेत्र में गुड्डा गर्दी बहुत ज्यादा है। नगर परिषद हाजीपुर क्षेत्र में कोई भी कार्य होता है तो आज सीधे तौर पर BJP के देख रेखा में ही होता है और बात करें तो पिछले एक दशक से ज्यादा समय से सिवरेज और नमामि गंगे के नाम पर हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में खुदाई का काम चल रहा है।
सिवरेज और नमामि गंगे योजना दोनों हाजीपुर शहर को जल जमाव से मुक्ति के लिए चलायें जाने वाली ऐसी योजना हैं जिसमें अबतक हाजीपुर में दर्जनों लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर चुकी हैं और रोजना खिलवाड़ कर रही हैं।
आज हम एक छोटे से मगर बहुत गंभीर क्षेत्र की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं। चंद महीने कहना ग़लत होगा लगभग तीन महीने से हाजीपुर शहर में सड़क निर्माण का खेल चल रहा है। खेल ऐसा की सड़क निर्माण में चारकोल का प्रयोग किया जा रहा है जिससे उस क्षेत्र में सांस लेना मुश्किल हो जाता हैं। बच्चों एवं बुजुर्गों के साथ गर्भवती महिलाओं के लिए और भी भयावह होता हैं। लेकिन चारकोल खुब जलाया जा रहा है और हर कोई उससे परेशान हैं।
मगर बोले कौन ?
बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन?
किसमें हिम्मत है कि यह सवाल कर दे कि यह ठीक नहीं है?
सवाल करने या पुछने वाले पर सरकारी काम में बाधा या रंगदारी मांगने का केस दर्ज होने में सेकेंड भर भी नहीं लगेगा। इसलिए आम लोगों में यह हिम्मत नहीं होती है अब कि वह सवाल भी कर सकें।
वहीं आपको बता दें कि गुदरी रोड में लगभग 5 सालों से सिवरेज और नमामि गंगे योजना का काम चल ही रहा है लेकिन फिर भी खुदाई कार्य संपन्न नहीं हुआ है। वहीं पिछले दो महिने से राजेन्द्र चौक से गुदरी रोड में सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है। जिसमें चारकोल को जलाकर सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है जिसके कारण इस क्षेत्र में लोगों का जीवन संकट में जानबूझकर डाला गया है। जहां चारकोल जलाने के लिए राजेन्द्र चौक पर लगभग 15-20 दिन मशीनों को रखा गया, वहीं आगे बढ़ाकर खाद्यी भंडार के पास लगभग 30-40 दिनों से उपर मशीनों को रखा गया और चारकोल जलाने की सारी नीचता का परिचय दिया गया।
वहीं अब लगभग 15-20 दिन पहले खाद्यी भंडार के पास से मशीनों को हटा लिया गया है मगर चारकोल के जले हुए हिस्से, कुछ और आवश्यक सामग्री जो सड़कों में प्रयोग किया जाता हैं उसे यही छोड़ दिया गया है। जिसके कारण आम लोगों को समस्या तो हो ही रही हैं वहीं दुकानदारों को भी 10 घंटे अपने दुकानों पर रहना पड़ता है और उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी होती है।
इस संबंध में पूर्व जिलाधिकारी यशपाल मीणा को धरातल पर स्थिति दिखाकर सफाई को कहा गया था लेकिन दलाली में लिप्त व्यवस्था में कुछ किए बगैर निकल दिए। ठेकेदार को कई बार कहा गया तो कहता है जहां जाकर कहना है कह दिजिए कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
तब जाकर यह बात समझ में आती हैं कि - कोई बोलतई रे.....
खैर आपको जानना चाहिए कि चारकोल आपके जीवन के लिए कितना ख़तरनाक है।
हाँ, चारकोल जलने पर आमतौर पर काला धुआं निकलता है। यह धुएं में मौजूद कार्बन कणों के कारण होता है। चारकोल के जलने से लोगों को कई तरह से नुकसान हो सकता है। मुख्य रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता और श्वसन संबंधी समस्याएं। चारकोल के जलने से निकलने वाला धुआं हानिकारक गैसें और कण छोड़ता है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।
चारकोल के अधूरे दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस निकलती है, जो एक जहरीली गैस है। CO रक्त में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को कम कर देती है, जिससे शरीर के अंगों को ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।
चारकोल के धुएं में मौजूद कण और रसायन फेफड़ों में जलन पैदा कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, खांसी, और अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी पहले से मौजूद श्वसन स्थितियों का बढ़ना हो सकता है।
ये समूह चारकोल के धुएं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और उन्हें अधिक नुकसान हो सकता है।
उपरोक्त सभी जानकारी को ध्यान में रखते हुए डाक्टर के संपर्क में जरूर रहें। स्वास्थ्य विभाग यह जानकारी देता है कि चारकोल जलाने से वातावरण अशुद्ध हो जाता है और उसके संपर्क में आने से जीवन बहुत प्रभावित होता हैं।
भाजपा का 25 सालों का अवैध कब्जा और नगर परिषद पर भी अवैध राजनीतिक कब्जों से विनाश के साथ श्मशान में बदला हाजीपुर शहर
दबंगई और प्रभाव का नया रूप जो सोशल मीडिया युग में प्रचलित हैं कि - कोई बोलतई रे, तो यह डायलॉग हाजीपुर शहर के लिए सटीक हैं। वर्तमान केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री और पूर्व विधायक हाजीपुर का यहां बड़ा आतंक लगातार बना हुआ है। मुझे ठीक - ठाक याद हैं कि जब मैं 2012 के नवंबर में वर्तमान विधायक से बात किया और जो प्रतिक्रिया पहली और तीसरी बार बात करने में मिला वह यह समझने के लिए काफी था कि हाजीपुर क्षेत्र का विधायक अभद्र और आतंक का दुसरा नाम हैं। उसी समय से देखता आ रहा हूं कि हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र में तत्कालीन विधायक के ख़िलाफ़ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।
जब मेरे कुछ मित्रों और परिवार के लोगों को पता चला कि हाजीपुर विधायक से बात किये और उसने मिलने के लिए घुमाते रहा तो बहस हो गई तो सभी ने बहुत डराया। पूर्व विधायक हाजीपुर के ख़िलाफ़ बोलने पर आस पास बैठे लोगों को ऐसे डरते हुए देखा है जैसे शोले फिल्म में गब्बर से डर देखने को मिलता है। लेकिन मैंने अपना समय हाजीपुर में रहकर देने को तैयार हुआ और आतंकी व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था का माध्यम ही अपनाया।
अब जब लगभग 13 साल हो गया और जो स्थिति दिखने लगा है कि पुरा हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र को श्मशान में बदल दिया गया है। आज से 13 साल पहले जो स्थिति दिखाई दे रहा था वह पहले का कुछ काम था जिसे 2000 से लगभग बंद कर दिया गया है या जो कुछ सड़क, नाले बने हैं उसमें 80% तक घोटाले हुए हैं। घोटालों और आरजकता का परिणाम है कि भारत में लाॅकडाउन की शुरुआत से शहर में नल जल योजना के लिए सड़कों की खुदाई शुरू हुई तो वहीं चंद दिनों बाद ही सड़कों के बीचों-बीच पाईप लाईन बिछाने का काम शुरू हुआ और सड़कों को गड्ढों में तब्दील कर दिया गया।
नमामि गंगे योजना के तहत हाजीपुर शहर को इतना बर्बाद कर दिया गया है कि मौसम मेहरबान हैं कि पिछले 4-5 सालों में बारिश ना के बराबर हुआ है। जिसका परिणाम है कि चंद घटनाओं ने बड़े संकेत दिए, लेकिन नगर परिषद हाजीपुर में भाजपा का राज है और भाजपा के लिए भी बड़ी भूमिका में पूर्व विधायक व वर्तमान केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री का आतंक और दबंग प्रवृत्ति से ना तो प्रशासनिक डर हैं और ना ही जनता का।
नगर परिषद हाजीपुर के कारण कई लोगों के साथ बहुत बड़ी बड़ी दुर्घटना सड़क व नालों की कुव्यवस्था के कारण हुआ था तो वहीं दर्जनों लोगों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आई जिसमें बच्चे भी शिकार होते देखें गए। नगर परिषद हाजीपुर में सभापति का भाजपा नेताओं का चरण वंदना करना यह दर्शाता है कि लूट और डकैती होती रहेगी और कोई बोलतई रे के सहारे 5 साल बीत ही जाएगा।
आपकी जानकारी में हैं कि इस वर्ष गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और हाजीपुर शहर में 4 दिनों से थोड़ा मौसम का मिजाज बदला है और चंद बुंदे ही बारिश की हुई थी। बारिश जिसे दुनिया कहती और जानती है वह हाजीपुर शहरी क्षेत्रों में लगभग 4-5 सालों से हुआ ही नहीं है। लेकिन जब होगा तो भयावह स्थिति देखने को तो मिलेगा ही और लाखों लोगों की जिंदगी ख़तरे में नज़र आने ही वाली है। महज ठीक-ठाक एक बार बारिश 1-2 घंटे ही हो जाए तो 10 हजार लोगों की हड्डी - फसली टुटते हम सब देख पाएंगे।
खैर बारिश एक अच्छा हो तब की तब हम और लिखेंगे लेकिन महज़ चंद बुंदों में ही जो तस्वीरें सामने आई हैं वह हैं हाजीपुर नगर परिषद क्षेत्र में स्थित नगर का थाना चौक। नगर थाना से महज़ 10 क़दम की दूरी पर जहां से हजारों लोग प्रतिदिन सदर अस्पताल एवं गुदरी बाजार होते हुए नगर के विभिन्न मुहल्लों में आते और जाते हैं, वहां पर नमामि गंगे की खुदाई का असर आप तस्वीरों के माध्यम से देख रहे हैं।
आने वाले समय में मौनसून की दस्तक से जो स्थिति आने वाली हैं वह बहुत भयावह होगी, वहीं आम जनता से लेकर व्यापारियों और छात्रों के लिए बहुत बड़ी दुर्घटना का कारण यहीं नगर परिषद हाजीपुर की सड़कें बनने वाली हैं। खैर आप नगर परिषद हाजीपुर में रहने वाले को क्या दिक्कत है जय भाजपा तय भाजपा में मग्न हो अपराधियों के गुणगान में व्यस्त रहिए।
बच्चों, बुजुर्गों और बिमारियों से ग्रस्त लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिजिए। अगर कोई मौत हो जाएगी तो 10-15 हजार अंतिम संस्कार और 4 लाख दुर्घटना के नाम पर मिल ही जाएगा।
आज नीतीश कुमार और उनके सहयोगी यह कह रहे हैं कि हमने बनाया तो लगातार वर्तमान सरकार व गठबंधन 2005 में सत्ता में आते ही 2010 तक पुल क्यों नहीं बनाई
.
भारत में देश की सरकार हो या राज्यों की सरकारें सब अपनी जिम्मेदारियों से खुद को मुक्त मानते हैं। खैर आज राष्ट्रीय चिंतन के साथ यह बात रखनी जरूरी है कि बिहार में NDA की सरकार हैं और यह गठबंधन लगभग 2005 से अबतक बनी हुई है बीच के 2 साल लगभग छोड़ दें तो। वहीं वर्तमान NDA गठबंधन जो कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही है उसके 11 साल से उपर हो गए हैं।
राघोपुर एक टापू के रूप में लगभग आजादी के 78वें साल में भी हैं और अब जाकर उसे सामान्य जरूर और जीवनशैली में बने रहने का अवसर मिलेगा। कल सुबह लगभग 10 बजे माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कच्ची दरगाह पटना क्षेत्र से बिदुपुर वैशाली क्षेत्र तक सिक्स लेन का गंगा ब्रिज बनकर तैयार का उद्धाटन करेंगे।
यह ब्रिज जैसे ही उद्धाटन की प्रक्रिया से गुजरेगा कि NDA गठबंधन इसका बाजारीकरण और मार्केटिंग कर अपनी उपलब्धियों के साथ जोड़ने में लग जाएगी।
वहीं आज वैशाली जिले के जिला पदाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा विधि व्यवस्था व सुरक्षा की दृष्टिकोण से कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया गया एवं वहां प्रतिनियुक्ति पदाधिकारी व दंडाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया। जिसके बाद यह तो तय हो ही जाता हैं कि नवनिर्मित पुल लोगों के जीवन में खुशहाली लेकर आने वाली हैं।
वहीं राघोपुर क्षेत्र के लोगों को और उस क्षेत्र में जिनके भी रिश्ते हैं उन्हें इस आधार पर वोटिंग करते समय वोट बिल्कुल नहीं करना चाहिए कि NDA गठबंधन ने सड़क निर्माण किया है। यह बात हमेशा अपने ज़हन में रखना चाहिए कि अब अति हो चुका था और इसलिए समय की मांग के अनुसार राघोपुर के लिए यह अवसर आया है। राघोपुर को यह विकास और प्रतिष्ठान आज से कम से कम 50 साल पहले ही मिल जाना चाहिए था।
अगर वह 50 साल पहले नहीं मिला तो कम से कम लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के सत्ता में रहते जरूर आज से 25-30 साल पहले ही मिल जाना चाहिए था। लेकिन राघोपुर की जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार के अवसरों से दूर रखने का निरंतर प्रयास किया गया है। वहीं आज 2005 से सत्ताधारी पार्टी BJP और JDU के साथ रामविलास पासवान, पशुपति नाथ पारस और चिराग पासवान के गठबंधन ने भी खुब ठगने का काम किया है।
कल उद्धाटन के बाद राघोपुर की जनता को पुनः याद रखने की जरूरत है कि किसी ने आपके लिए कुछ नहीं किया है बस समय आ गया था कि अब नहीं पुल का निर्माण होता तो सरकारें जुता खाती इसलिए आपको एक जिंदगी के अंतिम समय में कोमा में ऑक्सीजन देने जैसा कदम हैं।
उच्च जाति आयोग के अध्यक्ष, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री डॉ महाचन्द्र प्रसाद सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि में वृद्धि तथा राज्य के 94 लाख गरीब परिवारों को ₹2-2 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा का स्वागत किया गया है।
आयोग के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री डॉ. महाचन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा लिए गए ये निर्णय राज्य के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए एक बड़ा सहारा साबित होंगे। पेंशन राशि को ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 प्रति माह करना एक साहसिक एवं संवेदनशील कदम है, जिससे बुजुर्गों, विधवा महिलाओं और दिव्यांगजनों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने में मदद मिलेगी।"
उच्च जाति के गरीब परिवारों को विशेष राहत
डॉ. सिंह ने यह विशेष रूप से स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा घोषित ₹2-2 लाख की आर्थिक सहायता योजना का लाभ सभी जातियों एवं वर्गों के गरीब परिवारों को, बिना किसी जातिगत भेदभाव के, समान रूप से मिलेगा। इसमें उच्च जाति के वे परिवार जो वर्षों से आर्थिक तंगी झेल रहे थे और कई बार सरकारी योजनाओं से वंचित रहे, अब प्रत्यक्ष लाभार्थी बनेंगे। डॉ सिंह ने कहा कि यह सरकार ने जाति से ऊपर उठकर गरीबी को मूल आधार मानते हुए सहायता देने का निर्णय लिया है।
यह निर्णय उच्च जाति के उन परिवारों के लिए बहुत बड़ी राहत है, जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं लेकिन अब तक योजनागत लाभ से वंचित रहे। अब मुख्यमंत्री जी के इस निर्णय से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण समुदाय को भी सामाजिक सुरक्षा और स्वावलंबन योजनाओं में समुचित स्थान मिलने की आशा जगी है। मुख्यमंत्री जी के इस निर्णय से इस दिशा में एक ठोस शुरुआत हुई है। गरीब सवर्णओ को भी 2 लाख रुपए के योजना से रोजगार कर अपना और समाज का विकास करना चाहिए।
डॉ सिंह ने कहा कि आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता बनी रहे और कोई भी पात्र उच्च जाति का परिवार लाभ से वंचित न रह जाए। इसके लिए आयोग जिलों से फीडबैक एकत्र करेगा और समय-समय पर सरकार को सुझाव भी देगा।